पहेलियाँ
नाम है मेरा
रचनाकार- प्रीतम कुमार साहू
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दिन रात मैं चलती रहती !
ना मैं थकती, ना मैं रुकती !
टीक-टीक-टीक करती रहती !
नाम है मेरा…………
- सब के घरों में मैं रहती हूँ,!
सब कोई मुझको ही देखे !
बदले में खुद को ही देखे !
नाम है मेरा………
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सीधे,लम्बे,टेढ़े,मेढ़े दिखती हूँ मैं !
गाँव,गली शहरों में, रहती हूँ मैं !
कहीं कच्ची,कहीं पक्की रहती हूँ मैं !
नाम है मेरा………..
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वन,उपवन में रहने वाली,
फूलों पर मंडराने वाली,
रंग बिरंगे पंखों वाली,
नाम है मेरा…….
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जंगल का हूँ मैं मेहमान,
देख मुझे सब होते हैरान,
ऊँची गर्दन, लम्बी टाँगे,
नाम है मेरा……..
उत्तर:- 1. घड़ी २.दर्पण 3.सड़क 4.तितली 5. जिराफ
पहेलियाँ
रचनाकार-डॉ.कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
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चासनी में डूबा रहता
किये बगैर मैं हल्ला,
बंगाल की हूँ एक मिठाई,
कहते मुझको -------------
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उदभव मेरा सब कोई ना जाने,
अंत ना मेरा देखा,
गणित की आकृति हूँ मैं बच्चों
कहते मुझको --------
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जो गिनने के आती काम,
प्राकृत संख्या उसका नाम,
वैसे संख्या रही अनेक
पहली प्राकृत संख्या है -----
उत्तर:-1. रसगुल्ला 2. रेखा 3. एक
बाल पहेली
रचनाकार- डॉ. कैलाश गुप्ता
धातु से मैं बनने वाला,
हर घर का मैं हूँ रखवाला.
लगा देखकर अतिथि जाते,
चोर नहीं घर में घुस पाते.
भिन्न-भिन्न है रूप हमारे,
दाम सुरक्षित रखें तुम्हारे.
जब भी कभी घूमने जाओ,
दर-दर पर दो चार लगाओ.
पूरा परिचय मिला आपको,
अब झटपट से नाम बताओ..