चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर हमें अनेक कहानियां मिली हैं जिनमें से कुछ को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं.

दो खरगोश

लेखिका - सृष्टि मधुकर

एक जंगल में दो खरगोश रहते थे. उनमें से एक का रंग सफेद था और दूसरे का रंग भूरा था. एक दिन दोनों जंगल जा रहे थे. तभी भूरे खरगोश को एक तुरही मिली. सफेद खरगोश ने तुरही को देखकर कहा इसे फेंक दो, हमारे किसी काम का नहीं. भूरे खरगोश ने कहा - हर चीज किसी ना किसी काम की तो होती ही है. यह भी किसी काम आ ही जाएगी. दोनों खरगोश तुरही के साथ जंगल में आगे बढ़ चले. तभी उन्हें ऊंट का एक बच्चा मिला जो उदास लग रहा था. सफेद खरगोश ने ऊंट के बच्चे से पूछा क्या हुआ तुम इतने उदास क्यों हो? ऊंट के बच्चे ने कहा मैं खो गया हूं और अपने घर से बहुत दूर भटक कर यहां जंगल में आ गया हूं. ऊंट के बच्चे को उदास देखकर भूरे खरगोश ने तुरही पर एक गाने की धुन बजाई. गाना सुन का छोटे ऊंट को अच्छा लगा. और फिर वह अपना घर ढूंढने निकल पड़ा.

दोनों खरगोश तुरही के साथ जंगल में आगे बढ़ चले. कुछ आगे बढ़ते ही जोरों की बारिश शुरु हुई. आसपास कोई बड़ा छायादार पेड़ भी नहीं था. दोनों खरगोश बारिश में भीगने लगे. उसी समय भूरे खरगोश ने छाते की तरह तुरही को अपने ऊपर कर लिया. वहीं सफेद खरगोश बारिश में भीगता हुआ आगे चला.

कुछ दूर आगे बढ़ने पर दोनों को एक नदी मिली. सफेद खरगोश सोच में डूबा हुआ ही था कि नदी कैसे पार करें? तभी भूरे खरगोश ने कहा चलो इस तुरही पर बैठकर नदी पार करते हैं. नों ने तुरही पर बैठकर नदी पार कर ली.

नदी के उस पार फिर से घना जंगल शुरू हो गया और अंधेरा भी घिर आया. तभी पास से लकड़बग्घा की आवाज सुनाई दी. दोनों खरगोश डर गए और भागकर एक बिल में छुपने की कोशिश की. लेकिन लकड़बग्घा उनकी गंध सुंघता हुआ पास आ गया. तभी भूरे खरगोश ने तुरही को जोर से बजाया. तुरही की आवाज सुनकर लकड़बग्घा डर गया कि कोई भयानक जानवर अंदर है और वह भाग गया. इस तरह तुरही से खरगोश ने अपनी जान बचाई.

चिन्टू खरगोश

लेखिका - सेवती चक्रधारी

चिन्टू खरगोश बड़े मजे से अपनी माँ के साथ रहता था परन्तु वह बहुत ही शरारत करता था हमेशा उछल कूद करता था. माँ हमेशा चिन्टू को समझाती कि बेटा! ज्यादा उछल कूद मत किया कर चोट लग जायेगी. माँ को हमेशा उसकी चिन्ता सताती रहती थी.

एक दिन चिन्टू माँ के साथ नदी के किनारे घास खा रहा था. आदत से मजबूर चिन्टू ने फिर से उछल कूद शुरू कर दी. माँ ने उसे शांत रहने को कहा पर चिन्टू कहां सुनता था.

अचानक चिन्टू शिकारी के व्दारा बिछाए गए जाल मे फंस गया. वह छटपटाने लगा और रोते हुए कहने लगा - माँ मुझे बचाओ. माँ घबराकर इधर - उधर देखने लगी कि क्या करूँ. पास मे ही बिल के अंदर से एक चूहा यह सब देख रहा था. उसे चिन्टू पर दया आ गई. वह बाहर आया और जाल कुतरते हुए बोला कि – चिन्टू माँ की बात सुना करो. माँ ने देखा कि शिकारी बहुत करीब आ चुका था. चूहे ने जैसे ही पूरा जाल कुतरा, माँ ने उसे धन्यवाद दिया. इधर शिकारी और करीब आ चुका था. माँ तरकीब निकालने लगी कि शिकारी से कैसे बचे? माँ ने पास ही रखी तुरही को उठाया और चिन्टु को लेकर नदी मे उतर गई और तुरही के सहारे नदी पार कर ली. शिकारी हाथ मलता हुआ देखता रहा गया. चिन्टू ने माँ से वादा किया कि अब से वह ज्यादा उछल कूद नही करेगा. इस तरह माँ ने अपनी व चिन्टू की जान बचाई.

अब नीचे दिये चित्र को देखकर कहानी लिखें और हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दें. अच्छी कहानियां हम किलोल के अगले में प्रकाशित करेंगे.

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