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पिछले अंक का चित्र हम नीचे दे रहे हैं –

इस चित्र पर हमें अनेक कहानियां प्राप्त हुई हैं. उनमें से कुछ हम प्रकाशित कर रहे हैं –

कहानी-1

हौसले की उड़ान


लेखक - रामफल यादव

ऊँचे पहाड़ी क्षेत्र में एक गाँव था. इस गाँव का नाम अकेलाखेड़ी था. यहाँ जीवन निर्वाह करना बहुत कठिन था. इसी गाँव के पास गुणागर नमक खरगोश भी रहता था. वह हमेशा खुश रहता था. एक दिन पेड़ों को उदास देखकर गुणागर पेड़ों से बोला - 'आप इतने उदास क्यों खड़े हो?' पेड़ों ने रुआँसे स्वर में कहा - 'गुणागर भाई! हम अपने जीवन को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि अब हमारा जीवन नहीं बच पाएगा?' गुणागर खरगोश ने कहा - मन छोटा मत करो पेड़ भाइयों! सुख-दुख तो जीवन के दो पहलू हैं. हमें विषम समय में भी हौसला नहीं छोड़नी चाहिए. धीरज रखो एक दिन हम अपने हौसले के पँख से आसमान पर अवश्य उड़ेंगे. सभी गुणागर की बात मानकर, मन में हौसला रखकर जीवन बिताने लगे. समय बीतता गया और बसंत का मौसम आया. धूप अच्छी मिलने लगी. पेड़ों पर नयी कोंपलें आ गईं. सभी आनंदित हुए. गुणागर खरगोश को हौसले की उड़ान भरते देख सभी आनंदित स्वर में बोल उठे- 'गुणागर भैया! - हम सभी आपके साथ हौसले की उड़ान भरने को तैयार हैं। हम सभी को भी आसमान की सैर करा दो.'

कहानी-2

दुनिया की सैर

लेखि‍का - नलिनी राय

एक नन्हा सा सूअर का बच्चा हमेशा मायूस सा रहता था, क्योंकि उसे कोई पसंद नहीं करता था. जब भी वह इधर उधर घूमता तो सभी उसे डांटकर भगा देते थे. वह भी घूमना चाहता था सारी दुनिया देखना चाहता था. जब भी वह आकाश में पक्षियों को उडते देखता तो सोचता काश! मेरे भी पंख होते तो मैं भी उड़ता और सारी दुनिया की सैर करता. एक दिन अचानक उसने देखा कि एक बच्चा पैराशूट की सहायता से आकाश में उड़ रहा था. फिर क्या था उसने भी एक रंग बिरंगा पैराशूट बनाया और खुशी खुशी आसमान की ओर उडने लगा-सारी दुनिया की सैर करने.

कहानी-3

सपनो की उड़ान

लेखक - राकेश कुमार अनंत

एक खरगोश का छोटा बच्चा था जिसका नाम चीकू था. चीकू बहुत ही समझदार और मेहनती था. वह हमेशा अपने आस-पास की चीजों को ध्यान से देखता और उन्हे परखने की कोशिश करता. एक दिन सुबह-सुबह चिड़िया के चहचहाने की आवाज़ सुनकर चीकू की नींद खुल गयी. चीकू उड़ती हुई उस चिड़िया को ध्यान से देखने लगा और सोचने लगा कि‍ अगर मै भी उड़ पाता तो कितना अच्छा होता. चीकू मेहनती था. उसने अपनी मेहनत और सूझबूझ से एक पैराशूट बनाया और वह आसमान की सैर करने लगा. चीकू ने उड़ते हुए जब नीचे पेड़-पौधों, नदी, पहाड़ आदि को देखा तो सब छोटा-छोटा दिखाई देने लगा जिसे देख कर चीकू बहुत खुश हो गया. चीकू ने अपनी मेहनत और सूझबूझ से अपने सपनो की उड़ान को पूरा किया. अगर हम सब मे भी कुछ करने की दृढ़ इच्छा हो तो सब कुछ सम्भव है.

कहानी-4

सपना हुआ साकार

लेखक - हिमांशु मधुकर

बॉबी बहुत प्यारी बच्ची है. वह अपने पिता के साथ पहाड़ी इलाके में रहती है. वह हमेशा आकाश मे पक्षियों को उड़ते हुए देखती थी. वह हमेशा सपना देखती थी कि वह भी बादलों के बीच उड़ रही है. एक बार कुछ मनुष्यों को भी आकाश में उड़ते हुए देखकर उसने अपने पिता से कहा - 'पापा मै भी इन लोगों की तरह उड़ना चाहती हूं.' पिताजी ने बॉबी को बताया कि वे लोग पैराग्लाइडिंग कर रहे हैं. वे ऊंचाई से दौड़ते हुए आते हैं और पौराशूट की सहायता से उड़ जाते हैं. पिताजी ने कहा - 'लेकिन बेटी हम यह नहीं कर सकते, क्यों कि पैराशूट खरीदने के लिये हमारे पास पर्याप्त धन नहीं है.' बॉबी उदास हो गई लेकिन उसने ठान लिया कि वह पैराग्लाइडिंग करके रहेगी. शाम को वह पिताजी सबकी नज़रें छिपा कर पहाड़ी की ओर गई. वहां पर उसे बहुत से लोग पैराग्लाइडिंग करते हुए दिखाई दिये. अचानक पीछे से उसके चाचा ने उसे आवाज़ दी. उन्होंने कहा - 'तुम पैराग्लाइडिंग करना चाहती हो. मैं तुम्हें पैराग्लाइडिंग कराऊंगा.' बॉबी बहुत खुश थी क्योंकि उसका सपना साकार होने वाला था.

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