छत्तीसगढ़ी लेख

भाई -बहिनी के तिहार - राखी

रचनाकार- स्व. महेन्द्र देवांगन 'माटी'

भाई बहिनी के सबले पवित्र तिहार हरे राखी ह. बचपन में भाई बहिनी मन कतको लड़ई झगरा होत रहिथे, फेर राखी के दिन ओकर मन के प्रेम ह देखे बर मिलथे. राखी तिहार के अगोरा भाई बहिनी दूनो झन मन करत रहिथे.

कब मनाथे - राखी के तिहार ल सावन महिना के पूर्णिमा के दिन मनाय जाथे. ए दिन भाई बहिनी मन बिहनिया ले नहा धो के तईयार हो जाथे. भगवान के भी पूजा पाठ कर ले थे ओकर बाद बहिनी मन ह रोली, अकछत, कुमकुम,दीया अउ राखी ल थारी में सजा के लानथे. चँउक पूर के पीढ़ा बनाय रहिथे तेमा भैया ला खड़ा करथे. ओकर बाद बहिनी ह भाई मन के पूजा करथे, मिठाई खवाथे अऊ राखी ल बाँधथे.

भाई मन भी एकर बदला में भेंट के रूप में रूपिया पइसा या कपड़ा देथे.

रक्षा करे के वचन- जब बहिनी ह भाई के कलाई में राखी बाँधथे तब, भाई ह बहिनी के सब प्रकार से रक्छा करे के वचन देथे. अउ ऐ वचन ल जीयत भर निभाथे.

जेकर भाई या बहिनी नइ राहे ओमन ह दूसर ल भाई या बहिनी बना के राखी बंधवाथे या बांधथ.

भगवान ल राखी- राखी ल केवल भाई के ही हाथ में नइ बाँधे जाय. पूजा पाठ करे के बाद भगवान में भी चढाय जाथे, ताकि भगवान ह ओकर सब प्रकार से रक्षा करें.

पेड़ ल राखी बाँधना- आजकल बदलत जमाना में पेड़ में भी राखी बाँधे जाथे अऊ, ओकर रक्षा करे के वचन लेथे.

महराज मन- आज के दिन महराज मन ह घर घर जा के राखी बाँधथे. बदला में सब आदमी ह दान पून भी करथे.

पौराणिक कथा - स्कंद पुरान, पद्मम पुरान अऊ श्री मद भागवत में वामन अवतार के कथा बताय गेहे.

एक बार राजा बलि ह एक सौ यज्ञ पूरा करे के बाद स्वर्ग ल छीने बर चल दीस. तब इन्द्र देव ह भगवान विष्णु के तीर में जाके प्रार्थना करथे. तब भगवान विष्णु ह वामन अवतार ले के बाम्हन के भेस में राजा बलि के पास जाथे अऊ तीन पाँव (डंका)जमीन दान में माँगथे. राजा बलि ह तीन पाँव जमीन दे के वचन दे देथे. वामन देवता ह अपन रूप ल बड़े करके अकाश, पताल अऊ धरती ल पूरा नाप के राजा बलि ल रसताल में भेज देथे. ए प्रकार से राजा बलि के घमंड ल चकनाचूर कर देथे. बताय जाथे के राजा बलि ह अपन भक्ति के बल से भगवान ल रात-दिन अपन आघू में रहे के वचन ले लीस. अब भगवान विष्णु ह ओकरे तीर में राहे ल धर लीस.

भगवान ह जब घर नइ आइस त लक्ष्मी माता ल चिंता होगे. तब नारद जी ह उपाय बताइस. ओकरे अनुसार माता लक्ष्मी ह राजा बलि ल भाई बनाके ओला राखी बाँधीस अऊ अपन पति ल माँग के ले लानिस. ओ दिन सावन महिना के पूर्णिमा रिहिसे. तब से राखी के तिहार मनाय जाथे.

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