कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी –

हाथी और गौरैया

किसी पेड़ पर एक गौरैया अपने पति के साथ रहती थी. वह अपने घोंसले में अंडों से चूजों के निकलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी.

एक दिन की बात है गौरैया अपने अंडों को से रही थी और उसका पति भी रोज की तरह खाने के इन्तेजाम के लिए बाहर गया हुआ था.

तभी वहां एक गुस्सैल हाथी आया और आस-पास के पेड़ पौधों को रौंदते हुए तोड़-फोड़ करने लगा. उसी तोड़ फोड़ के दौरान वह गौरैया के पेड़ तक भी पहुंचा और उसने पेड़ को गिराने के लिए उसे जोर-जोर से हिलाया. पेड़ काफी मजबूत था इसलिए हाथी पेड़ को तो नहीं तोड़ पाया और वहां से चला गया, लेकिन उसके हिलाने से गौरैया का घोसला टूटकर नीचे आ गिरा और उसके सारे अंडे फूट गए.

गौरैया बहुत दुखी हुयी और जोर जोर से रोने लगी. तभी उसका पति भी वापस आ गया. वह भी बेचारा बहुत दुखी हुआ और उन्होंने हाथी से बदला लेने और उसे सबक सिखाने का फैसला किया. वे अपने मित्र कठफोड़वा के पास पहुंचे और उसे सारी बात बताई.

हमे बहुत से लागों ने यह कहानी पूरी करके भेजी है. उनमें से कुछ हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं -

संतोष कुमार कौशिक व्दारा पूरी की गई कहानी

कठफोड़वा ने अपने मित्र से धीरज रखने को कहा – ‘‘देखो मित्रों इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति अच्छा बुरा कर्म करता है कर्म के अनुसार उसको फल भोगना पड़ता है. हम हाथी को सबक ज़रूर सिखाएंगे. रानी मधुमक्खी मेरी मित्र है. उससे इस संबंध में बात करूंगा.’’ यह कहकर कठफोड़वा रानी मधुमक्खी के पास गया और उसे गौरैया व उसके पति के साथ हाथी व्दारा किए गए अत्याचार के बारे में बताया. सुनकर मधुमक्खी क्रोधित हो गई. उसने अपने दोस्त कठफोड़वा से कहा - 'हम सब हाथी को सबक सिखाने के लिए बैठक करके योजना बनाते हैं. योजना अनुसार कार्य करेंगे तो निश्चित ही अपने कार्य में सफल होंगे.'

इस तरह गौरैया, उसके पति, कठफोड़वा व रानी मधुमक्खी बैठक कर एक योजना बनाते हैं. हाथी को सबक सिखाने के लिए आने वाले दिन को निर्धारित किया जाता है.

रोज की तरह हाथी एक पेड़ के नीचे आराम करने के लिए आता है. उसी समय योजना के अनुसार रानी मधुमक्खी अपने पूरे परिवार के साथ हाथी पर हमला करके काटना शुरू कर देती है. हाथी मधुमक्खियों से परेशान होकर इधर-उधर भागने की कोशिश करता है. जैसे ही हाथी भागता है वैसे ही अवसर देखकर कठफोड़वा उसकी एक आंख को चोंच मार कर फोड़ देता है. हाथी तिलमिला जाता है और सोचता है कि – ‘‘हे भगवान-मुझे किस चीज का कष्ट मिल रहा है.’’ तभी वहां गौरैया की आवाज सुनाई पड़ता है – ‘‘जैसा कर्म करोगे, वैसा फल पाओगे.’’ हाथी को समझ में आ जाता है कि गौरैया उस दिन का बदला मुझसे ले रही है. हाथी गौरैया से बार-बार क्षमा याचना करता है. कठफोड़वा इधर उसकी दूसरी आंख को फोड़ने वाला ही रहता है, उसी समय गौरिया कहती है – ‘‘रुको कठफोड़वा भैया अब जो मेरे अण्डे नष्ट हो गये हैं वह वापस नहीं आने वाले हैं. हाथी को अपने किए की सजा उसकी एक आंख देकर चुकानी पड़ी. जब भी हाथी को देखने में असुविधा होगी तो हमें जरूर याद करेगा. उसे मधुमक्खियों ने भी उसे किए की सजा दे दी है. उसकी दूसरी आंख फोड़ोगे तो अपने किए का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा. भैया इसे क्षमा कर दो. रानी मधुमक्खी बहन आप भी क्षमा कर दो. शायद हाथी को अपनी गलती का एहसास हो गया है.’’

इधर हाथी अपने कार्यों पर शर्मिंदा होकर गौरैया, उसके पति, कठफोड़वा और रानी मधुमक्खी के पास पहुंचकर बार-बार हाथ जोड़कर क्षमा मांगता है. उसको सभी लोग क्षमा कर देते हैं. अब सब जंगल में एक परिवार की तरह खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करते हैं.

सीख - हमें मिल-जुल कर कार्य करना चाहिए. मिलकर कार्य करने से बड़े से बड़ा कार्य भी पूर्ण हो जाता है. यदि किसी से जाने अनजाने में गलती हो जाती है तो उसे एक बार सुधरने का अवसर जरूर देना चाहिए.

इंद्रभान सिंह कंवर व्दारा पूरी की गई कहानी

तब वे सब मिलकर उसे सबक सिखाने की सोचते हैं. एक दिन मस्त मौला हाथी अपनी मस्ती में चूर होकर जंगल में घूमते दौड़ते रहता है. दौड़ते हुए शिकारी व्दारा बनाए गए गड्ढे में गिर जाता है और जोर-जोर से बचाओ बचाओ की आवाज लगाता है, मगर उसकी आवाज को कोई नहीं सुनता.

तभी वहां से गौरैया चिड़िया गुजरती है और चिल्लाते हुए हाथी की आवाज सुन लेती है. तब नजदीक जाकर देखती है. हाथी वहां अपनी जान बचाने तथा गड्ढे से बाहर आने के लिए झटपटाता रहता है. तब गौरैया को हाथी व्दारा की करतूतों की याद आ जाती है मगर उसके अंदर की दया भाव व ममता उसे हाथी को बचाने को कहती है. वह सब कुछ भूल कर हाथी को बचाने के लिए मदद करने हेतु जंगल के अन्य जानवरों को जल्दी से बुलाती है.

फिर सभी जानवर वहां हाथी को बचाने के लिए इकट्ठे होते हैं. सब मिलकर हाथी को गड्ढे से बाहर निकालते हैं तथा उसकी जान बचाते हैं. उसी समय कठफोड़वा चिड़िया भी वहां पर मौजूद रहती है. वह हाथी को याद दिलाती है, कि आज तुम जिस गौरैया के कारण बच पाए एक दिन तुम ने ही उसका पूरा घर उजाड़ दिया था उसके अंडे फोड़ दिए थे. और भी न जाने कितनों को परेशान किया था. फिर भी उसने तुम्हारी जान बचाने के लिए जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा किया और सभी ने मिलकर तुम्हारी जान बचाई, क्योंकि यह सभी जंगल में रहने वाले जीव जंतुओं को अपना परिवार मानते हैं. मगर तुम इन सब को अपना परिवार नहीं मानते. यह सब जानकर हाथी को पछतावा होता है और वह गौरैया तथा जंगल के सभी जानवरों से अपनी करतूतों की माफी मांगता है और आगे से अच्छा बनकर रहने का वचन देता है.

सीख- हमें सदैव सभी के साथ मिल जुल कर रहना चाहिए तथा अच्छा व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि हम सब का जीवन एक दूसरे के सहयोग पर ही आधारित होता है.

अगले अंक के लिये अधूरी कहानी –

लोमड़ी और बकरी

एक समय की बात है, एक लोमड़ी घूमते-घूमते एक कुएं के पास पहुंच गई। कुएं की जगत नहीं थी. उधर, लोमड़ी ने भी इस और ध्यान नहीं दिया. परिणाम यह हुआ कि बेचारी लोमड़ी कुएं में गिर गई.

कुआं अधिक गहरा तो नहीं था, परंतु फिर भी लोमड़ी के लिए उससे बाहर निकलना सम्भव नहीं था. लोमड़ी अपनी पूरी शक्ति लगाकर कुएं से बाहर आने के लिए उछल रही थी, परंतु उसे सफलता नहीं मिल रही थी. अंत में लोमड़ी थक गई और निराश होकर एकटक ऊपर देखने लगी कि शायद उसे कोई सहायता मिल जाए.

लोमड़ी का भाग्य देखिए, तभी कुएं के पास से एक बकरी गुजरी. उसके कुएं के भीतर झांका तो लोमड़ी को वहां देखकर हैरान रह गई.

“नमस्ते, लोमड़ी जी!” बकरी बोली- “यह कुएं में क्या कर रही हो?”

“नमस्ते, बकरी जी!” लोमड़ी ने उत्तर दिया- “यहां कुएं में बहुत मजा आ रहा है.“

अब इस अधूरी कहानी को जल्‍दी से पूरा करके हमें भेज दो. कहानी भेजने का ई-मेल है – dr.alokshukla@gmail.com. कहानी तुम वाट्सएप से 7000727568 पर भी भेज सकते हो. सभी अच्‍छी कहानियां हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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