चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर हमें कई मज़ेदार कहानियां मिली हैं. उनमें से दो को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं –

लालच

लेखक - इन्द्रभान सिंह कंवर

एक बार चार मित्र थे जो कि सफ़र पर जा रहे थे. रास्ते में उन्हें भूख लगने लगी. उन्हें अचानक एक आम का पेड़ दिखाई पड़ा जिस पर कुछ फ़ल लगे हुए थे. चारों ने उसे देखकर राहत की सांस ली और आम तोड़ने का उपाय सोचने लगे. डण्डे तथा पत्थर की तलाश इधर उधर करने लगे. तभी उसमें से एक मित्र जो थोडा लालची था वह लालच में आकर चुपचाप झट-पट पेड़ पर चढ़ा. उसने सभी आम तोड़कर अपने पास रख लिये.

जब बाँकी तीन मित्र वापस आये तब उन्होने देखा की पेड़ पर एक भी फ़ल नही है. उन्होने पेड़ पर चढे हुए अपने मित्र को देखा जिसके पास सभी फ़ल रखे हुए थे. तीनो ने उससे खाने के लिये फ़ल माँगे मगर उसने यह कहकर देने से मना कर दिया कि उसने बड़ी मेहनत से पेड़ पर चढ़कर इन फ़लो को तोड़ा है.

अब तीनो मित्र निराश होकर वहा से चलने लगे. चौथा मित्र भी पेड़ पर से नीचे उतरने की कोशिश करने लगा. लालच वश वह पेड़ पर चढ़ तो गया था मगर वह अब नीचे नही उतर पा रहा था. वह काफ़ी परेशानी में था. अब उसने अपने तीनो मित्रों को आवाज लगाई जो कुछ ही दूर गये थे. तीनो ने उसकी आवाज सुनी पर रुके नहीं आगे चलते रहे. एक मित्र ने कहा चलो हम उसकी मदद करते हैं आखिर वह हमारा मित्र है.

फ़िर तीनो ने वापस आकर उसकी मदद कर उसे पेड़ से नीचे उतारा. अब उस लालची मित्र को अपने व्यवहार पर बड़ा पछतावा हो रहा था. उसने तीनो मित्र से अपने कृत्य पर माफ़ी माँगी और कहा मैने तुम लोगों के साथ इतना बुरा किया मगर फ़िर भी तुम लोगो ने मेरी मदद की. तब तीनो मित्र ने कहा सच्चा मित्र वही होता है जो मुसीबत में काम आये. हम लोग भी तो आपस में मित्र ही हैं. फ़िर उन चारों ने मिलकर आम खाये, गले मिले और अपने सफ़र पर पुनः आगे चल पड़े.

सीख - हमें लालच में पड़कर किसी का अहित नही करना चाहिये. वास्तव में सच्चा मित्र वही होता है जो मुसीबत में काम आये.

अमरइया

लेखिका – आशा उज्जैसनी

स्कूकलों में गर्मी की छुट्टियां हो गई थीं. सभी बच्चोंन की तरह नमन भी बहुत खुश था. वहग अपने पापा के साथ गांव जा रहा था. उसे अपने दादा-दादी के पास गांव जाकर छुट्टियां बिताना बहुत अच्छाप लगता था. गांव में उसके कई दोस्त भी बन गए थे. वह उनके साथ खेलता, साइकिल चलाता और तालाब में तैरने जाता था. गांव में एक अमरइया (आम का बगीचा) थी. वहां बहुत सारे आम के पेड़ थे. नमन और उसके दोस्तक घूमने जाते तो उनका मन आम खाने को करता था. वहां की रखवाली एक माली करता था जो किसी को अंदर नहीं आने देता था. नमन के दोसतों ने उसे बताया कि गर्मी की छुट्टियों के लिये उन्हेंक एक प्रोजक्ट. कार्य दिया गया है जिसमें उन्हेंम किसी नर्सरी या बगीचे का सर्वे करना है. उन्हेंय जानकारी लेनी है कि बगीचे में किस प्रकार के पेड़ हैं, उन्हेंर कैसे उगाया जाता है, उनमें कौन से फल लगते हैं, पेड़ों की देखभाल कैसे करनी है आदि.

इसी से नमन को एक उपाय सूझा. उसने अपने दादाजी को बताया कि आजकल गांव के स्कूोलों में भी शहर की तरह प्रोजेक्ट वर्क दिया जाता है. मुझे और मेरे दोस्तों को आपकी मदद की आवश्य कता है. वह दादाजी को लेकर अपने दोस्तोंझ के साथ अमरइया गया. दादाजी ने माली से बात करके उन सबको अमरइया के अंदर जाने की अनुमति दिला दी. माली ने उनको आम का बगीचा घुमाया और प्रोजैक्ट बनाने में उनकी मदद की. माली ने उनके प्रश्नोंय के उत्ततर भी दिए. इसके बाद उनसे उन्हें आम खाने को दिए. सबने माली को धन्ययवाद दिया. दादाजी को बच्चों का यह कार्य बहुत अच्छाल लगा. अब गर्मी छट्टियां समाप्ता होने वाली हैं और नमन दादा-दादी के साथ गुज़ारे समय की यादों को संजोये अपने पापा के साथ शहर वापस जा रहा है, इस यकीन के साथ कि अगले साल छुट्टियों में वह फिर गांव आयेगा.

अब नीचे दिये चित्र को देखकर कहानी लिखें और हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दें. अच्छीu कहानियां हम किलोल के अगले में प्रकाशित करेंगे.

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