छत्तीसगढ़ी बालगीत

जड़काला

रचनाकार- बलदाऊ राम साहू

जड़काला के दिन जब आथे
गोरसी ह तो गजब सुहाथे.

कन-कन करथे तरिया-नदिया
रौनिया ह तो मन ला भाथे.

जुन्ना कथरी अउ कमरा हर
हितवा बन के जाड़ भगाथे.

अब के पाहरो नवा जुग मा
साल-स्वेटर ह मन ललचाथे.

रात हर बैरी कस लागथे
नवा सुरुज हर प्रीत निभाथे.

बेंदरा

रचनाकार- बलदाऊ राम साहू

कूदत - कूदत बेंदरा आथे
आधा फेंकथे,आला खाथे.

परे गोटानी नइ सुधरे ओ
उलटा मोला दाँत देखाथे.

जाथे ओ हर बारी - बखरी
तुम्मा,कोंहड़ा जम्मो खाथे.

नइ डर्रावय मनखे मन ल जी
कुकुर मन ल ओ गजब डर्राथे.

नवा बछर

रचनाकार- टीकेश्वर सिन्हा 'गब्दीवाला'

नवा बछर आगे.
सबो डहर छागे.

उत्ती लाल बरन.
दिखय सोन किरन.

धीरे-धीरे हवा चलय.
रुखराई घलो डोलय.

फूल अबड़ महकय.
कोइली अबड़ कुहकय.

खुसी घरोघर छागे.
नवा बछर आगे.

मान ल पाथे

रचनाकार- बलदाऊ राम साहू

जउन ह पढ़े मा मन लगाथे
उहीच्च ह आगू बढ़ पाथे.

मिहनत ले जउन देह चुराथे
जिनगी बर उही ह पछताथे.

दूसर के कहना मा चलथे
परबुधिया जी उही कहाथे.

रद्दा खुद बर अपन बनाथे
जग मा भैया नाम कमाथे.

भाखा- बोली जेकर सुग्घर
उहीच्च हर तो जस ल पाथे.

जिनकर भुजा मा ताकत हे
मनखे उही जोद्धा कहाथे.

जे 'बरस' के पाछू रेंगथे
जिनगी भर ओ मान ल पाथे.

करौ पढ़ाई

रचनाकार- बलदाऊ राम साहू

सब ले बढ़िया काम हे भाई
मिहनत कर के करौ पढ़ाई.

जउन मिहनत ले देह चुराथे
जिनगी बर उही ह पछताथे.

मिलजुल के तुम रहना सीखौ
लड़े-झगरे म नइ हे भलाई.

जउन हर पर के जीव दुखाथे
सच मा होथे उही कसाई.

कौनो रोग ल छोट झन जानो
धियान लगा के करौ दवाई.

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