छत्तीसगढ़ी बालगीत

जब बादर छाथे जी

रचनाकार- बलदाऊ राम साहू

आसमान मा जब-जब बादर छाथे जी
मोर नाचथे, मेंचका ह नरियाथे जी.

सुरुर - सुरुर चलथे पुरवाही उत्ती ले
रुख-राई मन मुड़ी गजब डोलाथे जी.

हरियर हो जाथे भुँइया के कोरा हर
चिरई-चिरगुन सुग्घर गीत सुनाथे जी.

मगन हो के बाबू मन खेलथे खुडुवा
नोनी मन ला फुगड़ी गजब सुहाथे जी.

झिमिर-झिमिर जब पानी परथे भुँइया मा
तब किसान मन हँसते अउ मुसकाथे जी.

टार्च बाबू

रचनाकार- सीमांचल त्रिपाठी

बरसात म ये बूता करही आघू,
एकठन लेदे मोर बर टार्च बाबू.
पानी म मोबाइल भागथे पाछू,
हमर काम आही टार्च बाबू..

पचास-पचास हाथ के दूरिहा ल,
रग-रग ले देख लेथे मोर टार्च बाबू.
बिजली कट जाथे नइ रहय घर म त,
हमर काम आथे मोर टार्च बाबू..

रातिहा निकलथे जहरीला जीव,
तेला साफ-साफ चिन्ह लेथे बाबू.
घर म ह धरे बर एकठन टार्च ला,
मोर बर तैं काबर नइ लेवस टार्च बाबू..

एके किने म पईसा लगथे थोड किन,
आऊ काम बहुत जियादा करथे बाबू.

रात-बिरात म गांव गलियन निकलथो,
धर के मैं हर टार्च बाबू
अंधियारी रातिहा कर कोनो चिंता नइ हे,
नइ डराए मोला अब नइ करे कोनो तंग..

यमराज घलो रोवत हे

रचनाकार- सोमेश देवांगन

देख दुर्दशा मनखे के यमराज घलो रोवत हे
नान नान लइका मन दाई ददा ला खोवत हे
बने हँसत खेलत परिवार हा घलो उजरत हे
बन्द होंगे काम बूता मनखे भूख म तड़पत हे
देख दुर्दशा मनखे के यमराज घलो रोवत हे...........

आक्सीजन सब कइसे देबो कहिके सोचत हे
ऑक्सीजन के टँकी के रद्दा ल जोहत हे
सूजी दवाई ले बर घलो लड़ाई झगरा होवत हे
अस्पताल म जगह खाली नइ हे चिल्लावात हे
पइसा हे जेब मा ता पाछू कोती ले ओलिहावत हे
देख दुर्दशा मनखे के यमराज घलो रोवत हे...........

बीमारी ले कम मनखे डर के सेती मरत हे
बचा ले भगवान कई के हाँथ ला जोरत हे
का गलती करेव भगवान कइके रोवत हे
लापरवाही करे हे मनखे तेन हर भोगत हे
दवाई गोली कम परगे तहाँ फट ले मरत हे
देख दुर्दशा मनखे के यमराज घलो रोवत हे.............

मरे के बाद घलो लाश ला चैन नइ मिलत हे
कचरा गाड़ी, साइकिल मा भर के लेगत हे
मरघटिया में लाश जलाय बर सब अगोरत हे
लेहे देहे लाश ला कम छेना लकड़ी मा भूँजत हे
आधा जले लाश ला कुकुर कँउवा घलो खात हे
देख दुर्दशा मनखे के यमराज घलो रोवत हे

पानी बिन करलई

रचनाकार- सोमेश देवांगन

तरिया घलो सुखागे,
सुख्हा पर गेहे नदिया.
पानी एको कनी नई हे,
खाली पड़े हे हड़िया..

पानी के भारी करलई होगे,
पियास मरत इहा मुसवा.
पानी मिल जाय थोरकन,
आस मा बइठे हवय कुसवा..

सब ला चाही इहा पानी,
पेड़ रहय चाही मनखे चिरई.
आने वाला समय मा गा,
पानी के रही भारी करलई..

पानी के नाम मा होही,
मनखे के झगरा लड़ई.
पानी बिन कुछ नई होय,
कर लव कतको तुम पढ़ई..

पानी बिन सुनना पर जाहि,
ये मोर धरती अगास.
पानी के मोल ला जान लव,
अब इहि हवय आस..

हरियागे धरती के अचरा

रचनाकार- लक्ष्मी तिवारी

आगे सावन के पहली फुहार,
हरियागे धरती के अचरा,
हरियागे भुइयां के अचरा,

फुलगे कांसी मोगरा अउ कचनार,
हरियागे धरती के अचरा,
हरियागे भुइयां के अचरा,

राउत के बंसी बाजत हवय हरियर पियर खार म.
जथे बिहनिया नागर धर किसान खेती खार म..
बिहनिया सुरूज संग किसान होवत हे तइयार
हरियागे धरती के अचरा,
हरियागे भुइयां के अचरा,

भारत भुइयाँ म छतीसगढ़ ल कहाथे धान कटोरा.
धान पान सब होते संगी सावन पानी के निहोरा.
सुवा ददरिया कर्मा गाथे हमर गाँव के बनिहार
हरियागे धरती के अचरा,
हरियागे भुइयां के अचरा,

किसान के सब रोजी रोटी हवय धान के किसानी म.
ये किसानी होथे भैया बरखा के पानी म.
पानी ले जिन्दगानी हवै कहिथे सब सियान..
हरियागे धरती के अचरा,
हरियागे भुइयां के अचरा,
आगे सावन के पहली फुहार,
हरियागे धरती के अचरा,
हरियागे भुइयां के अचरा

डोंगा

रचनाकार- वंदिता शर्मा

एकठन डोंगा
नवा बनाएव,
चितकबरा रंग मा रंगवाएंव
अउ तउराएंव पानी म.

एकठन मछरी तँउरिस पानी म,
मोला देखिस,
मोला घुरिस,
अउ कुदिस डोंगा म

मोर डोंगा डगमगाइस,
ओ ह दूरिहा तक
संग म गइस,
अउ छिप गइस आँखी ले
अउ तँउरिस पानी म.

आमाराइट गीत

रचनाकार- श्वेता पुष्पेंद्र तिवारी

जानो सब्बो लइका सियांन
आमाराआइट के गोठ बात
महामारी कोरोना के सेति
इसकूल हमर बंद हे
पर भीतरे भीतर
पढ़ई हमर संग हे
घर बैठ के प्रायोजना ल बनाना हे
शिक्षा अधिकारी के बात ल सब्बो ल जानना हे
लइका लइका जोर के प्रायोजना ल
सीखाना हे
माता पिता पालक की सहभागिता निभाना हे
जीवन से जुड़े कक्षा के गतिविधि हे
फाईल ल बना के ग्रेड ल पाना हे
अपन इसतर ल आगू बढ़ाबो
चित्र बनाबो पेड़ पौधा लगाबो
अउ डारा पाना के करलेबो नाप
जानो सब्बो लइका सियान
आमाराइट के गोठबात
खेले के हमन नामें गिनाबो
ममा गांवों के सगा बताबो
मोटर गाड़ी के नाव ल लिखबो
किसिम किसिम के बिजहा ल जानबो
रोटी पीठा अऊ गहना ल चिनबो
अंगना परछी फइका ल नापबो
अपन बेलगहना ल आगू बढाबो
टीका लगाके कोरोना ल देना हे मात
जानो सब्बो लइका सियान
आमाराइट के गोठबात

हमर जिला अट्ठाईस

रचनाकार-डॉ जागृति साहू

छत्तीसगढ़ के अट्ठाइस जिला
चलो देखबो माई पिला.

रइपुर में हे चम्पारण, नवा रइपुर म मंत्रालय भवन.
दुरुग म लोहा करखाना,
राजनांदगांव के बम्लेश्वरी, उड़न खटोला में जाना..

बालोद म विराजे सियादेवी माता,
कवर्धा भोरमदेव के दर्शन बर लगे रहिथे तांता..
धमतरी में लहरावत गंगरेल सागर बांध
मलजकुण्ड के झरना देखे कांकेर जान..

उदन्ती गरियाबंद के शोभा बढ़ाथे,
सरगुजा मैनपाट ह छत्तीसगढ़ के शिमला कहाथे..

सुकमा के सुघ्घर झरना संगी नाम हे दुधमा,
बिलासपुर के रतनपुर म बिराजे दाई महामाया..

अबूझमाड़ ल बुझे खातिर नारायणपुर जाना हे,
बीजापुर के राष्ट्रीय उद्यान इंद्रावती ल घुम के आना हे..

खारुन-शिवनाथ के संगम, जैसे बेमेतरा चारों धाम हे,
शंकर जी के मंदिर हावे, सोमनाथ जेकर नाव हे..

महासमुंद सिरपुर अउ खल्लारी माई के हे महानता,
चिरमिरी के कोइला ह बन गे, कोरिया के भाग्य विधाता..

कोरबा के मिनीमाता सूरजपूर के रक्सगंडा,
बलरामपुर के तातापानी डबकत रहिथे नई होवै कभू पानी ठंडा..

हरियर हरियर हावे मोर जशपुर के चाय बागान,
रायगढ़ के रामझरना मे, नहा के मिटा जाथे थकान..

जांजगीर के शबरी मंदिर रामलखन के सुरता कराथे,
गिरौदपुरी के जैतखाम ह, बलौदाबाजार के मान बढ़ाते..

कोंडागांव केशकाल घाटी, जिहां तेलिन माता विराजे हे,
मुंगेली मदकू द्वीप के छटा अब्बड़ सुघ्घर लागे हे..

दंतेश्वरी दाई के आशीष से, दंतेवाड़ा ह लहकत हे,
चित्रकोट झरना बस्तर म
पहाड़ी मैना चहकत हे..
देखव हमर छत्तीसगढ के जम्मो जिला अपन महनता ले दमकत हे..

छत्तीसगढ़ के अठ्ठाइस जिला,
चलो देखबो माई पिला.

Visitor No. : 6749805
Site Developed and Hosted by Alok Shukla