कहानी

खारा समुद्र

लेखिका – तारिणी साहू कक्षा पांचवी प्रा.शा. बरगाही, राजनांदगांव

एक गांव में 2 भाई रहते थे. एक भाई अमीर था, दूसरा गरीब. एक दिन गरीब भाई अपने अमीर बड़े भाई के पास मदद मांगने गया. बड़े भाई ने इंकार कर दिया. वापस आते समय रास्ते में उसे एक बूढ़ा आदमी मिला. बूढे ने उससे कहा – ‘मैं बहुत भूखा हूं. मुझे कुछ खाने को दो.’ गरीब भाई की पत्नी ने उसे रास्ते के लिये मालपुए बनाकर दिये थे. वह मालपुए उसने बूढ़े आदमी को दे दिये. मालपुए खाकर बूढ़े की भूख मिट गई. उसे तृप्ति हो गई. वह खुश होकर गरीब भाई से बोला – ‘तुम इतने उदास क्यों हो ?’ गरीब भाई ने कहा – ‘मेरे पास खाने-पीने को कछ भी नहीं है. मेरे भाई ने भी मदद से इंकार कर दिया है. अब मैं क्या करूं ?’ बूढे ने गरीब भाई को एक चक्की दी और कहा कि इससे जो मांगोंगे वही यह देगी. घर जाकर गरीब भाई ने कहा ‘चक्की-चक्की चावल दे.’ चक्की से चावल निकल पड़े. जब काफी चावल निकल आये तो गरीब भाई ने चक्की को एक कपड़े से ढ़ाक दिया और चावल निकलना बंद हो गए. गरीब भाई ने पूरे परिवार सहित चावल खाए और बचे हुए चावल बाज़ार में बेच दिये. अब तो रोज़ ही वह चक्की से अलग-अलग वस्तुएं मांगता और उन्हें बाज़ार में बेच देता. कुछ ही दिनों में वह अमीर हो गया.

बड़े भाई को आश्चर्य हुआ कि उसका छोटा भाई इतने कम समय में अमीर कैसे हो गया. उसने छोटे भाई के घर जाकर चुपके से सब कुछ देखा. जब उसने देखा कि‍ बिना काम के ही चक्की सब कुछ देती है तो उसने चक्की को चुरा लिया. किसी को पता न लगे इसलिये वह अपनी पत्नी और बच्चो के साथ एक नाव मे बैठकर निकल पड़ा. रास्ते में जब उन्हे भूख लगी तो पत्नी ने पोटली से भोजन निकाला. जल्दी में उसकी पत्नी भोजन में नमक डालना भूल गई थी. अब अमीर भाई ने चक्की निकाली और कहा ‘चक्की -चक्की नमक दे.’ चक्की से नमक निकलना शुरू हो गया. परंतु अमीर भाई को यह पता नहीं था कि चक्की से नमक निकलना बंद कैसे करे. नमक निकलता ही रहा. नमक के बोझ से नाव डूब गई. वह चक्की. आज भी चल रही है और समुद्र के पानी में नमक मिला रही है. इसीलिये समुद्र का पानी खारा है. इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि लालच बुरी बला है.

नोट – यह मनोरंजन के लिये केवल एक कहानी है. वास्तव में समुद्र का पानी खारा होने का कारण यह है कि सभी नदियां मिट्टी के साथ अनेक प्रकार के लवण भी समुद्र में बहाकर लाती हैं. सूर्य के ताप से समुद्र का पानी भाप बनकर उड़ जाता है, पर लवण उसी में रह जाते हैं. इस कारण समुद्र के पानी में लवण की मात्रा अधिक होती है और समुद्र का पानी खारा होता है.

लालची मच्छर

लेखक - दीपक कुमार कंवर

चट्टु मक्खी और पट्टु मच्छर दोनो मित्र भोजन की तलाश मे निकले. एक घर मे बहुत बढिया-बढ़िया स्वादिष्ट पकवान बन रहा था. सुगंध पाकर दोनो वहीं रुक गए और तय किया गया की बारी-बारी मौका पाकर यहीं भोजन ग्रहण करेंगे.

सबसे पहले चट्टु ने भोजन को छककर खाने का आंनद लिया, तब तक पट्टु देखरेख मे लगा था. फिर उसकी की बारी आई तो पकवान की सुगंध पाकर सोचने लगा - वाह पकवान इतना सुगंधित है तो इसको खाने वाले का स्वाद कैसा होगा, क्यों न उसको खाया जाये. वह पकवान छोड़कर वापस आ गया और अपने मित्र चट्टु को अपना विचार बताया. चट्टू ने उसे समझाते हुए कहा - मित्र जो भी मिल रहा है उसे खा लो. ज्यादा लालच करना अच्छी बात नहीं है. पट्टु मच्छर ने उसकी एक न सुनी और भिनभिनाते हुए चला गया.

उस घर मे मेहमान आये हुए थे और सभी पकवान खाने मे मगन थे. इधर पट्टु का भूख के मारे बुरा हाल था. वह सीधे पकवान खाने वाले इंसान के पास गया. आव देखा न ताव स्वाद लेने के लिए डंक मारा. अचानक जोर से सटाक की आवाज आयी और पट्टु मच्छर मारा गया.

जहां चाह वहां राह

लेखिका – खुशबू शर्मा

उषा एक समान्य से गांव की समान्य स्वाभाव वाली लड़की थी. आज मुझे उसे देखकर बडा गर्व हो रहा है. आज वो दिन याद आ रहा है जब मेरी मुलाकात उषा से हुई थी. कीचड़ से सनी हुई स्कूल बैग पकड़े अपनी यूनिफार्म को पोछती हुई. उषा अपने कपड़ा साफ करते-करते बड़-बड़ा रही थी – ‘क्यों लोग यहां सड़क नही बनाते. सबको इसी कीचड़ भरे रास्ते से होकर आना-जाना पड़ता है. फिर भी कोई इस रास्ते की मरम्मत करवाने की क्यों नही सोचता. रोज मुझे कीचड़ वाले कपड़े में ही स्कूल जाना पड़ता है.’

मैंने उषा से पूछा – ‘क्या हुआ उषा ?’ उषा ने हॅंसकर जबाव दिया – ‘आज फिर होली खेली मैड़म जी.’ उस दिन हम साथ-साथ स्कूल गये. उषा रास्ते भर कीचड़ और उससे होने वाली परेशानी की शिकायत करती रही. मैने कहा - 'उषा हमें शिकायत से पहले सुधार पर ध्यान देना चाहिए. अगर हम सब मिलकर प्रयास करें तो हर समस्या का समाधान हो सकता है.' उषा ने विश्वास भरे शब्दों मे कहा – ‘हां मैडम! अगर सब मिलकर प्रयास करेंगे तो इस समस्या का समाधान भी हो जायेगा.’ उसने घर आकर तुरंत अपने माता-पिता और सरपंच जी से बात की और घर-घर जाकर सबको श्रमदान के लिये प्रेरित किया. देखते ही देखते सबके प्रयासो से वह दलदल भरा रास्ता साफ-सुथरी सड़क में बदल गया. सबकी मेहनत और उत्साह को देखकर सरपंच ने उस कच्ची सड़क को पक्की सड़क बनवाने की ठान ली. आज हम इसी पक्के रास्ते से होकर दशपुर गांव में आये हैं. आज ये गांव आस-पास के सभी गांवों से अधिक विकसित और शिक्षित बन चुका है. आज यहां कई दुकाने है, स्कूल है, स्वास्थ्य केन्द्र और कई सेवा केन्द्र हैं. यहां प्रतिवर्ष मेला भी लगता है. उषा की प्रेरणा और प्रयासों के कारण गांव की हर महिला शिक्षा और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है. आज दशपुर के लोग छोटी-छोटी जरूरतों के लिये सरकार को नही कोसता बल्कि अपनी समस्याओं का समाधान ग्राम स्तर पर स्वंय करने का प्रयास करते हैं. उषा ने इस पिछडे गांव का नक्शा ही बदल दिया. मुझे गर्व है की मैं उषा की शिक्षिका हूं.

Magical Sheep

लेखिका - कु.कविता कोरी

एक Village में एक Shepherd सूरज रहता था. उसके पास एक Sheep था जिससे उसका बहुत Attachment था. वह Village के Domestic animals को Jungle में चराकर अपने sheep के साथ Happily रहा करता था. उसके Neighbors रामू व श्यामू उसे देखकर Jealous थे. वे मन ही मन सोचते कि क्यों ना उसका sheep हड़पकर उसके Happiness को Sadness में बदला जाए.

एक साल Village में वर्षा कम हुई. इसी पर उन्होंने एक Plan बनाया. रामू Monk के भेष में आया और उसने गांव वालों से कहा कि बारिश कम होने की वजह वह sheep ही है. उसने सबसे उस Sheep को Village से निकाल देने को कहा. सूरज sad हो गया पर Village की भलाई के लिए उसने sheep का त्याग करने का मन बना लिया.

Next day श्यामू सूरज के House में Sheep खरीदने की बात करने आया. पर सूरज भोर होते ही sheep को sell करने दूसरे Village की ओर निकल गया था. रास्ते में Forest था. उसने Robbers के Fear से Coins से भरी अपनी छोटी-सी पोटली sheep के गले में बांध दी थी. रास्ते में वह एक Inn में रूका. उसने sheep को बाहर बांध दिया और पोटली निकाल ली. उन Coins में से एक coin sheep की Bell में फंस गया. कुछ देर बात Sheep ने अपना head हिलाया तो coin नीचे गिर गया. Innkeeper की नज़र उस पर पड़ी. Innkeeper ने imagine किया कि यह Magical sheep है और Coins देती है. वह Greedy हो गया और उसने सूरज से यहाँ आने का reason पूछा. सूरज ने उसे sheep sell करने की बात कही.

Innkeeper यह सोचकर Happy होता है कि maybe इसे magical sheep की mystery नहीं पता. वह कहता है 'Brother I will help you. मै इसे buy कर लेता हूँ कह कर sheep का दस गुना दाम देकर झट से sheep ले जाता है. सूरज सब भगवान की मर्जी मानकर वापस house आकर पैसे गिनने लगता है तभी रामू व श्यामू उसे इतने सारे money के साथ देखते है और कारण पता चलने पर सर पीटते अपने घर को जाते है.

शिक्षा - 'इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि किसी का बुरा करने से अपना भला नहीं होता है.' लालच पर रोक और मेहनत पर जोर से ही हमारी प्रगति हो सकती है.'

Word Meaning

Village – गांव

Shepherd – चरवाहा

Sheep – भेड़

Attachment – लगाव

Domestic animal – पालतू जानवर

Jungle – जंगल

Happily - आनंद से

Neighbor – पड़ोसी

Jealous – ईष्या

Happiness – खुशी

Sadness – उदासी

Plan – योजना

Monk – साधु

Sad – उदास

Next day - अगले दिन

House – घर

Sell – बेचना

Forest – जंगल

Robbers – लूटेरे

Fear – डर

Coin – सिक्का

Bell – घंटी

Head – सर

Innkeeper - सराय का मालिक

Imagine – कल्पना

Magical sheep - जादूई भेड़

Greedy – लालची

Reason – कारण

Maybe – शायद

Mystery – रहस्य

Brother – भाई

I - मै

Help – सहायता

You – तुम

Buy – खरीद

Money - धन

मातृभूमि

लेखिका - दीप्ति दीक्षित

एक वन में एक सुंदर झील थी. उसमें बहुत सी छोटी-बड़ी मछलियाँ, मेढ़क, कछुए एवं अन्य जल के जीव सुखपूर्वक रहते थे. झील के किनारे छायादार पेड़ लगे थे. उन पेड़ो पर दूर-दूर से पक्षी आकर बसे थे और झील में पानी पीते तथा क्रीड़ा करते थे. लम्बे समय से वर्षा न होने के कारण धीरे-धीरे झील का पानी कम हो गया. गर्मी के दिनों में झील का पानी जल्दी गर्म हो जाता था. अब झील में पक्षियों के लिए नहाना और पानी पीना कठिन हो गया. झील के किनारे पेड़ों पर रहने वाले पक्षी उसे छोड़ कर दूसरे स्थान पर चले गये. कुछ समय बाद झील के मेढक औऱ कछुए आदि भी झील छोड़कर जाने लगे. इनमे से एक बूढ़े मेढ़क ने सभी से कहा, ‘यह झील हम सभी की मातृभूमि है. इसमें हम सभी ने जन्म लिया, पले बढ़े, खेले-कूदे और इसने ही हमें आश्रय भी दिया. आज झील में पानी कम होने के कारण इसका त्याग उचित नहीं. आओ हम सब मिलकर प्रार्थना करें कि जल्दी से जल्दी भारी वर्षा हो और झील भर जाए.’ उस बूढ़े मेढ़क की बात किसी ने नहीं सुनी और वे सभी झील छोड़कर चले गए. बूढ़ा मेढ़क और मछलियाँ झील में ही रह गए. बूढ़े मेढ़क और मछलियों ने प्रार्थना की, और उनकी प्रार्थना भगवान ने सुन ली. वर्षा होने लगी, जिससे झील छोड़कर गये सभी जीव वापस आ गये और वे सब हसी खुशी झील में रहने लगे तथा दोबारा झील को कभी नही छोड़कर जाने का संकल्प लिया.

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