चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –

janCK

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

मनोज कुमार पाटनवार द्वारा भेजी गई कहानी

शेर और चूहे की दोस्ती

एक समय की बात है. जंगल का राजा शेर पेड़ के नीचे गहरी नींद में सोया हुआ था. तभी वहाँ एक चूहा आया और उसके पास उछल-कूद करने लगा. चूहा कभी शेर की पीठ पर उछलता तो कभी उसकी पूँछ को खींचता. चूहे की इस उछल-कूद के कारण शेर की नींद खुल गयी और उसने अपने पंजों में चूहे को पकड़ लिया.

शेर ने गुस्से में कहा – 'मूर्ख चूहे! तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे नींद से जगाने की? अब मैं तुझे इसकी सज़ा देता हूँ. मैं तुझे अभी चबा जाऊँगा.'

यह सुनकर चूहा डर के मारे कांपने लगा और शेर से कहने लगा – 'नहीं नहीं ऐसा मत करो महाराज! मुझे मत खाओ, मुझसे गलती हो गई. वैसे भी मैं तो बहुत छोटा हूँ जिससे आपकी भूख भी नहीं मिटेगी. मुझपर दया करो महाराज शायद किसी दिन मैं आपकी कोई मदद कर सकूँ.

शेर ने सोचा कि इतना छोटा सा चूहा मेरी क्या मदद कर पायेगा लेकिन फिर भी शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को छोड़ दिया.

कुछ दिनों बाद शेर एक शिकारी के जाल में फँस गया. उसने जाल से निकलने के लिए बहुत प्रयास किया लेकिन वो जाल से निकल नहीं सका.

थक हार कर शेर जोर-जोर से दबाने लगा. शेर की दहाड़ जंगल में दूर-दूर तक सुनाई देने लगी. शेर की दहाड़ उस चूहे ने भी सुनी, उसने सोचा कि शायद जंगल का राजा किसी मुसीबत में है.

चूहा शेर के पास गया तो उसने देखा कि शेर तो सचमुच मुसीबत में है. उसने शेर से कहा- महाराज आप बिलकुल चिंता न करें. मैं अभी इस जाल को अपने दांतों से काटकर आपको आज़ाद करता हूँ.

थोड़ी ही देर में चूहे ने जाल को अपने पैने दातों से काटकर शेर को आज़ाद करा लिया. शेर बड़ा खुश हुआ और उसने चूहे से कहा – 'दोस्त मैं तुम्हारा ये अहसान कभी नहीं भूलूँगा, तुमने आज मेरी जान बचाई है.'

चूहे ने कहा कि नहीं महाराज एहसान तो उस दिन आपने मेरी जान बख्शकर मुझपे किया था. यदि आप उस दिन मुझपर दया नहीं दिखाते तो आज मैं आपकी मदद नहीं कर पाता.

चूहे की बात सुनकर शेर मुस्कुराया और कहा – 'आज से तुम मेरे सच्चे मित्र हो.'

योगेश्वरी तम्बोली द्वारा भेजी गई कहानी

शेर और चूहा

जंगल के बीच एक पेड़ था उस पेड़ के नीचे शेर और चूहा आराम करते हुए बातचीत कर रहे थे कि चलो आज हम अपनी जीत की खुशी में पार्टी करते हैं. बात यह थी कि एक बार जब शेर के पंजे के नीचे चूहा दब गया था तो चूहे ने कहा मुझे छोड़ दो मैं आवश्यकता पड़ने पर तुम्हारी मदद करूँगा. चूहे की बात मानकर शेर ने उसे छोड़ दिया था. और कहा था कि तुम मेरी क्या मदद करोगे?

लेकिन आज जब एक शिकारी ने शेर को जाल में कैद कर लिया, तब उसी चूहे ने जाल काटकर शेर को मुक्त करा दिया.

अब दोनों पेड़ के नीचे बैठकर अपनी जीत की खुशी मना रहे थे. वे सोच रहे थे क्यों न आज पार्टी की जाए.

शेर बोला खाने की चीजें कौन लाएगा मुझे तो लोग देख कर डर जाते हैं मैं सामान कैसे लाऊँगा.

चूहा बोला इसकी चिंता आप मत करो मैं जाकर खाने की चीजें लाता हूँ.

शेर खुश हो गया और बोला ठीक है. चूहा चला गया और शेर चूहे का इंतजार करने लगा.

थोड़ी देर बाद चूहा ब्रेड और पिज्जा लेकर आया. दोनों मिलकर खाने लगे.

इस तरह शेर और चूहे की दोस्ती भी पक्की हो गई.

संतोष कुमार कौशिक द्वारा भेजी गई कहानी

शेर और चूहे की दोस्ती

पेड़ के नीचे बिल में एक चूहा रहता था. उसी पेड़ के नीचे शेर भी आराम करता था. शेर और चूहा अच्छे दोस्त बन गए. शेर, शिकार करने के पश्चात आता तो चूहे के लिए भी खाने को कुछ लाता था. चूहा, शेर के पीठ पर उछल,कूद करते हुए धमाचौकड़ी मचाता था. शेर भी उसकी इन हरकतों पर खुश हो जाता था. कुछ दिन पहले शिकारी के जाल में फँसे हुए शेर को चूहे ने बचाया था. जिसके कारण दोनों में गहरी दोस्ती थी.

इनकी दोस्ती देखकर लोमड़ी को ईर्ष्या होने लगी. दोनों की गहरी दोस्ती को तोड़ने के लिए लोमड़ी ने एक उपाय सोचा.

एक दिन शिकार करने जा रहे शेर से लोमड़ी ने कहा- शेर राजा!आपके पीठ पर चूहे को उछल-कूद करते देखकर मुझे अच्छा नहीं लगा, क्योंकि छोटा सा चूहा जंगल के राजा के पीठ पर उछल-कूद करे, इससे आपके मान- सम्मान पर बुरा असर पड़ेगा. जंगल के पशु-पक्षी,जीव-जंतु आप से नहीं डरेंगे. शेर इन बातों को सुनकर सोचने लगा कि,बात तो ठीक ही है. लेकिन उसने लोमड़ी से कहा- अपनी सलाह अपने पास रखो. शेर को आगे जाते देखकर, फिर लोमड़ी ने उससे कहा-'एकान्त में मेरी बात पर चिंतन करिएगा.'

अब शेर को लोमड़ी की कही हुई बात बार-बार परेशान करने लगी. उसका मन शिकार में नहीं लगा और वह वापस उस पेड़ के पास आ गया.

चूहा रोज की तरह आज भी उसकी पीठ पर उछल-कूद करने लगा. शेर ने क्रोधित होकर उसे उठाकर दूर फेंक दिया और कहा- मेरी नजरों से दूर हो जाओ.

चूहा पुनः उसके पास आकर हाथ जोड़कर बोला आज आप को क्या हो गया है? आज आपके व्यवहार में बदलाव आ गया है. जरूर उस लोमड़ी की हरकत होगी, उसी ने आपसे कुछ कहा होगा. ठीक है- मैं चला जाता हूँ.

चूहा दूसरे पेड़ के नीचे बिल बनाकर रहने लगा. लोमड़ी को उन दोनों की दोस्ती टूटने पर ख़ुशी हुई.

कुछ दिनों पश्चात एक शिकारी, चूहे के बिल के पास खड़ा होकर शेर का शिकार करने की योजना बना रहा था. शिकारी को शेर पर निशाना लगाते देख चूहा सोचने लगा आज मेरे दोस्त शेर को यह शिकारी मार देगा. मुझे कुछ करना चाहिए. यह सोच कर जब शिकारी बाण छोड़ने ही वाला था तभी चूहे ने शिकारी के पैर पर जोर से काट लिया. शिकारी का निशाना चूक गया और लोमड़ी को वह बाण लगा. शेर हमला न कर दे, यह सोचकर शिकारी डरकर भाग गया.

शेर और चूहा उस लोमड़ी के पास जाकर उसे बचाने की कोशिश करने लगे. लेकिन उसके सीने पर बाण लगने के कारण बचने की संभावना नहीं थी. लोमड़ी ने कराहते हुए कहा कि आप दोनों मुझे क्षमा कर दीजिए. मेरे कारण आप दोनों की मित्रता में दरार आई. इसी पाप के कारण मेरा यह हाल हुआ है. कोई किसी का अहित करता है, उसका फल उसके किए हुए कर्मों के अनुसार अवश्य ही मिलता है. यह कह कर लोमड़ी ने प्राण त्याग दिए.

शेर को अपनी गलती का एहसास हो गया और चूहे से क्षमा माँगते हुए कहा - मेरे दोस्त तुमने एक बार फिर मेरी जान बचाई है. आज से हमारी दोस्ती अटूट रहेगी.

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

FebCK

अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे

Visitor No. : 6750939
Site Developed and Hosted by Alok Shukla