कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको पुष्पा शुक्ला जी की अधूरी कहानी दो-बकरियां पूरी करने को दी थी. आइये पहले उस अधूरी कहानी को फिर से पढ़ते हैं –

दो बकरियाँ

लेखिका – पुष्पा शुक्ला

जंगल में एक नाला था. नाले के पास ही दो बकरियां रहती थीं एक काली एक भूरी. नाले के किनारे हरी-हरी घास लगी थी. दोनों बकरियाँ रोज वहाँ घास चरने जाती थीं. एक दिन भूरी बकरी नाले के किनारे घास चर रही थी. काली बकरी वहाँ नहीं आई थी. वह आज दूसरे किनारे पर घास चरने चली गई थी. भूरी बकरी ने इधर - उधर देखा. फिर उसने नाले कि दूसरी तरफ देखा. बकरी ने सोचा – उस किनारे कि घास का रंग कितना हरा है ! वह घास नरम भी होगी. क्यों न आज उस किनारे चलूँ !

नाला गहरा था. भूरी बकरी किनारे - किनारे चलने लगी. एक जगह नाले पर पेड़ गिरा पड़ा था. पेड़ से नाले पर पुल – सा बन गया था. बकरी उस पुल पर चलकर नाला पार करने लगी. जैसे ही वह पुल पर कुछ दूर आगे बढ़ी, उसने देखा कि पुल कि दूसरी ओर से काली बकरी इधर ही आ रही है.

भूरी बकरी ने पूछा – 'बहन, तुम कहाँ से आ रही हो ?' काली बकरी ने कहा – 'मैं आज उस किनारे गई थी अब वापस जा रही हूँ.' भूरी बकरी बोली – 'बहन,यह पुल तो बहुत संकरा है. इस पुल से तो हम दोनों साथ - साथ नहीं निकल सकतीं. अब क्या करें ?'

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बहुत से बच्चों में इस अधूरी कहानी को पूरा करके भेजा है. हम उनमें से कुछ यहां प्रकाशित कर रहे हैं –

कु. सृष्टि मधुकर, कक्षा-4 थी, गोड़वाना पब्लिक स्कूल पोड़ी

काली बकरी बोली -चलो वापस चलो, शाम होने वाली है. तब भूरी बकरी बोली -मुझे वापस नहीं जाना, मुझे तो घास चरने जाना है, तुम पीछे हटो. दोनों पीछे हटने का नाम नहीं लेती थीं. दोनो अपनी-अपनी जिद्द पर अड़ी रहीं. दोनों के बीच में झगड़ा शुरू हो गया. वे एक दूसरे को सींग से मारने लगीं, जिससे उनके पेट से खून निकलने लगा. खून नाले में गिरा तो उसकी गंध पाकर नाले से मगरमच्छ आ गए. लड़ते-लड़ते दोनों का पैर फिसल गया और बकरियां नाले में गिर गईं. मगरमच्छ ने उन्हें खा लिया. इसीलिए कहते हैं कि 'आपस में लड़ने से नुकसान ही होता है.'

कु. कविता कोरी शास.प्राथ.शाला गड़रियापारा, लाखासर

दोनों बकरियाँ सोचने लगीं. काली बकरी ने कहा- बहन हम पुल पार करने के लिए आपस में लड़े तो अवश्य फिसल कर नाले में गिर जाएगें. भूरी बकरी बोली - मैं वापिस जाती हूँ पहले तुम पुल पार करो फिर मैं कर लूँगी. काली बकरी ने कहा - क्यों ना हम दोनों वापस ना जाए और पुल साथ में पार कर लें? भूरी बकरी बोली - क्या ऐसा हो सकता है? कुछ देर बाद काली बकरी बोली - 'मैं पुल पर लेट जाती हूँ, तुम मेरे ऊपर से निकल जाओ.' भूरी बकरी झट से बोली 'नहीं-नहीं, मैं लेट जाती हूँ। तुम पहले निकल जाओ.' भूरी बकरी पुल पर लेट गई काली बकरी ने धीरे-धीरे पाँव उठाए. उसने अपने पाँव भूरी बकरी पर रखे. फिर वह दूसरी तरफ कूद गई. भूरी बकरी उठ खड़ी हुई. वह भी नाले के दूसरे किनारे चली गई. इस तरह दोनों बकरियों ने बुध्दिमानी से काम लिया. शिक्षा - बुध्दि और संयम से कठि‍न से कठि‍न परिस्थितियों का सामना सफलतापूर्वक किया जा सकता है.

कु. प्रीति कक्षा आठवीं शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय बतरा

काली बकरी बहुत चतुर और धूर्त थी. उसने भूरी बकरी को कहा कि आज मैंने तुम्हारी हमशक्ल को देखा है. क्या तुम उससे मिलना चाहोगी? भूरी बकरी उसकी बातों में आ गई और मिलने की इच्छा जाहिर की. काली बकरी ने नाले के तरफ इशारा करते हुए कहा- यह देखो तुम्हारी हमशक्ल, तुमसे मिलना चाहती है. भूरी बकरी को नाले के पानी में अपनी परछाई दिखाई दी जिसे उसने अपनी हमशक्ल बकरी समझा. भूरी बकरी अपनी हमशक्ल से मिलने के लिए नाले में कूद पड़ी और नाले में बह गई. काली बकरी नाला पार कर दूसरी तरफ चली गई.

संजीव कुमार सूर्यवंशी शास. पूर्व मा. विद्यालय नन्दौरकला, सक्ती

काली बकरी बोली- 'बहन, हम एक साथ तो नही निकल सकते. तो एक काम करते हैं मै बैठ जाती हूं. तुम मेरे ऊपर पैर रखकर निकल जाओ.' तब भूरी बकरी बोली - 'नही बहन मै बैठ जाती हूं तुम मेरे ऊपर से निकल जाओ, क्योंकि मै अभी तुरंत चारा चरकर आ रही हूँ तो मुझे ज्यादा परेशानी भी नही होगी.' इतना कहकर भूरी बकरी बैठ गई और काली बकरी उसके ऊपर पैर रखकर निकल गई. दोनों किनारे पर पहुंचीं तो काली बकरी ने भूरी बकरी को धन्यवाद दिया. तब भूरी बकरी बोली- 'बहन धन्यवाद की आवश्यकता नही है. यदि हम मिलकर आपसी भाईचारे के साथ काम करें तो हम काम आसानी से हो जाता है.'

अब इस अंक की अधूरी कहानी पढ़कर उसे पूरा करिये और जल्दी से हमें भेज दीजिये. अगले अंक में आपकी कहानी भी प्रकाशित होगी –

अधूरी कहानी - घमंडी हाथी और चींटी

एक समय की बात है चन्दन वन में एक शक्तिशाली हाथी रहता था. उस हाथी को अपने बल पर बहुत घमंड था. वह रास्ते से आते जाते सभी प्राणि‍यों को डराता धमकाता और वन के पेड़-पौधों को बिना वजह नष्ट करता उधम मचाता रहता. एक दिन आकाश में बिजली चमकी और मूसलाधार बारिश होने लगी. तेज़ बारिश से बचने के लिए हाथी दौड़ कर एक बड़ी गुफा में जा छिपा. गुफा के भीतर एक छोटी सी छीटी भी थी. उसे देखते ही हाथी हँसने लगा और बोला – 'तुम कितनी छोटी हो, तुम्हे तो मैं एक फूंक मारूँगा तो चाँद पर पहुँच जाओगी. मुझे देखो मैं चाहूँ तो पूरे पर्वत को हिला दूँ. तुम्हारा जीवन तो व्यर्थ है.'

अब आगे की कहानी तुम लिखो.

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