चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

तुलसी भोई, कक्षा नवमीं, शा.उ.मा.शाला, पंधी, बिलासपुर द्वारा भेजी गई कहानी

भालू और रानी मधुमक्खी

भालू पेड़ की छाँव में बैठा था. उसने देखा कि पेड़ पर मधुमक्खियों का एक बड़ा सा छत्ता है.छत्ते में ढेर सारा शहद था. भाल के मुँह में पानी आ गया और वो सोचने लगा की काश मुझे शहद मुझे खाने को मिल जाए.

उसने कुछ सोचकर रानी मधुमक्खी से बात शुरू की.

भालू:-- रानी कैसी हो? मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.

रानी मधुमक्खी:-हाँ कहो क्या कहना चाहते हो!

भालू :- आपका छत्ता तो बहुत अच्छा है,आप ने इसे बड़ी मेहनत से बनाया होगा. आपकी मेहनत देखकर मुझे बड़ी खुशी होती है.

रानी मधुमक्खी- हाँ वो तो है, पर तुम क्या चाहते हो? साफ-साफ कहो.

भालू- मैंने बैठे-बैठे आपके छत्ते को देखा,तो मुझे लगा उसमें बहुत सा शहद इकट्ठा हो गया है!कहीं ऐसा ना हो कि कोई आपका शहद चुरा ले. इससे तो अच्छा है कि आप किसी दिन जंगल के सभी जानवरों को दावत ही दे दें.

रानी मधुमक्खी भालू के मन की बात समझ गई, उसने कहा हाँ भालू भाई मैं आपकी बात समझ गई हूँ आप का मन शहद खाने को कर रहा है इसलिए आप बातें बना रहे हो.

यह सुनकर भालू शर्मिंदा हो गया.

पर फिर रानी मधुमक्खी ने कहा भालू भाई मैं आपको शहद खाने दे सकती हूँ पर आपको मुझसे एक वादा करना होगा.

भालू खुश होकर बोला हाँ हाँ बताओ! मुझे क्या करना होगा ?

रानी मधुमक्खी बोली मैं आपको रोज थोड़ा-थोड़ा शहद दूँगी,बदले में आपको मेरे छत्ते की रखवाली करनी होगी.

भालू ने कहा अरे वाह यह तो अच्छी बात है.आप मुझे रोज शहद खिलाना और मैं आपके छत्ते की रक्षा करूंगा.

उसके बाद भालू मधुमक्खी के छत्ते की रखवाली करने लगा और रानी मधुमक्खी उसे रोज शहद देने लगी.

डॉ. मंजरी शुक्ला, पानीपत, हरियाणा द्वारा भेजी गई कहानी

गब्बू का शहद

गुब्बारे बेचते हुए गब्बू भालू का पूरा ध्यान पेड़ पर लगे शहद के छत्ते पर ही था.

मधुमक्खियाँ भी भालू की नीयत समझ गई थीं और उन्होंने टॉमी कुत्ते को थोड़ा शहद देकर छत्ते की रखवाली के लिए तैयार कर लिया था.

टॉमी को भी शहद पसंद था वह छत्ते की रखवाली करने के लिए पेड़ के पास ही जमकर बैठ गया था.

गब्बू ने समझ लिया कि वह शहद नहीं खा सकेगा.

तभी वहाँ व्हाइटी खरगोश आया और गब्बू से बोला-'मुझे बीस गुब्बारे दो.'

'इतने सारे गुब्बारों का तुम क्या करोगे ?' गब्बू ने पूछा.

'मैं अपना घर इन रंगबिरंगे गुब्बारों से सजाऊँगा.' व्हाइटी बोला.

गब्बू ने कहा कि - मेरा मन शहद खाने को ललचा रहा है पर वो टाॅमी मुझे छत्ते के पास भी नहीं जाने देगा.'

व्हाइटी ने गुस्सा होते हुए कहा- 'मधुमक्खियाँ दिन रात मेहनत करके शहद तैयार करती हैं और तुम उनका छत्ता तोडना चाहते हो.'

गब्बू अपनी सफाई में कुछ कहने वाला था कि व्हाइटी बोला-' मुझे देखो मैं खुद ज़मीन के अंदर से गाजर खोदकर निकालता हूँ, तब खाता हूँ.'

'अब जल्दी से मुझे गुब्बारे दो.'

गब्बू गुब्बारे गिनने लगा. अब वह भी सोच रहा था कि उसे मधुमक्खियों का छत्ता नहीं तोड़ना चाहि.

तभी व्हाइटी बोला-'इतने सारे गुब्बारे फुलाएगा कौन?तुम मुझे ये हवा भरे गुब्बारे ही दे दो.'

गब्बू कुछ कहता, इससे पहले ही व्हाइटी ने गब्बू के हाथों से गुब्बारों की डोर छीन लीI पर डोर पकड़ते ही व्हाइटी गुब्बारों के साथ हवा में उड़ चला.

गब्बू चिल्लाया-'मना किया था न हवा भरे गुब्बारों को पकड़ने से!'

पर हवा में उड़ता व्हाइटी ख़ुशी से चीख रहा था.

थोड़ी देर तक गुब्बारे हवा के साथ उड़ते रहे फिर अचानक गुब्बारों की डोर पेड़ की टहनी में फँस गई और गुब्बारों के साथ साथ व्हाइटी भी पेड़ पर अटक गया.

गब्बू ने देखा कि पेड़ कि ऊँची डाल पर व्हाइटी लटका हुआ था.

गब्बू उसे बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ने लग.

छत्ते पर बैठी मधुमक्खियों ने सोचा कि गब्बू शहद खाने आ रहा है. मधुमक्खियों ने गब्बू पर हमला बोल दिया.

गब्बू ने मधुमक्खियों को समझाने की कोशिश की कि वह पेड़ पर अटके व्हाइटी को बचाने जा रहा है लेकिन मधुमक्खियों ने उसकी बात सुनी ही नहीं.

मधुमक्खियों के डंक लगने से गब्बू को बहुत दर्द हो रहा था.

उसकी आँखों में आँसूं आ गए और वह बोला-'मेरी बात तो सुनो.'

पर किसी ने गब्बू की बात नहीं सुनी. सब उसे जोर जोर से काट रही थी.

पर गब्बू ने तो छत्ते का कोई नुकसान नहीं किया और पेड़ पर ऊपर की ओर चल पड़ा.

अब मधुमक्खियों ने देखा कि ऊपर की डाल पर व्हाइटी डोर में उलझकर लटका हुआ था. गब्बू ने जाकर डोर में उलझे व्हाइटी को निकाला. व्हाइटी गब्बू के गले लग गया. गब्बू और व्हाइटी नीचे उतर आए.

मधुमक्खियों को अब बहुत दुःख हो रहा था.

मधुमक्खियों की रानी बोली-'हमें गब्बू की बात सुन लेनी चाहिए थी. पूरी बात सुने बिना ही हमने उसे काट लिया.'

'हाँ...वह चाहता तो हमारा छत्ता तोड़ लेता पर उसने ऐसा नहीं किया.' अन्य मधुमक्खियों ने कहा.

दर्द से बेहाल गब्बू चुपचाप अपने घर की ओर चल दिया.

अगले दिन सुबह गब्बू ने जब दरवाज़ा खोला तो व्हाइटी एक बड़ा सा डिब्बा लिए खड़ा था.

गब्बू मुस्कुराते हुए बोला-'हैप्पी न्यू ईयर'

'ये केक मैंने स्पेशल तुम्हारे लिए बनाया है.' व्हाइटी ने गब्बू से कहा.

गब्बू को गाजर का केक बिलकुल पसंद नहीं था पर व्हाइटी प्यार से उसके लिए केक लाया था इसलिए वह डिब्बा खोलने लगा.

डिब्बा खुलते ही गब्बू का मनपसंद 'हनी केक' सामने था. शहद की खुशबू कमरे में फ़ैल गई.

ख़ुशी के मारे गब्बू कुछ भी नहीं बोल पा रहा था.

तभी मधुमक्खियाँ भी वहाँ आ गईं और सबने मिलकर मिलकर गब्बू के मुँह में 'हनी केक' डाल दिया.

गब्बू केक खाते हुए सोच रहा था, दोस्ती सच में बहुत मीठी होती है.'

संतोष कुमार कौशिक द्वारा भेजी गई कहानी

लालची भालू

पेड़ के नीचे बैठे भालू को पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता दिखाई दिया. छत्ता देखकर भालू खुश हो गया. वह सोचने लगा कि किसी तरह खाने को शहद मिल जाए.

भालू ने शहद हासिल करने की तरकीब सोची और उसने रानी मधुमक्खी को आवाज दी.

भालू की आवाज सुनकर रानी मधुमक्खी छत्ते से बाहर आई और बोली -'भालू भैया, क्या बात है क्यों मुझे पुकार रहे हो.'

भालू ने कहा -रानी, मैं इसी वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहा हूँ.आपका छत्ता देखकर सोचा कि आपसे कुछ बात कर लूँ.आप बहुत ही मेहनती हैं, आपके इतना बड़ा छत्ता बनाया है, बहुत सारा शहद भी इकट्ठा किया है.मुझे डर है कि कहीं आपके द्वारा इकट्ठा किए इस शहद को कोई चुरा न ले. इसलिए मेरा एक सुझाव है कि जब आप लोग शहद इकट्ठा करने बाहर जाती हो तो, मैं आपके छत्ते की रखवाली करूँगा. बदले में आप मुझे थोड़ा सा शहद दे दिया करना. आप का छत्ता भी सुरक्षित रहेगा और मुझे भी खाने के लिए शहद मिल जाएगा.'

रानी मधुमक्खी भालू के झाँसे में आ गई और बोली, 'आप ठीक कह रहे हो भालू भैया, मुझे भी डर लगता है कि हमारे शहद को कोई चुरा ना ले. मुझे आपकी शर्त मंजूर है.'

रानी मधुमक्खी ने भालू को शहद खाने को दिया और छत्ते को भालू के भरोसे छोड़कर मधुमक्खियों के साथ पास के बगीचे से फूलों का रस इकट्ठा करने चली गईं.

भालू ने रानी द्वारा दिए शहद को मजे से खाया पर उतने शहद से उसका मन नहीं भरा. भालू के मन में और शहद खाने का लालच आ गया. उसने सोचा कि क्यों न मैं इस छत्ते से पूरा शहद निकाल लूँ. ये मधुमक्खियाँ मेरा क्या बिगाड़ लेंगी ऐसा सोचकर भालू ने छत्ते से सारा शहद निकालकर खा लिया. अधिक मात्रा में शहद खा लेने के कारण उसे नींद सताने लगी और वह पेड़ की छाया में ही सो गया.

इधर रानी मधुमक्खी के मन में आया कि भालू पर एकाएक इतना विश्वास करना ठीक नहीं है. रानी ने साथी मधुमक्खियों को यह पता लगाने भेजा कि भालू छत्ते की रखवाली ठीक से कर रहा है या नहीं ? मधुमक्खियाँ जब अपने छत्ते को देखने पहुँचीं तो देखा कि छत्ता पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है. मधुमक्खियों ने तुरंत यह जानकारी रानी मधुमक्खी को दी. रानी मधुमक्खी ने क्रोधित होकर सभी मधुमक्खियों के साथ भालू पर हमला कर दिया. मधुमक्खियों के आक्रमण से भालू बुरी तरह घायल हो गया और बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर वहाँ से भागा.

अब भालू की सबक मिल चुका था कि दूसरों की चीजों का लालच नहीं करना चाहिए.

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