छत्तीसगढ़ी बालगीत

तोर महिमा महान

रचनाकार-श्रवण कुमार साहू 'प्रखर'

नारी तोर महिमा, सहीच म महान हे.
तभे तोर शक्ति ल, माने भगवान हे..

नाना किसिम के तोर हावय रूप,
तिहि ह सहिथस जिंनगी के धूप..
राम संग रही के, सीताराम बनगेस,
श्याम संग जुड़े त, राधेश्याम बनगेस.
तोर बिन अधूरा, मानों स्वयं भगवान हे----

दाई बनके तेंहा, बेटा ल सिरजाए,
नारी बन तेहा ओ, नर ल सिधाए.
बहिनी बनके भाई के, भार ल तै बोहे,
बेटी बनके ददा के, प्यार ल तै जोहे.
तोर कोख ले पैदा होथे, लवकुश संतान हे-----

बेटी बनके तेहा संस्कार बन जाथस,
बहू बनके जग के व्यवहार बन जाथस.
जेन घर म जाथस खुशी संग म लाथस,
जिंहा ले तै जाथस, दुआ देके आथस..
दया धरम के नारी सौंहत परमान हे-----

ते हाबस तभे तो, ये सृष्टि म दम हे.
दूसर ल खुश रखे, चाहे लाखों गम हे..
मोर सबला बेटी के, आँखी ह काबर नम हे.
तोर महिमा लिखे बर, मोर स्याही ह कम हे..
तोर जस ल गावंव, बस इही तोर सनमान हे

माटी-तिलक लगाथे

रचनाकार-बलदाऊ राम साहू

सुरुज के पहिली किरन मन
जुरिया के जब आथे
तभे चिरइया गीत सुघर
चीं-चीं, चूँ-चूँ गाथे.

सुग्घर चलथे पुरवाही
रुख मन मुड़ डोलाथे
बड़े फजर उठ के कुकरा
कुकरुँस कूँ चिल्लाथे.

तभे बबा हर उठ संगी
राम भजन ला गाथे
अउ दाई उठो कही के
सब झन ला खिसयाथे.

ददा ह जाथे खेत डहर
भुई ल माँथ नवाथे
गार पसीना करथे अरघ
माटी तिलक लगाथे.

रूख-राइ ल देंवता जानौ

रचनाकार-बलदाऊ राम साहू

नरवा तीर म फरे हे जाम
खाये के हवे हमला काम.

कौनो ल काबर डर्राबोन
जुरमिल के मन भर खाबोन.

खावत भर ले छक के खावौ
जेब म भर के घर ले जावौ.

नइ हे कौनो रोका-छेंका
कतको खावौ डारा-फेंका.

एक बात फेर मोरो मानौ
रूख-राइ ल देंवता जानौ.

करना हवे इनकर सनमान
येमा बसथे सँउहत भगवान.

मीठा चार

रचनाकार-बलदाऊ राम साहू

जंगल ले लावौ मीठा चार
झन बेंचव जी हाट-बाजार.

खावौ भइया येला मन भर
पोसकता हे येमा तन बर.

येमा प्रोटीन हे भरपूर
कमजोरी ला करथे दूर.

तस्मई मा डारौ चिरौंजी
बइठ के खावौ भइया भौजी.

संगी-साथी ला समझाना
विटामिन के हरे खजाना.

मड़ई मेला

रचनाकार-सपना यदु

आगे रे संगी मड़ई मेला,
लगे हे कुल्फी अउ चाट के ठेला.
कौनो देखे नाचा गम्मत
कौनो झूले झूला..

कौनो देखे सरकस अउ,
कौनो देखे मौत के कुआँ.
घूम-घूम के खुश होवत हे
देखौ मौसी अउ बुआ..

किसम किसम के खई-खजाना
लइका मन हर खाथे.
टिकली, फूंदरी अउ चूरी,
दाई-ददा ल लेवाथे..

कौनो ला चघे देवता,
कौनी डांग खेलाये
कौनो लावय आंगा,
देखे बर सबो झन जावय..

मड़ई मेला जस तीज-तिहार,
घर मा आथे सगा-सील.
होथे सबके मेल मिलाप,
खुशी ले दिल जाथे मिल..

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