अधूरी कहानी पूरी करो
पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी –
अमित के गणित शिक्षक
रजनी अपनी मित्र लीला के घर गई थी. दोनों साथ-साथ बाजार जाने वाले थे. लीला ने रजनी को बताया कि आज ही अमित का रिजल्ट आ गया है. अमित स्कूल से आ जाए फिर चलते हैं. दोनों बैठकर अमित की प्रतीक्षा करने लगे. रजनी ने लीला से मिठाई तैयार रखने को कहा, क्योंकि अमित हमेशा अच्छे नंबरों से पास होता रहा है.
थोड़ी ही देर में अमित स्कूल से आ गया. उसका चेहरा उतरा हुआ था. उसने अपना रिपोर्ट कार्ड माँ को देते हुए कहा कि मैंने आपसे पहले ही गणित की ट्यूशन लगवाने को कहा था.
लीला ने रिपोर्ट कार्ड देखा तो अमित को गणित में केवल 72 अंक मिले थे. लीला बोली कि तुमने तो सारे सवाल ठीक किए थे. तुम्हें कम से कम पंचानवे नंबर मिलने चाहिए थे. रजनी ने लीला से लेकर रिपोर्ट कार्ड देखा. अन्य विषयों में अमित को क्रमशः 86, 80, 88, 82, 90 अंक मिले थे. सबसे कम अंक गणित में मिले थे.
अमित गुस्से व दुख से कहने लगा कि सर बार-बार गणित की ट्यूशन लगवाने कहते थे तथा न लगाने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी देते थे. पर माँ ने ट्यूशन नहीं लगवाई.
लीला ने कहा कि यह तो अंधेरगर्दी है. रजनी ने अमित से बातचीत कर सारी बातों की जानकारी ली.
उसे पता चला कि अमित के गणित शिक्षक मिस्टर पाठक हर बच्चे को ट्यूशन लेने के लिए कहते हैं. अमित के छमाही परीक्षा में छियानबे नंबर आए थे. पाठक सर ने फिर भी उसे ट्यूशन आने के लिए कहा था.
अमित इस स्थिति के लिए अपनी माँ को जिम्मेदार मान रहा था. रजनी ने उसे समझाया कि उसे इस बारे में अपने शिक्षक से बात करनी चाहिए. रजनी ने लीला से कहा कि उसे अगले दिन अमित के स्कूल जाकर पाठक सर से मिलना चाहिए.
यह सुनकर अमित डर गया और उन्हें स्कूल जाने के लिए मना करने लगा.
इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.
संतोष कुमार कौशिक द्वारा पूरी की गई कहानी
रजनी और लीला अपने दोस्त अमित को समझाकर स्कूल जाने के लिए मना लेता है. वे सब स्कूल में पाठक सर से मिलकर अमित के गणित विषय के बारे में चर्चा किया. पाठक सर समझ गया कि बच्चों को अमित के गणित विषय में कम अंक आने के कारण मुझे दोषी समझ रहे हैं. वह कुछ ना कहते हुए अमित द्वारा बनाए हुए गणित विषय के उत्तर पुस्तिका को लाकर दिखाया. उत्तर पुस्तिका को देखकर रजनी और लीला की आंखें खुली रह गई. उत्तर पुस्तिका को देखने से पता चला कि वास्तव में अमित कुछ गणित के सवालों को हल ही नहीं कर पाया है और कुछ प्रश्नों को हल करते समय अधूरा ही छोड़ दिया गया है. जिसके कारण अमित के गणित विषय में कम अंक आया है. अमित के दोस्त समझ जाते हैं कि वह अपने स्कूल आने के लिए इसी कारण से डर रहा था.
पाठक सर उनके दोस्त रजनी और लीला को बताया कि अमित पिछले कुछ दिनों से पढ़ाई में कमजोर हो गया है जिसके कारण मैं उसे बार-बार ट्यूशन पढ़ने के लिए कहता था. मुझे जिस चीज का डर था वही हुआ. अमित सभी विषय का पढ़ाई तो ठीक से किया है लेकिन गणित विषय की पढ़ाई में अभ्यास न करने के कारण उसका अंक कम आया है. मैं उसे कहा था ट्यूशन के लिए पैसा नहीं है तो कोई बात नहीं, मैं सभी बच्चों को निशुल्क पढ़ाऊँगा. अमित को गणित विषय का अभ्यास जारी रखना था. अमित ने छमाही परीक्षा तक अपनी गणित विषय की पढ़ाई ठीक किया.जिसकी वजह से गणित में 96 अंक प्राप्त किया था. मैंने देखा गणित की क्लास में अमित और उसके कुछ साथी पढ़ाई में ध्यान नहीं देते थे जिसके कारण इन सभी बच्चों को ट्यूशन करने की सलाह दिया था. लेकिन मेरी यह कही हुई बातों को बच्चे कुछ और समझ रहे हैं.
यह सब बातों को सुनकर अमित की आंखों में आँसू बहने लगा. शिक्षक अमित को समझा कर कहता है- बेटा अमित जो हो गया सो हो गया उसकी चिंता ना करो, आगामी कक्षा के लिए अभी से तैयारी शुरू करो. अगर पढ़ने में कुछ भी समस्या आए तो मुझसे संपर्क कर पढ़ाई जारी रखोगे तो निश्चित ही अच्छे अंको से उत्तीर्ण होगे. रजनी और लीला अपने मन में आए हुए विचार पर शर्मिंदा होकर पाठक सर से क्षमा याचना कर वे सब घर वापस चले जाते हैं. अमित को अपनी गलती का एहसास होता है अब वह अपनी पढ़ाई निरंतर जारी रखते हुए पूर्ण करता है.
अगले अंक के लिए अधूरी कहानी
कौवा और मोर
जंगल में रहने वाला काला कौवा न अपने रूप रंग से संतुष्ट था, न ही अपनी बिरादरी से. वह मोर जैसा सुंदर बनना चाहता था.
जब वह दूसरे कौवे से मिलता, तो कौवों के रूप रंग की बुराई कर अपनी किस्मत को कोसता कि उसने कौवा बनकर इस धरती पर क्यों जन्म लिया. साथी कौवे उसे समझाते कि जैसा रूप रंग मिला है, उसके साथ संतुष्ट रहो. पर वह किसी की बात नहीं मानता और उनसे लड़ता.
एक दिन कौवे को एक स्थान पर बिखरे हुए ढेर सारे मोर पंख दिखाई पड़े.
आगे क्या हुआ होगा, इसके बारे में आप सोचना शुरू करें और इस कहानी को पूरा कर हमें ईमेल से kilolmagazine@gmail.com पर भेज देवें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.