पहेलियाँ
रचनाकार- दिलकेश मधुकर
- मीठी जिसकी बोली,रंग है जिसकी काली.
कुहू-कुहू आवाज निकाले,है लगती निराली.
- रंग-बिरंगी पंखों वाली,मेघ देख नृत्य दिखाए
कृष्ण मुकुट में सजे,जल्दी कोई नाम बताए..
- लाल कलगी वाला,सुबह सबको जगाता.
घर आंगन में घूम-घूमकर,सबको भगाता.
- हरे रंग देह और,लाल रंग का चोंच.
खाकर मिर्च बोले,नकल बनाए सोच.
- कौए से जंग जीत लिया,ऐसी है जिसकी कहानी.
तनिक भी घमंड नहीं,करे अलग दूध और पानी.
- दिन को जो आराम करें,रात में करें सैर.
बच्चों को दूध पिलाए,लटके उल्टे पैर.
- नदी किनारे खड़ा रहे,मारे एकटक नैन.
जब तक मीन न पकड़े,न मिले उसे चैन.
- पितर का तर्पण खाए,बोले अपनी बात.
कांव-कांव करता रहे,काले रंग की जात.
- राजा के बाग में नहीं,पर राजकीय कहलाए.
मानुष बोली बोले,अपनी पहचान बतलाए..
- अंडा बिके बीच बाजार,दर्जन भर सौ पचास.
बन तंदूरी और कबाब,स्वाद लगे खासमखास..
उत्तर- 1.कोयल 2.मोर,3. मुर्गा 4. तोता 5. हंस 6. चमगादड़ 7.बगूला 8.कौआ 9.मैना 10. मुर्ग़ी