छत्तीसगढ़ी बालगीत
गाजर
रचनाकार- प्रिया देवांगन 'प्रियू'
छन्न पकैया छन्न पकैया, गाजर हवला खाबो,
मीठा-मीठा सुग्घर संगी, अबड़ मजा हम पाबो.
छन्न पकैया छन्न पकैया, भरे विटामिन रहिथे,
खाये ले ताकत हर आथे, अइसन दाई कहिथे.
छन्न पकैया छन्न पकैया, अबड़ फायदा होथे,
जाड़ा महिना खेती बाड़ी, संगवारी मन बोथे.
छन्न पकैया छन्न पकैया, चलो बिसा के लाबो,
ताजा-ताजा गाजर ला हम, काट-काट के खाबो.
छन्न पकैया छन्न पकैया, गुरतुर-गुरतुर लागे,
खाये गाजर जेहर भैया, ओकर सुस्ती भागे.
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मोर छत्तीसगढ़ महतारी
रचनाकार- मनोज कुमार पाटनवार
तोर कोरा मा बाढ़े लइका सियान हे
लईका पढ़ लिख के बनत विद्वान हे
तोर माटी म जनमे सपूत महान हे
आजादी बर गंवाईच अपन जान हे
सुन्दर, हनुमान सिंह, वीरनारायण सुजान हे
धरती के बढ़ाइस गजब उन मन मान हे
चारों कोति नदियाँ के धार बोहात हे
महानदी, अरपा, हसदो, शिवनाथ कहात हे
इहाँ के माटी डोरसा, मटासी, कन्हार हे
धान कोदो राहेर अउ कुसियार हे.
सबो फसल के उत्पादन ल बढ़ावत हे
तभे छत्तीसगढ़ धान के कटोरा कहावत हे.
तोर कोरा मा जंगल, पहाड़, घाट हे
प्राकृतिक सुंदरता चैतुरगढ, सतरेंगा, मैनपाट हे
तोर कोरा मा डोंगरगढ़ बम्लेश्वरी दाई हे
चंदरपुर चन्द्रहासिनी, रतनपुर महामाई हे
तोर कोरा मा लोहा कोयला के खान हे
इही पाय के छत्तीसगढ़ बर अभिमान है.
करमा, ददरिया, रिलो करमा के पहचान हे
सुवा, पंडवानी, पंथी गीत महान हे
दाऊ राम चंद्र जइसे कला परखी सियान हे.
ममता, कविता, अनुराग के कंठ में तान.
संत कबीर, गुरु घासीदास के प्रभाव हे
इहाँ के मनखे मन के सुग्घर सुभाव हे.
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आलू भालू
रचनाकार- योगेश्वरी तंबोली
आज लानेव एक ठन आलू,
ओमा निकलिस करिया भालू.
ओ हर रहिस अड़बड़ सुन्दर,
जाने कब ले रहिस अन्दर.
भालू रहिस नाजुक पूछी पतली,
जैसे छुएं मैं हर ओला कटली.
सोंचत ही मोला चढ़ गय बुखार,
ये मैं का कर दारेंव यार.
भालू कहिस मोला निकाल,
तोला बताहुं एक ठन सवाल.
आलू सब्जी बन थे रसदार,
तै लागथस बड़ समझदार.
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कोरोना के पीरा
रचनाकार- तुषार शर्मा 'नादान'
बाहिर कहुं थोरको निकले ता,
पुलिस हा लठियावत हे.
मास्क पहिरे बर भूलेस ता,
कोरोना हा गठियावत हे.
थोरको इलाज म देरी हे ता,
रोगी तुरते पटीयावत हे.
अपन जीव ला बचाए बर सब,
डॉक्टर तीर जोजियावत हे.
ऑक्सीजन बिस्तर नइ बाचिस,
इहां उहां फिफियावत हे.
मनखे हा मनखे ला देख के,
दुरिहा ले छटियावत हे.
गरीब सेनिटाइजर कहां ले पाहि,
धुर्रा मा मटियावत हे.
जऊन हा जईसने कहत हे,
तेला सब पतियावत हे.
'नादान' प्राणायाम योग कर,
स्वस्थ होके अटियावत हे.
देसी नुस्खा, काढ़ा फिटकिरी से,
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ावत हे.
लगवाके दूनों टीका ला,
बीमारी ले खुद ला बचावत हे.
जुड़ जावन हम सब प्रकृति सन,
इही एक बात सुहावत हे.
बतायेंव जब मन के पीरा ल,
ता जम्मो झन गोठियावत हे.
घर में खुसरे खुसरे येदे,
टुरा हा सठियावत हे.
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