चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी–

CKApril

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा भेजी गई कहानी

स्कूल के दिन

बच्चों आप सब लोग समझते होंगे की जीवन में विद्यालय का एक विशेष महत्व है.विद्या,कला,कविता,साहित्य और धन आदि को प्राप्त करने वाले ज्ञान का स्रोत है-विद्यालय.

यहाँ पर मन लगाकर पढ़ने पर आप जिस भी विषय में रुचि रखते हैं.चाहे साहित्य,इतिहास, संगीत,गणित,भाषा आदि कोई भी विषय क्यों ना हो आपको उसमेंअद्भुत सिद्धि प्राप्त होती है.

यहीं पर हम जानवर्धक व्याख्यानों को सुनकर आचरण की उपयोगिता को समझते हैं तथा सत्य मार्ग पर चलना,नम्रता, दया,प्रेम और उदारता का भाव, माता के बाद यदि हमें कोई सिखाता है तो वे विद्यालय ही है.

विद्यालय कोई एक पत्थर से बना कोई घर नहीं है.विद्यालय का वास्तविक अर्थ है-विद्या का घर, विद्यालय यदि विशाल वृक्ष है,तो अनुशासन इनकी जड़े हैं. ज्ञान और आचरण तना है.शाखाएं अध्यापक है.विनम्रता,विवेक, सौम्य भाव और एकता टहनियाँ हैं और छात्रा इसमें लगे हुए पत्ते की भांति है. यदि इसमें कोई एक नहीं है तो,वह विद्यालय नहीं है.

बच्चों इस कारण से अपनी पढ़ाई जीवन में यह सभी बातों को समझकर पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए.हमारे द्वारा कुछ ऐसा कार्य ना हो जाए जिसके कारण हमारे जीवन में संकट आ जाए.विद्यार्थी जीवन ही ऐसा जीवन है जिसमें कोई चिंता नहीं होता.और ना ही यह जीवन बार-बार आता है. माता-पिता दु:ख सहकर हमारे लिए जो भी आवश्यकता हो,उसे पूर्ण करते हैं. इस कारण हमारा भी कर्तव्य है कि हम अपने मां-बाप, गुरुओं और देश का नाम रोशन करें.

स्कूल जाने के उद्देश्यों को छोड़कर संगति के प्रभाव में या कम उम्र होने के कारण समझदारी के अभाव में,जाने- अनजाने गलती हो जाती है. जिसके कारण किसी की जान भी जा सकती है और हमें अपने जीवन में पश्चाताप की अग्नि में जलना पड़ सकता है.

आओ हम,एक कहानी के माध्यम से इसे और अच्छे से समझते हैं.

जय,अजय और विजय पूर्व माध्यमिक विद्यालय के छात्र थे.तीनों में गहरी दोस्ती थी.जहाँ भी जाते थे,ये तीनों साथ रहते थे. सभी साथी मौज मस्ती करते हुए कभी इमली के पेड़ पर,तो कभी कदम के पेड़ पर और कभी आम के पेड़ पर चढ़कर धमाचौकड़ी मचाते हुए फल तोड़ते थे.जो बच्चे पेड़ पर नहीं चढ़ सकते,वे पत्थर और डंडा के माध्यम से आम को तोड़ते थे.जैसे ही आम गिरता था,सभी साथी आम को पाने के लिए दौड़ लगाते थे.जो भी हो,उद्देश्य यही रहता है कि आम केवल और केवल मुझे ही मिले.इसी चक्कर में अनचाही दुर्घटना भी हो सकता है.इसका बच्चों को अंदाजा नहीं था.

‌ रोज की तरह सभी साथीआज भी विद्यालय समय के आधे घंटे पूर्व स्कूल जाने के लिए निकल गए.बीच रास्ते में हरे-हरे आम के फल को देखकर मन ललचाने लगा.जय ने डंडा की व्यवस्था किया.अजय और विजय ने डंडे से आम तोड़ने के लिए उसका सहयोग किया.वही हुआ जिसका जो डर था.हम सबको पता नहीं था कि हमारे ही द्वारा पेड़ पर मारा हुआ पत्थर जो है आम की डाली पर लटका हुआ है.जय,आम तोड़ने में व्यस्त था.आम की डाली हिलने के कारण लटका हुआ पत्थर, अचानक जय के सिर पर आ गिरा.सिर पर चोट लग गई जिसके कारण जय खून से लथपथ हो गया.हम सबको समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें.तभी अजय ने घर से उसके पिताजी को बुलाकर लाया.हम सब डर से कांपने लगे.क्योंकि हम लोगों को कई बार हमारे माता- पिता,शिक्षक एवं आम की रखवाली करने वाले ने चेतावनी दिया था कि आम के पास ना जाए.लेकिन उसकी बातों पर हमनेअमल नहीं किया.

उसके पिताजी ने जय को वैद्य के पास ले जाकर इलाज कराया.वैद्य जी ने ध्यान पूर्वक उसका नियमित इलाज किया. जिसके कारण कुछ ही दिनों में जख्म तो ठीक हो गया.लेकिन सिर में गहरी चोट आने की वजह से,मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से पुन:इलाज कराया.इलाज करने के बाद भी जय के मानसिक स्थिति ठीक नहीं हुआ.और उसनेअपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया.अजय और विजय को अपने दोस्त जय की पढ़ाई बीच में छोड़ने पर बहुत दुःखी हुआ.तब हम सबको समझ में आया कि अपने माता-पिता एवं शिक्षकों के कहे हुए बातों को ध्यान से समझकर कार्य करना चाहिए. 'स्कूल के वे दिन'को आज भी सभी साथी भूल न पाए.

बच्चों हमने कहानी में देखा कि एक छोटी सी गलती के कारण उसके साथी का जीवन बर्बाद हो गया.अतःआप लोग भी इस प्रकार की गलती ना करें.अंत में यही कहना चाहता हूँ.

स्वस्थ रहो, सुरक्षित रहो.
पढ़ो लिखो,आगे बढ़ो.

अनन्या तंबोली, कक्षा सातवीं द्वारा भेजी गई कहानी

अतुल, आयुष,अक्षत तीनों एक ही क्लास में पढ़ते है. तीनों में काफी अच्छी दोस्ती है. तीनों एक साथ स्कूल जाते और आते है.गर्मी का दिन था टामी को साथ लेकर जब वे स्कूल जा रहे थे,रास्ते में उन्हें आम का पेड़ दिखाई दिया पेड़ में बहुत सारे कच्ची कैरियां लगी हुई थी.उसे देखकर उनके मुंह में पानी आ गया और वे उसे तोड़ने का प्रयास करने लगे लेकिन पेड़ बहुत बड़ा था उन्हें आम नहीं मिल पा रहा था उन्होंने एक उपाय सोचा और झट से आसपास में डंडा ढूंढने लगे डंडा मिल जाने पर आम तोड़ने के लिए आयुष,अक्षत को गोदी में उठा लिया और आम तोड़े.तीनों मित्र मिलकर आम का मजा लेते हुए स्कूल की ओर आगे बढ़ गए. वास्तव में देखा जाए तो यह आदत सभी बच्चों में देखने को मिलती है पहले के समय में तो यह कार्य और बहुत अधिक होता था सारे दोस्त मिलकर गर्मी के दिनों में आम इमलियां खाने जाते थे तेज धूप में खेलना,पेड़ों पर चढ़ना, तालाब में तैरना, डंडे मार कर आम गिराना बच्चों की आदत थी . छुट्टियों में यह सारे काम करते थे स्कूल के दिनों में रास्ते में मिल जाने वाले पेड़ के फलों को डंडा मारते हुए आगे बढ़ते थे. लेकिन वर्तमान समय में यह सब बहुत कम ही नजर आता है. दो चार ग्रामीण बच्चे ही हैं जो पेड़ों पर चढ़ने पके फल खाने की कोशिश करते हैं .बाकी बच्चे तो घर में बैठे हुए ही मार्केट के फलों को ही ताजा समझते हैं और उन्हें ही खाना पसंद करते हैं .पहले जैसे दोस्ती और खेल का मजा अब नहीं आता.धीरे-धीरे बच्चों का बचपना अब कम होते नजर आ रही है. सारे लोग अपने घरों में ही सिमट कर रह जा रहे हैं.बच्चे बाहर के खेलों को भूलकर मोबाइल में खेलने में व्यस्त रहते हैं जिससे उनका शारीरिक विकास सही ढंग से नहीं हो पा रहा है.

श्रीमती रामेश्वरी सीके जलहरे, बलौदा बाजार द्वारा भेजी गई कहानी

दोस्तों संग आम का मज़ा

चंदू, पृथ्वी और अंजय तीनों एकदम अच्छे दोस्त थे. तीनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे और एक साथ ही स्कूल आते जाते थे. स्कूल के रास्ते में तालाब के किनारे आम का पेड़ था. जब वे तीनों स्कूल जाते तो उसी पेड़ के नीचे आराम करते. गर्मी की शुरुआत हो गयी है. स्कूल की छुट्टी होने के बाद घर जाते वक़्त चंदू ने आम के पेड़ पर लगे फल को देखा. हरे- हरे आम को देखकर उसे आम खाने की इच्छा हुई. उसने कहा चलो आम तोड़ते है. उन्होंने कहीं से एक डण्डा लाया और आम तोड़ने लगे. पर आम बहुत उपर में होने के कारण आम नहीं टूटे. अब अंजय ने अपना और चंदू का बस्ता पृथ्वी को पकड़ाया और चंदू को उठाया. चंदू ने अब अपने डण्डे से बहुत सारे आम गिराए. वे तीनों आम खाते खाते घर गए. उन्हें मिलकर आम तोड़ने में बड़ा मज़ा आया. बचे हुए आम को घर ले जाकर हरे और कच्चे आम की चटनी बनाकर खाने के साथ भी खाया.

सीख- मिलजुल काम करने से काम आसान हो जाता है और सफलता अवश्य मिलती है.

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

CKMay

अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे

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