बालगीत

बिन बरसे

लेखक - द्रोण साहू

बिन बरसे मत जाना बादल,
हमको मत तरसाना बादल।

देखो धरती बैठी सूखी,
मानो तेरे प्यार की भूखी,
आकर प्यार बरसाना बादल।

मुँह फुलाए खड़ा पलाश,
घास का चेहरा भी उदास,
आकर इन्हें मनाना बादल।

बिन पानी के धान भी रोया,
रोते-रोते प्यासा सोया,
गीत बूँद के गाना बादल।

कब आए तू थप-थप-थप-थप,
बिन तेरे तो तड़प गए सब,
और न अब तरसाना बादल।

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