अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी –

आकाश और क्रिकेट

छठी कक्षा का छात्र आकाश क्रिकेट का अच्छा खिलाडी है. आसपास कहीं भी कोई मैच हो और आकाश वहाँ न हो ऐसा नहीं होता है. और जिस दिन टीवी पर कोई क्रिकेट मैच आ रहा हो उस दिन तो वह मैच के शुरू होने से लेकर समाप्त होने तक टीवी के सामने से हिलता तक नहीं. सारा ध्यान क्रिकेट पर होने के कारण पढ़ाई में आकाश पिछडता जा रहा है. इसबार के पालक बालक सम्मेलन में जब शिक्षक ने आकाश के माँ पिताजी को आकाश के पढाई में पिछड़ने की बात बताई तो वे दोनों चिंतित हो गये. रात को खाने के बाद पिताजी ने आकाश से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो आकाश ने उत्तर दिया कि वह तो क्रिकेटर बनेगा और पढ़ाई में उसकी क़ोई ज्यादा रुचि नहीं है. पिताजी ने आकाश को समझाने की कोशिश की और कहा कि पढ़ाई भी तो जरूरी है. आकाश का उत्तर था कि आजकल तो सभी कहते हैं कि जीवन में वही करना चाहिए जिसमें रुचि हो. अगर मेरी रुचि क्रिकेट में है तो मैं अपना पूरा ध्यान क्रिकेट पर ही क्यों न लगाऊँ? क्रिकेटर बनने के लिए पढ़ाई करने की क्या जरूरत है? उसके लिए तो खेल का अभ्यास ही करना होगा.

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

कन्याकुमारी पटेल द्वारा पूरी की गई कहानी

छठी कक्षा का छात्र आकाश क्रिकेट का अच्छा खिलाडी है. आसपास कहीं भी कोई मैच हो और आकाश वहाँ न हो ऐसा नहीं होता है. और जिस दिन टीवी पर कोई क्रिकेट मैच आ रहा हो उस दिन तो वह मैच के शुरू होने से लेकर स माप्त होने तक टीवी के सामने से हिलता तक नहीं. सारा ध्यान क्रिकेट पर होने के कारण पढ़ाई में आकाश पिछडता जा रहा है. इसबार के पालक बालक सम्मेलन में जब शिक्षक ने आकाश के माँ पिताजी को आकाश के पढाई में पिछड़ने की बात बताई तो वे दोनों चिंतित हो गये. रात को खाने के बाद पिताजी ने आकाश से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो आकाश ने उत्तर दिया कि वह तो क्रिकेटर बनेगा और पढ़ाई में उसकी क़ोई ज्यादा रुचि नहीं है. पिताजी ने आकाश को समझाने की कोशिश की और कहा कि पढ़ाई भी तो जरूरी है. आकाश का उत्तर था कि आजकल तो सभी कहते हैं कि जीवन में वही करना चाहिए जिसमें रुचि हो. अगर मेरी रुचि क्रिकेट में है तो मैं अपना पूरा ध्यान क्रिकेट पर ही क्यों न लगाऊँ? क्रिकेटर बनने के लिए पढ़ाई करने की क्या जरूरत है? उसके लिए तो खेल का अभ्यास ही करना होगा

उस समय तो पिताजी ने आकाश को कुछ और नहीं कहा, पर मन ही मन वे बहुत चिंतित हो गये कि इसे कैसे समझाया जाए. दूसरे दिन पिताजी आकाश के खेल शिक्षक से मिले,उन्होंने सारी बातें और पढ़ाई के प्रति आकाश की सोच बताई और अपनी चिंता व्यक्त की. खेल शिक्षक ने कहा कि आप चिंता न करें सब ठीक हो जाएगा. अगले दिन खेल शिक्षक आकाश की कक्षा में आए और गणित पढ़ाने लगे.आकाश को अजीब लगा, उसने पूछ ही लिया कि आप गणित क्यों पढ़ा रहे हैं? आप तो खेल के शिक्षक हैं न? शिक्षक हँसने लगे और बोले कि गणित के शिक्षक का स्वास्थ्य ठीक नहीं है,इसलिए मैं पढ़ा रहा हूँ. हाँ मैं खेल का शिक्षक हूँ पर खेल के साथ-साथ अन्य विषयों में भी मेरी रुचि है.

यह सुनकर आकाश सोच में पड़ गया. शाम को जब पिताजी घर आए तो आकाश को पढ़ता देख मुस्कुरा उठे.

सुधारानी शर्मा द्वारा पूरी की गई कहानी

आकाश के पापा ने उसे समझाया कि खेलना जितना जरूरी है पढाई भी उतनी ही जरूरी है. खेलने के लिए भी तुम्हे घर से दूर जाना होगा, हॉस्टल में रहना, दूसरे राज्यो, देशों के लोगों से मिलना होगा.

दुनिया को जानने के लिए आपको बैंकिंग, नेटवर्क, टिकट बुकिंग, खेल की तकनीक समझना पड़ेगा आजकल कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल इन सब चीजों के लिए पढ़ाई जरूरी है. यह सबकुछ पढ़ाई से ही सीख सकते हो. खेल का, पढ़ने का, सभी का महत्व होता है.खेल और पढ़ाई दोनों ही जीवन के अभिन्न अंग है

आकाश को अब समझ में आ गया कि पढ़ाई का जीवन में क्या महत्व है. उसने कहा आज से मैं खेल के साथ पढ़ाई भी करूँगा.

आकाश के पापा बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा, मैं तुम्हे खेल के लिए सारे साधन उपलब्ध करा दूँगा.

अब आकाश पढ़ाई और खेलकूद, दोनों में अच्छे से ध्यान देने लगा है.

संतोष कुमार कौशिक द्वारा पूरी की गई कहानी

आकाश के पिताजी ने मन ही मन सोचा कि अपने शिक्षक दोस्त रमाकांत की सलाह से इस समस्या का हल ढूँढने में मदद मिल सकती है. आकाश को अपने साथ लेकर वे रमाकांत के घर पहुँचे. रमाकांत उन दोनों को देखकर खुश हुए और आकाश से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा. आकाश ने उत्तर दिया अंकलजी पढ़ाई में मेरी रुचि नहीं है, मुझे क्रिकेटर बनना है, उसके लिए पढ़ाई की क्या जरूरत है?

आकाश के पिताजी ने रमाकांत को आकाश के बारे में पूरी जानकारी दी और कहा कि यही समस्या लेकर आपके पास आया हूँ. इसका हल निकालिए.

ञरमाकांत ने कहा-चलो हम लोग पास में ही किशन के कृषि फार्म पर चलते हैं. किशन अपने फार्म में वैज्ञानिक उपकरण से खेती करते हैं. विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ, धान, चना, गेहूँ आदि फसल उगाते हैं.

आकाश चारों ओर हरियाली देखकर खुश हो गया. पूरे फार्म का भ्रमण करते हुए उसने देखा कि मजदूर विभिन्न औजारों के साथ अपने-अपने काम में लगे हुए हैं.किशन स्वयं ट्रैक्टर से खेत की जुताई-बुआई का कार्य कर रहा है. आकाश उसे देखकर अपने पिताजी और अंकल से बोला कि देखो किशन अंकल खेत की जुताई एवं बुआई का कार्य कर रहे हैं. पूरा फार्म मुझे बहुत ही अच्छा लगा. तभी रमाकांत कहते हैं-बेटा आकाश ये मेरे दोस्त जो ट्रैक्टर चला रहे हैं तुम्हारे अंदाज से कितने पढ़े-लिखे होंगे. आकाश ने उत्तर दिया ज्यादा से ज्यादा पांचवी-आठवीं तक पढ़ाई की होगी.ट्रैक्टर चलाने एवं खेती करने के लिए ज्यादा पढ़ने की क्या जरूरत है.

रमाकांत बोले-मेरे दोस्त किशन ने बी.एस-सी.एवं एग्रीकल्चर में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है. ये सब मजदूर जो विभिन्न औजारों से काम कर रहें हैं, सभी बारहवीं या उससे अधिक पढ़े हुए हैं.बेटा आकाश, हम कोई भी कार्य करें लेकिन पढ़ाई जरूरी है.पढ़ाई हमारे जीवन का अंग है. हम पढ़ लिखकर ही अपने कार्य सुचारू रूप से कर सकते हैं.

किशन पढ़ा लिखा है इसलिए वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करते हुए खेती का कार्य कर रहा है, जिससे उसे अधिक लाभ प्राप्त होता है.

अब आकाश की समझ में आ गया कि पढ़ाई कितनी जरूरी है. आकाश ने अपने पिताजी से अपने व्यवहार पर क्षमा माँगी. अब वह खेल के अभ्यास के साथ पढ़ाई भी मन लगाकर करता है.

टेकराम ध्रुव 'दिनेश 'द्वारा पूरी की गई कहानी

प्रिया की बातें सुनकर मम्मी सोचने लगीं कि यह इसी तरह स्कूल में बोरियत महसूस करती रही और स्कूल जाने से मना करती रही तो इसकी पढाई पर विपरीत प्रभाव हो सकता है. उसने परीक्षा की तैयारी पूरी कर ली है लेकिन घर पर रहकर वह पढ़ाई भी नहीं करेगी है, इधर-उधर समय बिताएगी. इसके लिए कुछ करना पड़ेगा.

अगले दिन मम्मी ने स्कूल जाकर प्रिया के टीचर से मुलाकात की और उन्हें प्रिया की समस्या के विषय में बताया.टीचर ने कहा-प्रिया तो पढ़ाई में अच्छी है, उसे ज्यादा समझाने की जरूरत ही नहीं पड़ती, इसलिए मैं उन बच्चो पर ज्यादा ध्यान दे रहा हूँ जो पढ़ाई में कमजोर हैं.

मम्मी ने कहा-टीचर जी, आप कमजोर बच्चों की तरफ ध्यान दे रहे हैं वो तो ठीक है लेकिन इसके चलते आपने प्रिया की तरफ से ध्यान हटा लिया है, इसलिए वह स्कूल में बोरियत महसूस करती है और उसका मन स्कूल में नहीं लग रहा है. आप कुछ उपाय सोचिए जिससे उसका मन स्कूल में लगा रहे.

टीचर ने कहा-ठीक कहा आपने, उसे स्कूल भेजिए हम उसकी बोरियत दूर करने का उपाय करेंगे.

अगले दिन प्रिया स्कूल गई.

टीचर ने कहा-आज हम कुछ सवाल हल करेंगे. फिर प्रिया की तरफ देखकर बोले क्या तुम इन सवालों को हल कर सकती हो

प्रिया? प्रिया के हाँ कहने पर टीचर ने कहा-बच्चो! आज प्रिया तुम लोगों को इन सवालों का हल समझाएगी, तब तक मैं दूसरे काम कर लेता हूँ

प्रिया ने अपने साथियों को एक-एक सवाल हल कर समझाए. जो बच्चे टीचर से प्रश्न पूछने से हिचकिचाते थे वे बेझिझक प्रिया से सब कुछ पूछ पा रहे थे. अब प्रिया को बोरियत महसूस नहीं हो रही थी क्योंकि उसकी बोरियत का इलाज हो चुका था.

शालिनीपंकज दुबे द्वारा पूरी की गई कहानी

आकाश की बात सुनकर उसके पापा ने कुछ नही कहा. कुछ दिन इसी तरह बीत गये. आकाश अभी भी क्रिकेट देखता पर अपने पापा का मौन उसे खटकने लगा था, वह सोचने लगा कि पापा मुझे और कुछ क्यों नही कहते! या,,,,या वो डाँट ही देते. इधर आकाश के पापा इस सोच में थे कि कैसे इस समस्या का हल निकाला जाए? आखिरकार उन्हें कुछ सूझा.

आकाश के पापा आज शाम को समय पर घर नही आये. अक्सर वो 5 बजे तक आ जाते थे पर आज 6 फिर 7 बज गये. आकाश परेशान था उसने सोच लिया था कि अपने पिता से माफी माँगेगा और वही करेगा,जिससे उन्हें खुशी मिले. वो बेचैन होकर कभी घड़ी देखता तो कभी अपनी मम्मी से जाकर पूछता.

आखिर 8 बजे उसके पापा आये तो आकाश जाकर उनसे लिपट गया. इससे पहले कि वह कुछ कहता, उसने देखा कि पिताजी क्रिकेट का पूरा समान लेकर आए थे. आकाश ने अपनी मन की बात पिताजी से कही. तब उसके पापा ने उसे समझाया कि ठीक है तुम्हारी जिसमें रुचि है, वही कैरियर बनाना पर शिक्षा सबसे जरूरी है.

आकाश पिताजी की बात समझ गया था.

यशवंत कुमार चौधरी द्वारा पूरी की गई कहानी

पिता-पुत्र दोनों के तर्क अपनी जगह सही थे. पिता की इच्छा थी कि बेटा पढाई के साथ क्रिकेट में भी अव्वल रहे. आकाश की रुचि केवल क्रिकेट में थी. वह एक क्रिकेटर बनने की इच्छा रखता था. पिता-पुत्र के विचार मेल नहीं खा रहे थे. ऐसे में पिता ने धैर्यपूर्वक अपनी पत्नी से विचार-विमर्श किया और यह तय किया कि हम अपने पुत्र के क्रिकेटर बनने के सपने की राह में रोड़ा बनने की जगह उसकी यथासंभव मदद करें.

अगले दिन से आकाश को क्रिकेट अभ्यास हेतु स्कूल की छुट्टी के बाद शहर के ग्राउंड में पापा रोज शाम को ले जाने लगे. कोच भी मेहनत से सिखाने लगे और आहिस्ता-आहिस्ता आकाश के खेल में सुधार होने लगा. पापा और परिवार के सहयोग से आकाश के विचार भी बदल गये. अब वह खेल के साथ पढाई की ओर भी ध्यान एकाग्र करने लगा.

जिससे उसका परीक्षा परिणाम भी बेहतर आया और खेल में भी पारंगत होता जा रहा था. आकाश में आए सकारात्मक परिवर्तनी को देखकर सभी काफी प्रसन्न हुए.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

पिकनिक

आज श्रेया सुबह-सुबह ही उठ गई और शीघ्रता से तैयार भी हो गई. वह बहुत उत्साहित थी क्योंकि आज बहुत दिनों के बाद पूरे परिवार के साथ पिकनिक पर जाने का कार्यक्रम बना था.मम्मी पापा दादा दादी भैया सभी अपनी-अपनी तैयारियों में लगे थे. श्रेया बहुत उतावली हो रही थी, उसे लग रहा था कि बहुत देर हो रही है.

अंततः प्रातः 9 बजे सभी लोग घर से एक बड़ी सी कार से रवाना हो गये. पिकनिक के लिए तय जगह तक पहुँचने में लगभग एक घण्टे का समय लगने वाला था.

आधे घण्टे की यात्रा के बाद अचानक कार रुक गई. ड्राइवर ने बताया कि कार में कोई गड़बड़ी आ गई है. पापा ने ड्राइवर के साथ खराबी समझने और ठीक करने का प्रयास किया पर सफल नहीं हो सके. श्रेया के मुख पर उदासी छा गई. ड्राइवर आसपास किसी मैकेनिक की खोज में चला गया.अब उन सबके पास प्रतीक्षा करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था.

अब इसके आगे आप अपनी कल्पना से इस कहानी को पूरा कीजिए और हमें माह की 15 तारीख तक ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर भेज दें. आपके द्वारा पूरी की गई कहानियों में से चुनी गयी श्रेष्ठ कहानी किलोल के अगले अंक में प्रकाशित की जाएगी.

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