पहेलियाँ
रचनाकार - विजय लक्ष्मी राव
- बीन बजाते आता हूं, खून पिए उड़ जाता हूं.
- टर- टर करते आता हूं ,पानी में छिप जाता हूं.
- टिक- टिक करते रहती हूं, समय बताते फिरती हूं.
- फुर्र- फुर्र करते आती हूं, दाना चुग उड़ जाती हूं.
- लंबी गर्दन पीठ में फोड़ा , पतली टांगे रेत में दौड़ा.
- रंग - बिरंगे पंख है मेरे , फ़ूल- फूल पर मंडराती हूं.
- रंग - बिरंगे पंखों वाला, घटा देख नृत्य करने वाला.
उत्तर खंड- 1. मच्छर, 2. मेंढक, 3. घड़ी, 4. चिड़िया, 5. ऊंट, 6. तितली, 7. मोर
फसल एवं पेड़ पौधों के नाम खोजिए
रचनाकार -दिलेश्वरी मरावी (कक्षा 5)
- तुम कई दिन तक विद्यालय नहीं आए
- सब लोग नाच नाच कर थक गए
- हम सूरदास के भजन गाते हैं
- एक अनार हर दिन खाया करो
- मीराबाई को हरि नाम का चाव लग गया
- एक दिन राधा नहर जा रही थी
- धोखेबाज रावण सीता को उठा ले गया
- चीनी और नमक पास में ही पडे़ थे
- ज्योति लकड़ी लेने वन में गई
- खेलने से पढ़ाई खराब नहीं होती
- चिड़िया उड़ दक्षिण की ओर
- चिड़िया वाली कहानी मजेदार है
- तुमको अपना विद्यालय कैसा लगता है
- जरा अपनी कॉपी पलट कर तो देखो
- सब बालक रंजन के साथ जाएंगे
- अतुल सीटी बजा रहा है
- साबुन से मलमल कर नहाओ
- बाजार से एक सीप ला सको तो अच्छा है
- फर्श की गोबर से लिपाई करो
- सीता जी रोज वाटिका में जाती थी
उत्तर खंड-1. मकई, 2. चना, 3. मसूर, 4. रहर, 5. चावल,6. धान, 7. बाजरा, 8. कपास, 9. तिल, 10. ईख, 11. उड़द, 12. नीम, 13. साल, 14. पीपल, 15. करंज, 16. तुलसी, 17. सेमल, 18. पलास,19. बर, 20. जवा