कहानी पूरी करो
पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी –
स्नो व्हाइट और सात बौने
यह बेहद पुरानी बात है, एक राज्य की रानी सर्दियों के समय खिड़की के पास बैठकर कुछ सिल रही थी. अचानक सुई उसकी उंगली में चुभ गई और रानी के रक्त का क़तरा पास की बर्फ पर जा गिरा. इस घटना को देख रानी के मन में एक ख़्याल आया कि काश मेरी एक बेटी होती, जिसका रंग इस बर्फ की तरह की तरह ही सफेद होता, उसका होंठ रक्त के क़तरे से भी लाल होते और बाल काली घटाओं से.
कुछ समय बाद ही रानी को बेटी हुई और वो ठीक वैसी ही थी, जैसी उन्होंने कल्पना की थी, इसलिए उसका नाम रखा गया स्नो व्हाइट. कुझ समय बाद रानी की मृत्यु हो गया और समय बीतने के बाद राजा ने दूसरी शादी कर ली. वो नई रानी भी बेइंतेहा ख़ूबसूरत थी. रानी के पास एक जादुई आईना था, जिससे वो वो रोज़ पूछती कि बता इस दुनिया में सबसे सुंदर कौन है? चूंकि वो आईना कभी झूठ नहीं बोलता था, तो वो हमेशा कहता- आप ही सबसे सुंदर हो रानी. यह सुन रानी ख़ुद भी इतराती.
समय बीतने के साथ-साथ स्नो व्हाइट की ख़ूबसूरती और भी निखरती गई और एक दिन ऐसा आया, जब जादुई आईने ने रानी की बजाय जवाब दिया- जग में सबसे सुंदर है- स्नो व्हाइट! यह सुन रानी को सदमा लगा और वो स्नो व्हाइट से जलने लगीं. रानी ने अपने सबसे ख़ास और क़रीबी सिपाही को बुलाकर आदेश दिया कि स्नो व्हाइट को दूर जंगल में ले जाकर मार डालो.
सिपाही स्नो वहाइट को ले तो गया, पर उसे मार नहीं पाया. मासूम स्नो व्हाइट पर उसको दया आ गई और उसने स्नो व्हाइट को रानी की असलियत बताकर उससे दूर रहने को कहा. स्नो व्हाइट को जंगल में ज़िंदा ही छोड़कर जाते समय सिपाही एक जंगली जानवर का दिल ले गया सबूत के तौर पर.
स्नो व्हाइट यहां-वहां भटकती रही कि तभी उसकी नज़र एक छोटे-से घर पर पड़ी. वो घर एकदम बच्चों के घर जैसा था. वो घर था सात बौनों का.
हमे बहुत से लागों ने यह कहानी पूरी करके भेजी है. उनमें से कुछ हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं -
संतोष कुमार कौशिक व्दारा पूरी की गयी कहानी
स्नो व्हाइट ने देखा बौनो के घर में खाना, बिस्कुट और रोटी भी है. इतने छोटे-छोटे बर्तन, कुर्सी, बेड और अन्य चीजें उसको आकर्षित कर रही थीं. स्नो व्हाइट कुछ बिस्कुट और रोटी खा कर सो गई. जब बौने घर लौटे तो सब समान इधर-उधर देखकर सोच में पड़ गए. शयनकक्ष में उसकी नजर स्नो व्हाइट पर पड़ी. वह जाग गई और बौनो को देखकर डर गई. उसने बौनो को अपनी बीती हुई पूरी कहानी सुनाई. बौनो को दया आ गई और उन्होने स्नो व्हाइट को अपने साथ रख लिया. वह घर का सारा काम करती और बौने जंगल में जाकर खाने का इंतजाम करते. बौने विभिन्न प्रकार की कलाएं जानते थे. उन्होने स्नो व्हाइट को आत्मरक्षा के लिए अस्त्र-शस्त्र चलाना सिखाया एवं विभिन्न कलाएं भी सिखाईं.
इस बीच रानी ने फिर से अपने आईने से पूछा कि कौन सबसे सुंदर है. आईने ने कहा आप बेशक बहुत सुंदर हैं लेकिन आपसे भी सुंदर है - पहाड़ों के उस पार सात बौनो के साथ रहने वाली स्नो वाइट. यह सुनकर रानी गुस्से में आग बबूला हो गई. उसने कहा- 'किंतु वह तो मर चुकी है.' आईना बोला नहीं, वह अभी तक जीवित है. रानी समझ गई कि मेरे सैनिकों ने मुझे धोखा दे दिया. अब मैं स्वयं सैनिको के साथ जाकर उसे मार दूंगी. इस तरह राज्य के पूरे सैनिकों के साथ अस्त्र-शस्त्र लेकर वह स्नो व्हाइट को मारने के लिए निकल पड़ी. इसकी जानकारी राजा को नहीं थी.
रानी एवं उसके सैनिकों ने बौनो के घर को चारों तरफ से घेर लिया. संयोग से सभी बौने वहीं उपस्थित थे. विभिन्न प्रकार की कलाओं का प्रयोग करते हुए स्नो व्हाइट एवं बौनो ने सभी सैनिको को मार गिराया व रानी को बंधक बना लिया.
बौने स्नो व्हाइट को उसका अधिकार दिलाने हेतु उसे तथा रानी को ले लेकर राजा के पास गये. स्नो व्हाइट ने अपनी सौतेली मां के बारे में पिताजी को पूरी जानकारी दी. पिताजी ने रानी के किए हुए कार्यों पर क्रोधित होकर मारने के लिए तलवार निकाल ली. जैसे ही राजा ने रानी को मारने के लिए तलवार निकाली वैसे ही स्नो वाइट ने अपने पिताजी का हाथ पकड़कर मां को क्षमा करने की बात कही. बेटी की समझदारी को देखकर राजा की आंखों में आंसू भर आए. सौतेली मां भी अपने किए पर शर्मिंदा हुई. उसने स्नो व्हाइट से क्षमा मांगी. स्नो ने व्हाइट अपनी सौतेली मां को क्षमा कर दिया. राजा, रानी और स्नोव्हाइट व्हाइट खुशी-खुशी सथ में रहने लगे.
शिक्षा - ईर्ष्या और षड्यंत्र करने वाले खुद अपने ही आग में जल जाते हैं. एक न एक दिन उन्हें अपने किए की सजा मिलती है. इसलिए मन में किसी के लिए भी जलन मत रखो और षड्यंत्र से दूर रहो.
इंद्रभान सिंह कंवर व्दारा पूरी की गयी कहानी
वह घर के अंदर प्रवेश करती है जहां कुछ खाने का सामान पड़ा रहता है. वह भूख के कारण इंतजार नहीं कर पाती और खाने के सभी समान को खा जाती है. खाने के बाद उसे नींद आ जाती है और वह वहीं पर लेट जाती है. थोड़ी देर बाद सभी बौने अपने घर के अंदर आते हैं और देखते हैं कि सभी सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा रहता है और एक बहुत ही सुंदर लड़की उनके बिस्तर पर आराम कर रही होती है. उसकी सुंदरता देखकर वे उसे मंत्रमुग्ध होकर देखते रहते हैं और उसके उठने का इंतजार करते हैं. जब वह नींद से उठती है तो एक बौना उसका परिचय पूछता है और आने का कारण भी. तब वह रोते हुए अपना परिचय देती है और वहां तक पहुंचने का कारण बताती है. सातो बौने कारण जानकर बहुत ही दुखी होते हैं.
उसके बाद वह भी बौनों से पूछती है कि आप सभी यहां जंगल में क्यों रहते हैं. तब वे भी अपने जंगल में रहने का कारण बताते हैं कि जिस तरह आपको आपकी मां ने यहां पहुंचाया है, उसी तरह मानव समाज ने हमारे बौनेपन का उपहास कर हमें यहां तक पहुंचाया है. सभी लोग हमारे बौने होने का मजाक उड़ाते थे, जिससे परेशान होकर हम सब यहां शांत वातावरण में जीवन व्यतीत कर रहे हैं. स्नो व्हाइट भी उन लोगों के बारे में जानकार बहुत दुख व्यक्त करती है. एक दूसरे के बारे में जानने के बाद वह सब एक साथ रहने का फैसला करते हैं.
सभी लोग साथ-साथ खुशी से जीवन व्यतीत करते हैं. एक दिन राजा शिकार के लिए जंगल गए हुए रहते हैं, और शिकार का पीछा करते हुए दल से अलग हो जाते हैं. तभी एक जंगली जानवर उन पर हमला कर देता है, जिससे राजा चिल्लाते हुए मूर्छित हो जाते हैं. उनके चिल्लाने की आवाज वहीं पास में लकडी काट रहे उन बौनों के कानों तक पहुंचती है. वह राजा को जानवर से बचाकर मूर्छित अवस्था में अपने घर लेकर आते हैं. स्नो व्हाइट उस समय फल तोड़ने के लिए जंगल गई हुई रहती है. बौने, राजा के घाव पर मरहम-दवाई लगाते हैं. कुछ देर बाद राजा को होश आता है. तब वे देखते हैं कि सात बौने उनकी चारपाई के पास खड़े हैं, जो टकटकी लगाकर राजा को देख रहे होते हैं. राजा उन सभी को धन्यवाद देते हैं, साथ ही उनका परिचय भी पूछते हैं. तब बौने अपने बारे में बताते हैं और साथ यह भी बताते हैं कि उनके साथ एक लड़की भी रहती है. हम सब यहां एक परिवार की तरह रहते हैं.
कुछ देर बाद स्नो व्हाइट घर पहुंचती है. राजा देखते ही उसे पहचान जाते हैं, और फिर दोनों पिता पुत्री एक दूसरे से गले मिलकर रोने लगते हैं. राजा को स्नो व्हाइट के यहां होने और सात बौनों के जंगल में रहने का कारण पता चलता है, जिससे वह काफी दुखी व क्रोधित होते हैं.
उसके बाद राजा उन सभी को लेकर राजमहल आ जाते हैं और तत्काल राजदरबार की बैठक बुलाते हैं, जहां उन सभी को प्रस्तुत किया जाता है. साथ ही रानी को भी वहां बुलाया जाता है. रानी स्नो व्हाइट को देखकर डर जाती है. राजा व्दारा रानी की करतूतों को राज दरबार में बताया जाता है और फिर सजा सुनाई जाती है. साथ ही समाज व्दारा सात बौनों के साथ हुए भेदभाव के बारे में भी बताया जाता है और उनके महान कार्यों का वर्णन करते हुए निर्णय लिया जाता है कि आज से इस राज्य में किसी प्रकार के दिव्यांग जनों से बुरा व्यवहार नहीं किया जाएगा. सभी को बराबर का अधिकार व सम्मान प्राप्त होगा. इसे सुनकर वे सभी बौने खुशी से उछल पड़ते हैं.
सीख- अच्छे कर्मों का फल हमेशा अच्छा ही होता है. भले वह फल देर से ही क्यों न प्राप्त हो.
अगले अंक के लिये अधूरी कहानी –
हाथी और गौरैया
किसी पेड़ पर एक गौरैया अपने पति के साथ रहती थी. वह अपने घोंसले में अंडों से चूजों के निकलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी.
एक दिन की बात है गौरैया अपने अंडों को से रही थी और उसका पति भी रोज की तरह खाने के इन्तेजाम के लिए बाहर गया हुआ था.
तभी वहां एक गुस्सैल हाथी आया और आस-पास के पेड़ पौधों को रौंदते हुए तोड़-फोड़ करने लगा. उसी तोड़ फोड़ के दौरान वह गौरैया के पेड़ तक भी पहुंचा और उसने पेड़ को गिराने के लिए उसे जोर-जोर से हिलाया. पेड़ काफी मजबूत था इसलिए हाथी पेड़ को तो नहीं तोड़ पाया और वहां से चला गया, लेकिन उसके हिलाने से गौरैया का घोसला टूटकर नीचे आ गिरा और उसके सारे अंडे फूट गए.
गौरैया बहुत दुखी हुयी और जोर जोर से रोने लगी. तभी उसका पति भी वापस आ गया. वह भी बेचारा बहुत दुखी हुआ और उन्होंने हाथी से बदला लेने और उसे सबक सिखाने का फैसला किया. वे अपने मित्र कठफोड़वा के पास पहुंचे और उसे सारी बात बताई.
अब इस अधूरी कहानी को जल्दी से पूरा करके हमें भेज दो. कहानी भेजने का ई-मेल है – dr.alokshukla@gmail.com. कहानी तुम वाट्सएप से 7000727568 पर भी भेज सकते हो. सभी अच्छी कहानियां हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.