चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर हमें कहानियाँ प्राप्त हुई हैं, जो हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं –

हाथीराजा

लेखक- सुभाष राजवाडे़, कक्षा- 9वीं, शा उ मा वि कनकी, करतला, कोरबा

कोरबा जिले के कनकी गांव के पास एक छाता नाम का घना जंगल था. जिसमें शेर, हाथी, जिराफ, बंदर और अनेक प्रकार के जीव-जंतु रहते थे. उस जंगल में रहने वाले जीव-जंतु एक-दूसरे से हमेशा प्रेम की भावना रखते थे. वे कभी भी एक दूसरे का अहित नहीं होने देना चाहते थे. वे हमेशा एक दूसरे की मदद किया करते थे. एक वर्ष अचानक उस जंगल में अकाल पड़ गया. सभी जानवर भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे और भूख के मारे तड़प रहे थे. उस जंगल में एक बड़ा सा तालाब भी था जिसमें एक मगरमच्छ रहता था. वह मगरमच्छ दिनभर पानी में रहता था लेकिन जब अकाल के कारण तालाब का पानी सुख गया वह पानी के बिना तड़पने लगा, उसका हाल बेहाल हो गया था. तालाब से बाहर आकर जानवरों को खाने लगा. छोटे जानवरों ने एक बुढ़े हाथी से शिकायत की जो बहुत ही बुद्धिमान और सज्जन हाथी था. उसने अकाल पड़ जाने के कारण के बारे में विचार विमर्श करना शुरू किया तो उसे समझ आया कि यह सब इंसानो के द्वारा पेड़ों की लगातार कटाई करने के कारण हो रहा है. उस सज्जन हाथी ने जंगल में एक सभा बुलाई और कहा कि जंगल में अकाल पड़ने का कारण मनुष्यों के द्वारा वृक्षों की लगातार कटाई है. हमें लोगों को जंगल में आने से रोकना होगा ताकि वे इस जंगल के वृक्षों को ना काट सके. उन्होंने लकड़हारों को डराया. शेर ने अपनी भयानक गुर्राहट से लोगों को भयभीत कर दिया जिससे कि लोगों का जंगल में आना बंद हो जाए. ग्रीष्म ऋतु खत्म ही होने वाला था. जैसे वर्षा ऋतु प्रारंभ हुआ, उस जंगल के सारे जीवों ने पेड़ लगाना शुरू कर दिया जिससे कि जंगल फिर से घना हो जाए. देखते ही देखते जंगल एक हरे - भरे एवं घने जंगल के रूप में परिवर्तित हो गया. अब अकाल की समस्या का निपटारा हो गया. उस जंगल के जानवरों को भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकना भी बंद हो गया. सभी जीव-जंतु दोबारा प्रसन्न होकर आनंदपूर्वक जीवन बिताने लगे. फिर उस जंगल की रक्षा के लिए सभी जानवरों ने सज्जन हाथी को वहां का मुखिया चुन लिये. सज्जन हाथी ने सभी जानवरों को उनके अलग - अलग कार्यो के बारे में जानकारी दी और सभी को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में बताया. अब वहाँ सभी जीव-जन्तु खुशी-खुशी जीवन बिताने लगे और प्रसन्न मन से अपने - अपने कार्यो को सुचारू रूप से करने लगे.

जैसीकरनीवैसीभरनी

लेखक- संतोष कुमार कौशिक

एक जंगल का राजा हाथी रहता है. जिसके निर्देशन में उस जंगल के सभी जानवर व जीव-जंतु खुशी से अपने जीवन निर्वाह करते हैं. कुछ दिन पश्चात लोमड़ी और शेर दूसरे जंगल से भागकर आता है, जो अपने आप को असहाय वह दुःख दर्द की कहानी बता कर उस जंगल में रहने के लिए राजा से प्रार्थना करते है. फल स्वरुप राजा हाथी को उस पर दया आ जाती है. राजा हाथ अपने साथी जानवर से कहते हैं “बेचारे लोमड़ी और शेर दूसरे जंगल से हमारे जंगल में सहारा लेने के लिए आए हैं,असहाय व दुःखी है अगर हम एक दूसरे के दुःख को नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा. 'यह कहते हुए अपनी जंगल में उन दोनों को रहने के लिए आदेश देता है. जंगल के सभी जानवर अपने राजा के फैसले को मान्य करते हुए भाई-चारा से सभी उस जंगल में जीवन व्यतीत करते हैं.

कुछ दिन पश्चात जंगल में रहने वाले दूसरे जानवर अपने राजा हाथी से शिकायत करते हैं कि हमारे जंगल में छोटे-छोटे जीव-जंतु जैसे -चूहा, खरगोश,बिल्ली आदि दिखाई नहीं दे रहे हैं साथ ही दूसरे जंगल से भाग कर आए हुए लोमड़ी और शेर का व्यवहार उचित नहीं लग रहा है.

इधर राजा हाथी को चिंता हो रही थी कि जंगल में बारिश नहीं पड़ रही है. हर जगह बारिश हो रही है लेकिन हमारे जंगल में बारिश नहीं हो रही है जैसे कोई परीक्षा ले रहा है. इस वजह से जंगल धीरे-धीरे सूखने लग गया जंगल कला विहीन हो गया है. शाकाहारी जानवरों को खाना न मिलने के कारण भूख से बुरा हाल हो गया है. किस्मत में यही लिखा है,ऐसा सोचकर सूखे पत्तों से काम चलाने लगा. इस अकाल के बारे में चर्चा करने के लिए राजा हाथी के निर्देशन में जंगल के सभी जानवर एक जगह इकट्ठे हुए.

राजा हाथी ने कहा ”पता नहीं क्यों हर जगह बारिश हो रही है. लेकिन हमारे जमीन पर नहीं कुछ गड़बड़ लग रहा है. जिराफ जी इस समस्या का क्या हल है? ”जिराफ ने कहा-' राजा जी ! महर्षि मगर हमारे जंगल में धर्म के ज्ञाता है वह ही कुछ इसके बारे में बता सकते हैं. 'सभी जानवर महर्षि मगर से इसके बारे में बताने के लिए प्रार्थना करते हैं. महर्षि मगर ने थोड़ी देर अपनी आंखें बंद कर ली,फिर आंखें खोल कर कहा -'जंगल का मतलब है निर्मल और पवित्र जगह,जहाँ गंदगी केलिए कोई जगह नहीं है. जंगल में अच्छे जानवरों का रहना ही नियम है हमारे जंगल में इस नियम को तोड़ा गया है इसलिए बारिश नहीं हो रही है. 'हम सभी को बादल के पास जाकर अपना दुःख बताना चाहिए.

राजा ने उसके सलाह को उचित मानते हुए सभी जानवर के साथ दूसरे दिन सुबह जंगल पर छाए बादल से पूछने लगे-“हे बादल! तुम हमसे इस तरह नाराज क्यों हो गए हो,तुम्हारे दया से हमारा पेट भरता है,हमारे ऊपर क्रोध ना करो, शांत हो जाओ. ” बादल ने कहा-' हे राजा! आपके पवित्र जंगल में द्वेष,जलन, भेदभाव और दूसरे जानवरों को परेशान करने वाला जानवर है. आपका जंगल अपवित्र हो गया है. कुछ मूर्ख इस जंगल में घूम कर इसे अपवित्र कर रहा है. यह सब बहुत दिनों से चल रहा है, मुझे सहन नहीं हो रहा है इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूं. जंगल में जब शांति होगी तभी बारिश होगी. राजा पूछते हैं वे कौन हैं बताओ बादल. वह कहता है “वे दो हैं. वे दोनोंअपनी गलती स्वीकार कर प्रायश्चित करे तो जंगल पहले की तरह हो जाएगा. ”सभी जानवर, दूसरे जंगल से आए हुए लोमड़ी और शेर को आश्चर्य से देखतें हैं.

लोमड़ी और शेर डर से कांपते हुए हाथ जोड़कर सभी को बताते हैं कि हम लोगों के द्वारा ही छोटे-छोटे जीव जंतु का भक्षण किया जाता था. हाथी राजा को हानि पहुंचाकर जंगल का राजा बनना चाहते थे. वास्तव में हम दोनों ने बहुत पाप किए हैं हमारी गलती क्षमा करने योग्य नहीं है. जिस राजा ने हमें आश्रय दिया उसी को मारने के लिए षड्यंत्र कर रहे थे इसलिए हमें जीने का कोई अधिकार नहीं यह कहते हुए पहाड़ की ओर दोनों भाग जाते हैं और फिर वह कभी वापस नहीं आते. उन दोनों जानवर के भाग जाने के पश्चात जंगल में बारिश होने लगती है और जंगल में चारों तरफ हरियाली छा जाती है. जानवरों की जिंदगी में फिर से सुख शांति आ जाती है.

शिक्षा:- कोई भी प्राणी जो भी अच्छा या बुरा कर्म करता है. उस कर्म के अनुसार उसका फल एक दिन अवश्य उसे मिलता है..

लेखक- अतुल वर्मा, कक्षा - सातवीं, शासकीय प्राथमिक शाला सुलौनी

एक जंगल में एक शेर रहता था. उससे ताकतवर कोई नहीं था, जब कोई जानवर उस जंगल में आता तो उसका गर्दन दबोच कर खा जाता था. एक दिन उस जंगल में चार मित्र हाथी, बंदर, जिराफ और मगरमच्छ आए और वहीं रुक गए. चारों उस जंगल में खुशी से रहने लगे. एक बार बंदर ने जामुन खाते-खाते उस शेर को एक हिरण को खाते देखा,तो वह सोचने लगा कि वह हमें भी खा जाएगा. उसके बाद बंदर ने हाथी, जिराफ और मगरमच्छ को बताया. शेर के डर से जिराफ उस जंगल से चलने को कहा. हाथी और मगरमच्छ ने भी जाने के लिए हामी भर दी, किंतु बंदर ने बोला- हम शेर के डर से नहीं भागेंगे, तब हाथी गुस्से से बोला- हम उतना ताकतवर नहीं है. शेर झाड़ी में छुपकर सब कुछ देख रहा था,फिर वहां से चला गया. दूसरे दिन शेर ने उस बंदर को देखा और बोला- कि मैं तुम्हें खा जाऊंगा. बंदर ने एक चाल चली, तुम तो यहां के राजा हो तो तुम उस दूसरे शेर को मार दो फिर शेर बोला- तुम किस शेर की बात करते हो. तुम मुझे उस शेर के पास ले चलो उसे मारने के बाद तुम्हें खाऊंगा. बंदर शेर को तालाब के पास ले जाकर बोला- मुझे प्यास लगी है. पानी पीने के बहाने मगरमच्छ को ताक में बैठने को कह कर शेर से बोला- आप भी पानी पी लीजिए फिर आगे बढ़ेंगे. जैसे ही शेर पानी पीने के लिए तालाब में झुका मगरमच्छ ने शेर को अपनी जबड़ों में जकड़ लिया और मार डाला. इस प्रकार चारों दोस्तों की सूझबूझ,चतुराई और एकता की वजह से जान बच गई. फिर चारों खुशी-खुशी उसी जंगल में रहने लगे.

घमंडी मगरमच्छ

लेखक- विहान सिंह कंवर, कक्षा- दूसरी

एक जंगल था. उस जंगल में बहुत सारे जानवर शेर, हाथी भालू, हिरण,मगरमच्छ, जिराफ बाज,आदि बहुत से जानवर रहते थे. जंगल में एक ही तालाब था. जिसमें एक मगरमच्छ रहता था,जो बहुत ही घमंडी और बहुत ही क्रूर था. वह अपने आप को तालाब का राजा समझता था. जंगल के किसी भी प्राणी को वह तालाब में पानी नहीं पीने देता था. जो भी उस तालाब में पानी पीने जाता था वह उसे मार कर खा जाता था.

धीरे धीरे उस जंगल में जानवरों की संख्या घटने लगी. और देखते-देखते गर्मी का दिन भी आ गया. जिसे सभी जानवरों के सामने समस्या और गंभीर हो गई. जंगल के राजा शेर ने अचानक ही एक सभा बुलाई, और इस विषय पर चर्चा शुरू की. उन्होंने अपने मित्र बाज को भी इस सभा में बुलाया और उससे आग्रह किया कि मित्र यहां तो हम लोगों का जीना बड़ा दुभर हो गया है, तो कृपा करके तुम पास के जंगल में जाओ और वहां पता करके आओ कि वहां पानी के तालाब और है कि नहीं. बाज तुरंत अपने मित्र राजा शेर की आज्ञा मानकर पास के जंगल में गया, और आकर वहां की खबर राजा को बताई, की पास के जंगल में तो बहुत सारे ऐसे तालाब हैं.

तब जंगल के राजा शेर ने उपस्थित सभी जानवरों से कहा कि अब हमारा यहां रहना ठीक नहीं है यदि हम यहां रहेंगे तो प्यास के मारे मर जाएंगे और यदि पानी पीने जाएंगे तो मगर हमें मार डालेगा. इससे अच्छा तो यह होगा कि अब यह जंगल छोड़कर पड़ोस के जंगल में चले जाएं. सभी अपने राजा के इस निर्णय पर अपनी सहमति जताते हुए चलने को तैयार हो जाते हैं. और फिर दूसरे दिन सभी जानवर पास के जंगल में चले जाते हैं. दिन पर दिन बीतता जाता हैं इधर मगरमच्छ भी हैरान रहता हैं कि आजकल यहां पानी पीने कोई क्यों नहीं आता मैं किसे खाऊं. और वह कई दिनों से भूखा ही रह जाता है. भूख के कारण धीरे-धीरे उसकी प्राण ही निकल जाती है. इस तरह वह मर जाता है. और तालाब उस मगरमच्छ से मुक्त हो जाता है. फिर एक दिन राजा शेर अपने मित्र बाज को भेज कर उस जंगल के तालाब का पता लगाने के लिए कहता है. बाज वहां जाता है और देख कर वापस आकर राजा को पूरी खबर बताता है. कि अब वह तालाब मगरमच्छ से मुक्त हो चुका है हम पुनः अपने घर जा सकते हैं. यह खबर सुनकर अन्य सभी जानवर खूब खुश हो जाते हैं. और खुशी-खुशी अपने घर की ओर वापस आ जाते हैं.

शिक्षा:- हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए.

लालची मगरमच्छ

लेखक- शानू पटेल कक्षा आठवीं, शा.पूर्व मा.शाला चंगोरा भाटा, रायपुर

एक समय की बात है. जंगल में एक पेड़ के नीचे चार दोस्त हाथी जिराफ बंदर और शेर रहते थे. आपस में कभी लड़ाई नहीं करते थे. उनका एक और मित्र भी था मगरमच्छ, जो बहुत कम आना-जाना करता था,क्योंकि अधिकतर समय उसे पानी में रहना पड़ता था. हाथी हमेशा जंगल से कंदमूल फल और केले आदि तोड़कर अपने दोस्तों के लिए लाया करता था और सभी बैठकर मज़े से बातें करते हुए उसे खाते रहते थे शेर भी मजे लेता था तथा समय होने पर वह अपने शिकार के लिए चला जाता था. तब एक दिन बंदर ने आम के पेड़ में कुछ पके हुए आम देखे तो उसे अपने दोस्तों की याद आ गई और वह बहुत सारे पके हुए आम तोड़कर लेकर आया और उसे छिपा कर रख दिया, ताकि वह अपने दोस्तों को अचानक अचंभित कर सके.

जब शाम को सभी दोस्त बैठे तब वह कहने लगा आज मैं भी कुछ सभी के लिए लेकर आया हूं देख कर तुम लोग खुश हो जाओगे ऐसा कहकर वह अपनी छुपाई हुई जगह पर पके आम खोजने लगा पर उसे नहीं मिला तब उसने कहा मेरे आम कौन ले गया,उसी समय मगरमच्छ वहां पर नदी के किनारे तैरते हुए आ गया और वह बोला मेरे पेट में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है मुझे कुछ दवाई दो कब बंदर को याद आया कि आम छुपाते वक्त मगरमच्छ ने देखा था उसने कहा तुम लालच में आकर हमारे सभी आमों को खा लिए और इसीलिए तुम्हारे पेट में दर्द हो रहा है.

फिर बंदर नहीं नीम के पत्तों को कूटकर उसका रस मगरमच्छ को पिलाया और मगरमच्छ का पेट दर्द ठीक हो गया और उसने अपने दोस्तों से माफी मांगी तथा कहा लालच का फल बुरा होता है यह मैंने आज जाना है.

लेखक- वसुन्धरा कुर्रे

एक बंदर रहता था. जिसका नाम दीनू था. वह बहुत ही चतुर निडर साहसी और दयालु था वह किसी भी चीज से नहीं डरता था बिंदास जंगल में घूमता फिरता था.

एक दिन उसकी मुलाकात एक जिराफ से हो गयी जिराफ शांत चुपचाप बैठा था दीनू उसे देख कर बोला भैया जिराफ भैया क्यों उदास हो जिराफ इधर उधर देखा कहीं कोई नहीं था फिर आवाज को ध्यान से सुनते हुए जिराफ ने पेड़ की ओर देखा पेड़ पर दीनू बंदर बैठा था जिराफ बोला क्या हुआ भाई क्यों पूछ रहे हो तब दीनू बोला आप गुमसुम क्यों हो तब जिराफ बोला क्या बताऊं भाई मैं अपने झुंड से अलग हो गया हूं दूर-दूर तक मेरे झुंड नहीं दिखाई दे रहे हैं अब मैं क्या करूं यह सुनकर दीनू बोला कोई बात नहीं मैं आपके साथ हूं आप आज से मेरे दोस्त हो मैं ऊंचे ऊंचे पेड़ पर चढ़कर दूर-दूर तक देखकर आपके झुण्ड को खोज निकाल लूंगा तब तक आप मेरे साथ रहना दोनों अच्छे से रहने लगे इनके बात को सुनकर पीछे झाड़ियों के झुरमुट में एक हाथी छिपा सुन रहा था कि देखो एक छोटा सा जानवर इस जिराफ को कैसे धर्य देकर अपना दोस्त बना लिया है या सुनकर हाथी के दिमाग में मन में विचार आने लगा और फिर सामने आया धीरे-धीरे दीनू और जिराफ के पास आ गया हाथी बोला आप दोनों की दोस्ती बहुत ही बढ़िया है मैं आप दोनों की बात सुन रहा था मुझे बहुत ही अच्छा लगा मुझे भी अपना दोस्त बना लो यह सुनकर दीनू और जिराफ फूले नहीं समाए एक से दो भला भला दो से आज हम तीन हो गए यह कह कर बहुत खुश हुए सभी एक साथ मिलकर रहते खाते पीते खेलते कूँदते एक ही जगह पर रहते इस तरह से उनकी मित्रता चलती रही थी

एक दिन यह तीनों पानी पीने नदी के किनारे गए वहां पर एक मगरमच्छ बैठा हुआ था उसे देख कर तीनो डर गए और पानी के पास नहीं गए दूर से ही उसके जाने का इंतजार करने लगे पर वह नहीं गया मगरमच्छ इन की तीनों की दोस्ती देखकर खुश हो गया और मन ही मन सोचने लगा कि मैं इतनी अच्छी दोस्ती आज तक नहीं देखा काश ऐसे ही मेरे भी दोस्त होते हैं मैं कहां इस पानी में दिन रात घुसा रहता. ऐसा सोच कर उसे दुख हुआ और मगरमच्छ से रहा नहीं गया उसने तीनों से दोस्ती करने की बात कही तब तीनों ने विचार करने लगे कि हम इन से दोस्ती करेंगे तो हमें क्या फायदा होगा वह ना तो हमारे साथ कहीं जा सकता है और नहीं हमारे जैसा खा पी सकता है यह तो मांस खाने वाला है ऐसा वे सोचने लगे लेकिन दयालु दीनू से रहा नहीं गया उसने मगरमच्छ से दोस्ती की हामी भर दी अब चारों दोस्त बन गए चारों एक साथ नदी किनारे ही रहते खाते पीते एक साथ खेलते कूदते इस तरह से भी रहने लगे

एक दिन एक शेर नदी किनारे पानी पीने आया तो उसने देखा कि यह चारो नदी किनारे इतने मस्त खेल रहे हैं इनकी दोस्ती बहुत अच्छी है यह देख कर शेर जलने लगा और जिराफ को मारने की ताक में लगा रहने लगा रोज वह कुछ ना कुछ करता लेकिन दीनू बंदर पेड़ से ही उसका गतिविधि को देखकर समझ जाता, दीनू और हाथी दोनों मिलकर जिराफ को बचा लेते हैं इस तरह से वे अपने दोस्त की मदद करते हैं

दिन की बात है जंगल में आग लग जाती है सभी जानवर इधर उधर भागने लगते हैं तब दीनू जिराफ और हाथी चिंता में पड़ जाते हैं की अब हमारा क्या होगा यह विचार तीनों मिलकर करते हैं यह सुनकर उनका मित्र मगरमच्छ उनको चिंता ना करने की बात कहता है की मेरे रहते चिंता करने की जरूरत नहीं है मैं आप लोगों का सच्चा मित्र हूं मैं आपको नदी के उस पार एक जंगल है वहां तक पहुंचा दूंगा आप लोग मेरे रहते चिंता मत करो यह बात वह शेर सुनते रहता है वह भी आकर इन चारों के पास अपनी गलती की माफी मांगने लगता है और अपनी जान बचाने की बात उनके सामने कहता है मगर वे नहीं मानते तब से उनकी पैरों पर गिरकर माफी मांगता है और कहता है कि हम शेर बिना मांस खाए नहीं रह सकते इस कारण मुझे अन्य जानवरों को मारना पड़ता है मुझे माफ कर दो अब मैं किसी भी जानवरों को नहीं मारूंगा मुझे माफ कर दो मुझे माफ कर दो यह सुनकर दीनू बंदर से रहा नहीं गया आर शेर को माफ कर दिया फिर फिर मगरमच्छ बोला आप सभी मेरे पूछ को पकड़ लेना और मैं नदी के रास्ते आप लोगों को इस पार से उस पार पहुंचा दूंगा ऐसा कह कर सभी नदी किनारे पहुंच गए सबसे पहले मगरमच्छ की पूँछ को बंदर और बंदर की पूंछ को जिराफ और जिराफ के पूछ को हाथी और हाथी की पूंछ को शेर कसकर पकड़ लेते हैं इस तरह से मगरमच्छ धीरे-धीरे उन सबको नदी के पार पहुंचा देता है और उस पार पहुंचकर सभी मगरमच्छ को धन्यवाद देते हैं और सभी दोस्त मिलकर नदी के उस पार वाले जंगल में एक साथ रहने लगते हैं इस तरह से मुसीबत में जो काम आए वह सच्चा मित्र होता है.

अब नीचे दिये चित्र को देखकर एक बढ़िया सी कहानी स्वयं या अपने बच्चों को चित्र दिखाकर लिखने का अवसर दें और हमें ई-मेल से kilolmagazine@gmail.com पर भेज दें. अच्‍छी कहानियां हम किलोल के अगल अंक में प्रकाशित करेंगे.

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