कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी –

अधूरी कहानी – फिर नहीं ललकारा

बैडी सियार को इन दिनों पहलवानी का शौक चढ़ा था. उसने अच्छी-खासी रकम देकर जंबों हाथी से पहलवान के गुण भी सीख लिए थे. जंबों हाथी ने एक दिन बैडी सियार से कहा- ‘‘अब तुम अच्छे पहलवान बन गए हो. मैंने तुम्हें खास और बड़े सभी दांवपेंच सीखा दिए हैं. मुझे नहीं लगता कि कोई तुम्हे आसानी से पटकनी दे सकता है.’’ बैडी खुश होते हुए बोला- ‘‘तो उस्ताद इसका मतलब ये हुआ कि मैं चंपकवन का नामी पहलवान बन गया हूं न?’’ जंबों हाथी बोला –

इंद्रभान सिंह कंवर व्दारा पूरी की गई कहानी

जम्बो हाथी बोला – ‘अभी तो तुम यहाँ के सबसे ताकतवर जानवर हो, मगर एक शक्ति और है जो हम सबसे ताकतवर है. जिसका कोई सामना नहीं कर सकता.’ बैडी बोला – ‘उस्ताद कौन है वो. उसे मेरे सामने लाइये. मैं उसका सामना करूंगा.’ तब हाथी को उसके घमंड का अह्सास हो गया. उसने कहा समय आने पर तुम्हारा सामना उससे अवश्य होगा, अभी तुम्हारी शिक्षा पूरी नहीं हुई है.

अब बैडी सियार अपने घमंड में चूर होकर अपने उस प्रतिव्दन्दी कि तलाश में लग गया. उसने चम्पकवन के सभी जानवरों पर रौब दिखाते हुए उन्हेंग परेशान करना शुरु कर दिया. अपने आपको सबसे ताकतवर साबित कर वहा का राजा बन गया. घमंड उसके सिर चढ़कर बोल रहा था. सभी जीव उससे परेशान हो गये थे. उसका सामना करने की ताकत किसी में न थी इसलिए सभी चुप थे.

समय बीतता गया. फ़िर गर्मी का दिन आ गया. एक दिन चंपकवन में जोरों का तूफ़ान आया और तेज़ बारिश शुरू हो गई. पूरा जंगल तहस-नहस हो रहा था. सभी को अपनी जान की चिंता हो रही थी. चारो ओर हाहाकार मचा हुआ था. सभी जीव जंगल के एक ऊँचे टीले पर एकत्रित हो गये और तूफ़ान के रुकने का इंतजार करने लगे.

वहां बैडी सियार भी था जो अपनी जान बचाने छुपा था. तब हाथी ने उसके पास जाकर समझाया की आज हम सभी जीवन और मृत्यु के कगार पर एक साथ खड़े हैं. यही वो प्रकृति की शक्ति है जिसके आगे तुम्हारी ताकत भी छोटी है. इससे कोई नही जीत सकता. इसलिए कभी अपने आपको सर्वशक्ति‍मान मत समझो और घमंड मत करो. इस संसार में प्रकृति से ज्यादा खतरनाक और ताकतवर कोई नहीं है. सबसे मिलजुलकर प्रेम से रहो. सभी को सम्मान दो और सम्मान पाओ. अपनी ताकत का इस्तेमाल दूसरों की सुरक्षा के लिये करो. यही जिन्दगी का पाठ है, जिसे तुम अपने घमंड के कारण नही सीख पाये. बैडी सियार को सभी कुछ समझ आ गया और उसने सभी से माँफ़ी मांगी. धीरे-धीरे तूफ़ान थम गया और जंगल में शान्ति और खुशहाली छा गई. इसके बाद बैडी सियार ने फ़िर कभी किसी को नहीं ललकारा, और अपनी ताकत का सही इस्तेमाल करने लगा.

सीख - कभी अपने ताकत पर घमंड मत करो क्योंकि प्रकृति से अधिक ताकतवर कुछ नही है. सभी को सम्मान दो और सम्मान पाओ.

कन्हैया साहू (कान्हा) व्दारा पूरी की गई कहानी

जम्बो हाथी बोला हां अब तुम एक बहुत अच्छे पहलवान बन गए हो. बैडी सियार अपनी तारीफ़ सुनकर बहुत उत्साहित हो गया. उसे लगने लगा कि अब इस जंगल का कोई भी जानवर मुझसे मुकाबला नही कर सकता और कोई मुकाबला करता भी है तो उसे अपनी पहलवानी दांव पेंच से आसानी से पटकनी दे सकता हें. बैडी सियार को अपने ताकत पर अब बहुत घमण्ड होने लगा. वह जंगल के छोटे छोटे जानवरों को अपनी पहलवानी के बल पर परेशान करने लगा. जंगल के छोटे जानवर अब बैडी सियार के व्यवहार से बहुत दुखी रहने लगे और सियार के डर से छुपे-छुपे से रहने लगे. जंगल के जानवरों को परेशान करने और उन पर रौब झाड़ने में बैडी सियार को मज़ा आता था. हर दिन वह किसी न किसी जानवर को परेशान करता. वह अपने आप को सबसे ताकतवर समझने लगा.

एक दिन बैडी सियार को उसका गुरु हाथी जंगल मे मिला. सियार ने बड़ी अकड़ दिखाते हुए कहा – ‘आपने मुझे जो पहलवानी सिखायी है उसे आज मैं आप पर ही आजमाता हूं. आपको मुझसे मुकाबला करना होगा.’ हाथी ने उसे बहुत समझाया कि मेरा और तुम्हारा कोई मुकाबला हो ही नही सकता. सियार को लगा कि हाथी उससे डर कर मुकाबला नही करना चाहता. बैडी सियार ने ललकारते हुए कहा – ‘तुम मुझसे डर गए.’ इतना सुनते ही हाथी को बैडी सियार पर बहुत गुस्सा आया. उसने अपनी सूंड से बैडी सियार को पकड़कर जोर से उठाकर जमीन पर पटक दिया और अपने पैर से दो तीन बार जोर-जोर से मारा. अब बैडी सियार का दिमाग ठिकाने आ गया. उसे लगा कि वह किसी भी तरह हाथी से मुकाबला करने लायक नही है. उसने सोचा कि अगर मैं यहाँ रुका तो ये हाथी मुझे मार डालेगा. वह जमीन से उठकर दुम दबाकर भाग गया. उस दिन के बाद बैडी सियार ने जंगल के किसी भी जानवर को मुकाबले के लिए नहीं ललकारा. उसका पहलवानी का भूत अब पूरी तरह सिर से उतर गया था.

सीख :- कभी भी अपने बल बुध्दि पर घमण्ड नही करना चाहिए.

अगले अंक के लिये इस मज़ेदार कहानी को पूरा करके हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दीजिये. अच्छी कहानियां हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

अधूरी कहानी – जादूई कछुआ

सर्दियों की दोपहर में एक छोटा लड़का तालाब के पास नीम के पेड़ के नीचे बैठा था. वह लड़का बहुत उदास था. नदी के पानी को देखते-देखते उसकी आँखों में मोटे-मोटे आंसू आने लगे. अचानक उसने देखा कि एक कछुआ तैरता हुआ उसके पास आ रहा था. वह कछुआ धीरे-धीरे तैर रहा था. जब वह कछुआ तालाब के किनारे पहुचा, तब तक छोटे लडके ने रोना बंद कर दिया था. लडके ने कछुए से कहा – ‘‘तुम कैसे हो? आज मेरी अध्यापिका ने मुझे मेरी रिपोर्ट कार्ड दि‍या. मैंने अच्छी पढाई नही की इसलिये मेरा रिज़ल्ट भी बहुत गंदा आया है. मेरी माँ मेरे रिज़ल्ट को देखकर बहुत दुखी होगी. शायद वह मुझसे गुस्सा भी हो जायेगी. अब मै क्या करूं”

कछुआ लडके की बात ऐसे सुनने लगा जैसे उसे सब कुछ समझ आ रहा हो. लड़के ने आगे कहा “अगर मै अपने नम्बर ना बताऊं तो मेरी माँ उदास नही होगी. हां मै यही करूंगा.” लड़का अपनी समस्या का हल सोचकर संतुष्ट हुआ. उसके चेहरे पर थोड़ी हंसी आ गयी. वह खड़ा हुआ और घर जाने के लिए तैयार हो गया. तभी उसे कछुए की आवाज सुनाई दी -

Visitor No. : 6704536
Site Developed and Hosted by Alok Shukla