कोरोना के कहर

रचनाकार- महेन्द्र देवांगन माटी

वाह रे कोरोना - सब जगा होगे हे रोना.

आज देश विदेश सबो जगा एक्केच बात के चरचा हे. वो हरे कोरोना वायरस के. कोरोना वायरस के कहर ह चीन से निकल के दुनिया के 122 देश में फैल गेहे. माने जाथे के येहा अब तक के सबले बड़े कहर बरपाने वाला वायरस हरे. एकर चपेट में आ के लगभग 5000 ले जादा आदमी मन अपन जान गँवा चुके हे. ये बहुत बड़े चिंतनीय बात हरे. विश्व स्वास्थ्य संगठन (W H O) ह येला महामारी घोषित कर चुके हे. आदमी मन ल सावधानी बरते के निर्देश बार - बार सरकार ह देवत हे.

कोरोना वायरस का हरे -- कोरोना वायरस ह एक अइसे सूक्ष्म वायरस हरे जेहा आदमी के शरीर में पहुंच के बहुत जल्दी अपन प्रभाव देखाथे. सबले पहिली येहा चीन के वुहान नगर से शुरू होइस अउ दुनिया भर में तेजी से फैल गेहे.

एकर अभी तक कोनों पक्का इलाज नइ निकले हे. वैज्ञानिक मन एकर बारे में बहुत शोध करत हे. ये वायरस ल इबोला, सार्स, अउ स्वाइन फ्लू जइसे वायरस ले कोरोना ल सबले जादा खतरनाक वायरस माने जावत हे.

बीमारी के लक्षण-- कोरोना वायरस के लक्षण सर्दी, खाँसी, बुखार, गले में खराश, साँस ले में तकलीफ इही एकर लक्षण हरे. ये बीमारी ह हवा के माध्यम से एक दूसर में बहुत जल्दी फैल जथे. एकर से बचे बर सावधानी बहुत जरूरी हे. सर्दी खाँसी बुखार आय ले तुरंत डाक्टर के तीर इलाज करवाना चाहिए.

कोरोना वायरस ले बचे के उपाय--

(1) हाथ, गोड़, मुँहू ल अच्छा से साबुन में धोना चाहिए.

(2) खाँसी या छींके के बेरा अपन मुँहू में रुमाल रखना चाहिए.

(3) सर्दी खाँसी बुखार आय ले तुरंत डाक्टर कर इलाज कराना चाहिए.

(4) भीड़ भाड़ जगा में नइ जाना चाहिए.

(5) एक दूसर से हाथ मिलाय ले बचना चाहिए. येकर बदला नमस्ते करके अभिवादन करना चाहिए.

(6) जगा - जगा थूकना नइ चाहिए.

(7) अपन मुँहू में रुमाल या कपड़ा बाँध के चलना चाहिए.

ये सब सावधानी सबझन ल बरतना चाहिए.

सावधानी ह ही एकर बचाव के उपाय हरे. आदमी ल जतेक जादा हो सके सावधानी बरतना चाहिए.

हमर देश में जादा डरे के बात नइहे. तभो ले अपन तरफ से सावधानी बरतना जरुरी हे.

तब कतको आय कोरोना - नइ परे हमला रोना.

हमर अघवा क्रांतिकारी - मंगल पांडे

रचनाकार- खेमराज साहू

अंगरेजी शासन के विरोध म लंबा संघरष के बीड़ा उठाइया हमर अघवा क्रांतिवीर मंगल पांडे के जनम 19 जुलाई 1827 गांव नगवा, जिल्ला बलिया, उत्तर प्रदेश में होय रिहीस. जवानी म 22 बछ्छर के होइस, तहाने सयनिक म भरती हो गे. उहू दिन म छावनी मन म गुलामी के आगि हर सुलगत रहाय. अंग्रेजन मन जानत रहाय हिन्दुआ मन गउ माता ल पवित्र मानते, अउ मुसलमान मन सूरा ले घिरना करथे. तभो ले वोह मन उही कारतूस ल सयनिक मन ला देवे. गउ अउ सूरा के चर्बी ल मिलाय रहे, जेला चलाय बर अपन मुहु ले चाबके खोले बार पड़थे. अइसने अब्बड़ दिन ले चलत रहिस, एकर जानबा सयनिक मन ला नई रहाय.

मंगल पांडे उही बेरा म बैरकपुर 34 वी हिंदुस्तानी बटालियन म तयनात रहाय. उहा पानी पीआइया एक झन हिन्दुआ रहाय. जेहा एकर जानबा

सयनिक मन ल बता दीस, जेकर सेती सयनिक मन भड़क गे. मंगल पांडे ल नई रहे गिस अउ 29 मार्च 1857 के दिन विद्रोह कर दिस. एक झन भारतीय हवलदार मेजर हा जाके सार्जेंट मेजर ह्यूसन ल सब बात ल बता दिस. येला सुनके मेजर हा घोड़ा म बइठ के छावनी डहर चल दीस. उहा मंगल पांडे हा सयनिक मन ला भड़कावत रिहीस कि 'अंग्रेजन मन हमर धरम ला बिगाढ़त हाबे. हमन ला ओकर नौकरी चाकरी ल छोड़ देना चाही. मेहा परतिज्ञा लेवत हाओ जेन भी अंग्रेजन मनला देख ले हूँ ओला मेहा जान ले मार देहूँ'. सारजेंट मेजर ह्यूसन हा सयनिक मन ला आदेश दे दीस -'जाहूँ अऊ मंगल पांडे ला पकड़ के ला हूँ '. उही बेरा म मंगल पांडे ह धर के मेजर के छाती मा गोली मारके छेदा छेदा कर दीस. मेजर के लाश ह घोडा के तरी में गिर गे. गोली के आवाज़ ला सुनके एक झन अंग्रेजन लेफ्टिनेंट उहा पहुंच गे. मंगल पांडे ह ओकरो ऊपर घलो गोली चला दिस. उही बेरा म ओहा घोडा ले कूदके भागत रहाय, तभ्भे ओकर ऊपर झपट्टा मारके तलवार ले ओखरो काम तमाम कर दिस

लेफ्टिनेंट के सहायता बर एक झन सार्जेंट मेजर हा आगे, उहू ल मंगल पांडे ह मार दिस. चारो डहर हल्ला मच गे. 34 वी पल्टन के कर्नल हीसर हा सयनिक मन ला पकडेबर आदेश दे दीस पर ओला पकडेबर तइयार नई होइस. फेर ओला पकडे बर अंग्रेजी सेना ला बलाइस अउ मंगल पांडे ल चारो कोती ले घेर लिस. मंगल पांडे ह समझगे अब बाचना मुस्कल हो गेहे, तभ्भे अपन बन्दूक ले अपन ऊपर गोली चला दीस. तब्भो ले नई मरिस. घायल हो के गिर पड़िस अउ अंग्रेजन सेना मन ओला पकड़ लिस.

आगू दिन मंगल पांडे ल सैनिक कचहरी में मुकदमा चलाये गिस तब्भे मंगल पांडे हा बोलिस ' मेहा अंग्रेजन मन ला अपन देश के भाग्यविधाता नई मानो अपन देश ला आजाद करवाना अपराध हाबे तब मेहा हर दंड ला भुगते बर तैयार हबो. नियाव करयेया न्यायधीश ह ओला फांसी के सजा दे दीस. एकरबार 18 अप्रैल के दिन ल नेमे रहिस. तभो ले अंगेजन मन ल देश भर म विद्रोह ल डर्रा के घायल मंगल पांडे ला 8 अप्रैल 1958 के दिन अघवा के फांसी दे दीस. बैरकपुर छावनी म ओला काहू भी ह फांसी दे बार मना कर दीस. तब कलकत्ता के जल्लाद ला बलाइस.

मंगल पांडे ह क्रांति के जे जोत ल जला हे ;ओला आघू म 1857 में बड़े रूप धरके स्वाधीनता संग्राम के रूप धर लिस 15 अगस्त 1947 के दिन हमरदेश हा स्वाधीन होगे. तब ले हमर अघवा क्रन्तिकारी मंगल पांडे के बलिदान ल हजारो बछर ले याद रखे जाहि.

धरती दाई के रतन बेटा,
मंगल तोर नाम.
गाड़ा गाड़ा जोहार हे तोला,
तेहा देश बर आएस काम

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