वायरस के बारे में रोचक तथ्य

रचनाकार- चानी ऐरी

लैटिन भाषा में वायरस (Virus) शब्द का अर्थ होता है विष. क्या आप जानते हैं की उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में इस शब्द का प्रयोग विषाक्त (toxic) रोग पैदा करने वाले किसी भी पदार्थ के लिए किया जाता था. परन्तु अब वायरस शब्द का प्रयोग रोगजनक कणों के लिए भी किया जाता है. वायरस एक संक्रामक कण है जो जीवन और गैर-जीवन की विशेषताओं को प्रदर्शित करता है. वायरस, संरचना और कार्य में पौधों, जानवरों और बैक्टीरिया से भिन्न होते हैं. वे कोशिका नहीं होते हैं और स्वयं को दोहरा नहीं सकते हैं. हालांकि आम तौर पर वायरस केवल 20-400 नैनोमीटर तक होते हैं.

सर्वप्रथम सन् १७९६ में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक, विषाणु के कारण होता है. उन्होने चेचक के टीका का अविष्कार भी किया.

वायरस के बारे में रोचक तथ्य

1. क्या आप जानते हैं कि सबसे छोटा वायरस टोबैको नेक्रोसिस वायरस (Tobacco necrosis virus) है जिसका परिमाण लगभग 17 nm होता है. इसके विपरीत सबसे बड़ा जन्तु वायरस (Animal virus) पोटैटो फीवर वायरस (Potato fever virus) है लगभग 400 nm.

2. लाखनऊ के पेलियोबोटनी संस्थान में 3.2 बिलियन वर्ष पुरानी चट्टान में सायनोबैक्टीरिया के जीवाश्म रखे हैं.

3. जीवाणुभोजी (Bacteriophage) की खोज टूवार्ट (Twart) एवं हेरिल ने की थी. ऐसे विषाणु या वायरस जो जीवाणुओं में प्रवेश करके बहुगुणन (Multiplication) करते हैं उन्हें जीवाणुभोजी या बैक्टीरियोफेज कहते हैं.

4. वायरस के प्रोटीन कोट को कैप्सिड (Capsid) कहते हैं.

5. बॉडन (Bawden) व डार्लिंगटन (Darlington) ने बताया कि वायरस न्यूक्लियोप्रोटीन से बने होते है.

6. वायरॉइड्स (Viroids) वायरस के छोटे रोगजनक हैं. इनमें वायरस के समान प्रोटीन कोर नहीं पाया जाता है. केवल आर.एन.ए से बनी इन रचनाओं को मेटावायरस (Metaviruses) भी कहते हैं.

7. सायनोबैक्टीरिया को प्रथम प्रकाश-संश्लेषी जीव माना गया है.

8. रेबीज या हाइड्रोफोबिया के वायरस में सिंगल स्ट्रेन्डेड RNA पाया जाता है.

9. चेचक (Small Pox) के वायरस में डबल स्ट्रेन्डेड DNA पाया जाता है.

10. क्या आप जानते हैं कि वायरस का संक्रामक भाग न्यूक्लिक अम्ल है.

11. वायरस को क्रिस्टल के रूप में सबसे पहले प्रथक करने का क्ष्रेय स्टेनले को है.

12. विषाणुओं या वायरस पर प्रतिजैविकों (antibiotics) का प्रभाव नहीं होता है क्योंकि विषाणुओं में स्वयं की उपापचयी क्रियाएं नहीं होती तथा ये सदैव पोषी कोशिकाओं में रहते हैं अत: प्रतिजैविक का जहरीला प्रभाव पोषी कोशिका पर ही होता है.

13. सामान्य रूप से होने वाला जुकाम (common cold) Rhinovirus के कारण होता है.

14. एड्स वायरस (AIDS virus) का पूरा नाम Acquired Immune Deficiency Syndrome है. यह रोग वायरस द्वारा होता है. एड्स रोग फैलाने वाले विषाणुओं को निम्न विभिन्न नामों से जाना जाता है:

  • - Human T lymphotropic Virus III (HLV-III)
  • - Lymphadenopathy associated virus (LAV)
  • - AIDS related retrovirus (ARV)

15. गंगा नदी के जल में असंख्य जीवाणुभोजी उपस्थित होते हैं. ये नदी के प्रदूषित जल में उपस्थित रोगजनक जीवाणुओं (Pathogenic bacteria) को नष्ट कर देते हैं. अत: ये अपमार्जक (Scavanger) का कार्य करके गंगा नदी के जल को शुद्ध बनाए रखते हैं.

यधपि वायरस का नाम लेते ही ब्यांक रोगों की याद आने लगती है, फिर भी वायरस का उपयोग लाभदायक कार्यों में भी संभव है जैसे हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए बैक्टीरियोफेज का प्रयोग किया जाता है.

इनके द्वारा जल को सड़ने से बचाया जा सकता है आदि.

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