छत्तीसगढ़ी बालगीत

अंगना म शिक्षा

रचनाकार- पेश्वर राम यादव

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लइकामन के घर-घर के
अंगना म शिक्षा होवत हे.
गुरू बनके दीदी बहिनी महतारी ह
नोनी बाबू ल पढ़ावत हे.
महतारी के कोरा में बैइठे लइका ह
अब नवा नवा गोठ ल गोठियावत हे.
खठीया म बैइठे दाई-ददा बबा मन ह
लइका ल संस्कार सिखावत हे.
हाथ के अंगरी म होथे जोड़ना घटाना
अउ इही हाथ ले गिनती तको बतावत हे.
काम बूता करत-करत महतारी ह
संगे म लइका ल पढ़े बर सिखावत हे.
चाउंर निमारत की दार पलियारत
जिनिस के वर्गीकरण करवावत हे.
रंधनी खोली म रांधत गढ़त
किसम किसम के साग भाजी ले
रंग के नांव ल बतावत हे.
खाये बेरा म कटोरी थाली गिलास ले
ददा ह गणित के आकृति ल बतावत हे.
खाली थारी म भात परोसत सुआरिन ह
नोनी बाबू ल बढ़ते करम ल सीखावत हे.
कौंरा लेवत थारी के भात ह सिरावत हे
त दीदी ह लइका ल घटते करम ल बतावत हे.
अब तो छत्तीसगढ़ के गाँव गाँव म
घर अंगना में होही पढ़ाई
अउ महतारी के काम बूता संग
लइका ह घलो पढ़त लिखते जाही.

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शिक्षा जन जागरण

रचनाकार- तुलस राम चंद्राकर

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बेटा-बेटी ल खूब पढ़ाओ,
इही म हवय भलाई.
ज्ञान के दिया उही जलाही,
दाईं ददा के नाम जगाही.

स्कूल मा आ के पढही लिखही,
शिक्षा के अलख जगाही.
गाँव-गली अउ राज देश म,
अड़बड़ अपन नाम कमाही.

स्कूल ला तुम अपने जानव,
झन मानव जी सरकारी
आज नहीं तब काली भइया
तुँहरो तो पारी आही.
ज्ञान के दिया उही जलाही.
सरकार हर पुस्तक ल देथे
दाई-ददा ल नइ हे बोझ.
सुग्घर देथे मध्यान भोजन,
अउ खाये बर मिलथे रोज.
नवमी म जब नोनी जाही
नवा साइकील ला ओ पाही
ज्ञान के दिया उही जलाही.

आज ले परन कर लौ भइया,
पढ़े बर हम स्कूल भेजबोन.
का- का पढ़थे, कैसे पढ़थे,
जुरमिल के हम सब देखबोन.
पढ़ही-लिखही सुग्घर भइया,
तब तो देश म नाम कमाही
ज्ञान के दिया उही जलाही.

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भारत ल स्वच्छ बनाना हे

रचनाकार- यक्ष चंद्राकर

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गाँधी जी के सपना रहीस,
भारत ल स्वच्छ बनाना हे.
लइका-सियान सबो जुरमिल के
सपना नवा सजाना हे
भारत ल स्वच्छ बनाना हे.

गाँव, शहर, खोर, गली म,
करके हमला दिखाना हे।
चाहे तरिया, मंदिर- मस्जिद हो,
सब ला सरग बनाना हे.
भारत ल स्वच्छ बनाना हे.
लइका-सियान सबो जुरमिल के,
सपना नवा सजाना हे,
भारत ल स्वच्छ बनाना हे.

साफ- सफाई सेहत के राज,
सब ला एला बताना हे.
स्वच्छता ल अपना के भइया,
बीमारी ल दूर भगाना हे.
लइका-सियान सबो जुरमिल के,
सपना नवा सजाना हे,
भारत ल स्वच्छ बनाना हे.

पर्यावरण ल स्वच्छ रखे बर,
पेड़ -पौधा घलो लगाना हे.
नवा सबेरा लाए बर जी,
मनखे ला घलो जगाना हे.
लइका-सियान सबो जुरमिल के,
सपना नवा सजाना हे,
भारत ल स्वच्छ बनाना हे.

आज ले करव परन ग भइया,
खुला म शौच नइ जाना हे.
कचरा के निपटारा करके,
आदर्श गाँव बनाना हे.
लइका-सियान सबो जुरमिल के,
सपना नवा सजाना हे,
भारत ल स्वच्छ बनाना हे.

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छत्तीसगढ़ के भुइंयाँ

रचनाकार- कलेश्वर शत्रुहन साहू

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छत्तीसगढ़ के भुइंयाँ,
मैं लागव तोर पइंयाँ.

छत्तीसगढ़ हमर जान आय,
इही हमर पहचान आय.
छत्तीसगढ़ी के करव सम्मान,
छत्तीसगढ़ के बढ़ही मान.

छत्तीसगढ़ी ल बीस बछर म
नइ मिलिच पहचान,
अपन भाखा बर लड़बो जुड़ मिल लइका सियान.

अरपा, पैरी, महानदी हे महान,
जेकर रखना हे ध्यान.

तीज तिहार एखर पहचान,
जेला मिल जुल के मानथे लइका सियान.

छत्तीसगढ़ धान के कटोरा,
बारो महीना म एला एक बार बटोरा.

छत्तीसगढ़ के खेल फुगड़ी, गिल्ली, चेर्रा नदागे,
लइका मन अब पबजी, मोबाइल,टीबी म भुलागे.

छत्तीसगढ़ के नाचा सुवा, करमा, ददरिया,
तेखरे सेती हवय छत्तीसगढ़ सबले बढिया.

नवा रइपुर में बने हे जंगल सफारी,
नइ हे संगी एमा थोरको लबारी,
छत्तीसगढ़ के जंगल ल कोन बचाही,
सही सही बताहू संगवारी.

बस्तर ह छत्तीसगढ़ के बढ़ाथे सान
जिहा के रहैया आदिवासी ल देबो सम्मान.

मैनपाट छत्तीसगढ़ के शिमला,
पता हे हमन ला.
रतनपुर म हावय महामाया धाम,
जेखर दुनिया म अड़बड़ नाम.

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