चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

संतोष कुमार कौशिक द्वारा भेजी गई कहानी

बारिश का वह दिन

रोज की तरह आकाश तैयार होकर स्कूल गया. आज शिक्षक बारिश से संबंधित पाठ पढ़ाने वाले हैं. शिक्षक ने सभी बच्चों से बारिश से संबंधित कुछ प्रश्न पूछे. सभी बच्चों ने अपने-अपने अनुभव के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दिए. आकाश की बारी आईबर आकाश ने संकोच के साथ 'बारिश का वह दिन' जो उसके साथ घटित हुआ,वह बताया. सभी बच्चे और शिक्षक आकाश की बातों को ध्यान से सुनने लगे.

गुरुदेव! कुछ दिन पहले जब वर्षा हो रही थी, पानी की बूँदें धीमी थीं, स्कूल में छुट्टी की घंटी बज चुकी थी.सभी पालक अपने अपने बच्चों को लेने पहुँचे थे. लगभग सभी के पास बारिश से बचने के लिए रेनकोट या छाता था लेकिन मुझे पैदल ही अपने घर पहुँचना था.मेरे मम्मी-पापा अपने-अपने काम पर जाते हैं, जिसकी वजह से वे मुझे लेने नहीं आ सकते. न ही मेरे पास छाता था. मैं मस्ती करते हुए बरसात का मजा लेने स्कूल से निकल गया. कुछ दूर जाने पर पानी की गति इतनी तेज हो गई कि मुझे रास्ता दिखाई नहीं पड़ रहा था. चलना मुश्किल हो गया था, मैं पूरी तरह भीग गया था.मेरा शरीर ठंड से काँप रहा था,दाँत बज रहे थे. मैं वही एक पेड़ के नीचे बैठ गया.मुझे क्या करना है यह समझ में नहीं आ रहा था. कुछ समय बाद मेरी कक्षा में पढ़ने वाली रिया कार में अपने पापा के साथ निकली,उसने मुझे भीगते हुए देखा लेकिन कुछ कहा नहीं. कुछ दूर जाने के कार वापस आई. रिया मेरे पास आकर मुझे अपनी कार में बैठने बोली. मैं पूरी तरह भीग गया था, मुझे लगा कि मैं बैठूँगा तो कार गंदी हो जाएगी, यह सोचकर मैंने मना कर दिया लेकिन रिया के पापा ने भी कहा तो मैं कार में बैठ गया. अपने घर ले जाकर मुझे सूखे कपड़े दिए और मुझे घर छोड़ा. रिया के पापा ने घर जाते समय मुझे अपने पास बुलाकर छाता देते हुए कहा-बेटा यह बरसात में तुम्हारे काम आएगा. प्रेम से दिए हुए इस उपहार को लेने से मैं मना न कर सका. मैंने हाथ जोड़कर उन्हें धन्यवाद दिया. मैं रिया एवं उसके पापा द्वारा की गई सहायता और उस बारिश के दिन को कभी भूल ना पाऊँगा.

रिया भी कक्षा में बैठी थी.रिया की इस सहयोग की भावना के बारे में जानकर शिक्षक एवं सभी बच्चों ने तालियाँ बजाकर रिया की सराहना की.

शालिनीपंकज दुबे द्वारा भेजी गई कहानी

बारिश का वह दिन

उस दिन स्कूल की छुट्टी के बाद घर के लिए निकलने ही वाले थे कि बारिश होने लगी. कुछ ही देर में बच्चे रंगबिरंगी छतरियाँ ताने सड़क पर यूँ निकले मानो रंगबिरंगी तितलियाँ उड़ रही हों. कोई सड़क पर मस्ती करता तो कोई अपनी मतवाली चाल से चल रहा था. निशु के दोस्त टिक्कू व मीनू कागज का जहाज बनाकर उसे तैराने लगे. वो खुश होकर जोर से चिल्लाते हुए अपने जहाज के साथ-साथ चल रहे थे. तभी निशु को 'म्याऊँ' की आवाज सुनाई दी. कागज की नाव चलाने व उसको बहते देखने का अलग ही आनन्द होता है. निशु ने झट से पलटकर छतरी बिल्ली के ऊपर तान दी. बिल्ली को सुरक्षित जगह पर पहुँचाने गया. तब उसे ख्याल आया कि वो तो पूरी तरह भीग चुका है. पलटा तो देखा उसके दोस्तों ने भी अपनी-अपनी छतरियाँ हटा दी व सभी भीग गए थे. सभी ने मिलकर फिर कागज की नाव बनाई व हँसते खिलखिलाते अपने-अपने घरों की ओर चल पड़े.

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेलkilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगल अंक में प्रकाशित करेंगे

Visitor No. : 6734798
Site Developed and Hosted by Alok Shukla