अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी–

सच्ची सुंदरता

AKapril

बहुत पुराने समय की बात है. एक बड़े से समुद्र के बीचों-बीच एक छोटा-सा सुंदर टापू था. पूरे टापू पर बहुत सारे पेड़-पौधे थे. मैदानों में हरी-हरी घास थी और हर रंग के सुंदर फूल वहाँ उगते थे.

फूलों की महक से सारा वातावरण महकता रहता था. वहाँ एक बहुत ही अच्छा राजा राज्य करता था. सभी की खुशी में वह खुश होता था और सबके दुखों को बाँटकर कम करता था.

हर वर्ष वहाँ राज्य के कुलदेवता की पूजा की जाती थी और उसके लिए बगीचे के सबसे सुंदर फूल को चुना जाता था.

यह चुनाव राजा करता था. उस भाग्यशाली फूल को कुलदेवता के चरणों में चढ़ाया जाता था. पिछले कई वर्षों से बागीचे के सबसे सुंदर लाल गुलाब के फूलों को इसके लिए चुना जा रहा था. इसलिए गुलाब का पौधा बहुत ही घमंडी हो गया था. उसे लगता था कि वही एक है, जो सब फूलों में सबसे सुंदर हैं. घमंड के कारण वह तितलियों और मधुमक्खियों को अपने फूलों पर बैठने भी नहीं देता था.

यहाँ तक कि पक्षियों को अपनी डालियों के पास भी आने नहीं देता था. उसके ऐसे व्यवहार के कारण कोई तितली या पक्षी उसके पास आना ही नहीं चाहते थे.

हर वर्ष की तरह एक बार फिर वह दिन आने वाला था, जब कुलदेवता की पूजा की जानी थी.

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

आस्था तंबोली, कक्षा 3, जांजगीर द्वारा पूरी की गई कहानी

हर वर्ष की तरह एक बार फिर वह दिन आने वाला था. जब कुलदेवी की पूजा की जानी थी. इस बार फिर गुलाब का फूल खुश हो रहा था उसे लग रहा था कि हर बार की तरह उसे चुना जाएगा लेकिन इस बार राजा ने उसे नहीं चुना क्योंकि राजा समझ गया था कि हर बार लाल गुलाब को चुनने से उसके अंदर बहुत घमंड आ गया है. गुलाब को लगता था कि वह सबसे सुंदर फूल है इस बाग में तभी तो मुझे ही कुलदेवी के ऊपर चढ़ाया जाता है गुलाब अपने घमंड के कारण तितलियों और मधुमक्खियों को अपने फूलों पर बैठने भी नहीं देता था यहां तक कि पक्षियों को अपनी डालियों के पास भी आने नहीं देता इसके ऐसे व्यवहार के कारण कोई तितलियां पक्षी उसके पास आना नहीं चाहते थे. राजा इस बार गुलाब को कैसे चुन लेता राजा तो बहुत समझदार था वह सबको साथ लेकर चलने वाला था गुलाब का व्यवहार अच्छा नहीं लगा. इसलिए राजा ने सोचा कि जिसके मन में घमंड आ जाए वह सबसे सुंदर कैसे हो सकता है सच्ची सुंदरता तो मन की होनी चाहिए.दूसरों के प्रति दया,सहयोग,क्षमा का भाव होना चाहिए. तभी उनकी सुंदरता बनी रहती है. यदि हम अपनी सुंदरता के कारण घमंड में आ जाते हैं तो हमारे व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है. और इसी परिवर्तन के कारण गुलाब को इस बार नहीं चुना गया. इस बार गुलाब के जगह मंदार को चुना गया क्योंकि मंदार सभी तितलियों पक्षियों मधुमक्खियों को आश्रय देने का काम कर सभी का सहयोग कर रही थी.राजा उसके व्यवहार से खुश हुआ. इस बार मंदार को कुलदेवी में चढ़ाया गया क्योंकि उसका मन साफ था उसे किसी चीज का कोई घमंड नहीं था.

सतीश 'बब्बा', उत्तर – प्रदेश द्वारा पूरी की गई कहानी

जैसे - जैसे कुलदेवता के पूजा की तारीख नजदीक आ रही थी, वैसे - वैसे लाल गुलाब का सीना तनता जा रहा था, अभिमान से.

उस द्वीप के पक्षी, भौंरे, तितलियाँ गुलाब से दूरियाँ बढ़ाती गईं.

उसी द्वीप में एक ऐसा फूल भी था गेंदा का, जिसमें अधिक खुशबू तो नहीं थी लेकिन वह सदा हंसता - मुस्काता था. उसने किसी को छूने के लिए मना नहीं किया था. अभिमान नाम की चीज भी उसके पास नहीं थी.

लाल गुलाब उस धरती को भी भूल गया था, जिसमें से उसका सब कुछ था.

धरती ने उस अभिमानी से अपनी खुशबू निकाल लिया. भौंरा और मधुमक्खी ने पराग लेना बंद कर दिए. जिससे लाल गुलाब कुरूप हो गया.

आखिर नियत दिन आ ही गया. और राजा फूल का चयन करने के लिए आया. लेकिन राजा ने लाल गुलाब की ओर देखा तक नहीं.

राजा गेंदा के फूल को तोड़ने के लिए बढ़े.

लाल गुलाब जोर - जोर से रो पड़ा. पड़ोसी गुलाब के आँसू देखकर गेंदा ने कहा, 'भाई, रोओ मत. अपनी धरती माता से तथा सभी साथियों से, इस द्वीप के निवासियों से क्षमा माँग लो और अब कभी भी अभिमान नहीं करना.'

गेंदा ने राजा से हाथ जोड़कर कहा कि, 'महाराज, आप गुलाब का ही चयन कीजिये.'

पृथ्वी सहित सभी ने गुलाब को माफ कर दिया गेंदा के कहने से. और वह फिर से सुगंधित हो गया.

लेकिन राजा ने गेंदा से कहा, 'असली सुंदरता तो तुममें है. क्योंकि तुममें अभिमान नहीं क्षमा है.'

राजा ने गेंदा के फूल को ही कुलदेवता को अर्पित किया. राजा के निर्णय और सूझबूझ से कुलदेवता बहुत प्रसन्न हुए.

मनोज कुमार पाटनवार, बिलासपुर द्वारा पूरी की गई कहानी

गुलाब के पौधे को पूरा विश्वास था कि राजा आएँगे और हर वर्ष की तरह उसी को चुनेंगे.

गुलाब के पौधे के पीछे मिटटी के ढेर पर एक पौधा अपने आप उग आया था.छोटा-सा, नाजुक-सा. उस पर चमकदार पीले रंग के छोटे-छोटे फूल उगे थे.वह एक जंगली पौधा था, इसलिए कभी कोई उसकी ओर ध्यान ही नहीं देता था.उसके फूल छोटे थे, लेकिन बेहद सुंदर थे.घंटी के आकार के उन फूलों की पंखुड़ियाँ किनारों पर गहरे लाल रंग की थी.वह जानता था कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता है फिर भी वह बड़े प्यार से सभी तितलियों और पतंगों को अपने पास बुलाकर अपना रस पीने देता था.पक्षी उसकी डालियों पर बैठ कर खुश होते थे.यह सब देखकर पौधे को खुशी होती थी कि वह किसी के काम तो आ सका.

और फिर वह दिन आया, जब राजा बगीचे में फूल चुनने आए. माली उन्हें सीधा गुलाब के पौधे के पास ले गया. इस बार तो गुलाब और भी सुंदर और बड़े खिले हैं महाराज! वह बोला.

उसने सबसे बड़ा गुलाब तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन महाराज ने रोक लिया वे किसी और सुंदर फूल को ढूँढ़ रहे थे.वापिस जाने के लिए जैसे ही घूमे, उनकी निगाह पीले रंग के फूल पर पड़ी.उन्होंने घूमकर देखा तो उनको वह पीले फूलों वाला जंगली पौधा दिखाई दिया.उसके आस-पास अनेक तितलियाँ और पतंगे घूम रहे थे.जबकि गुलाब का पौधा अकेला, अलग खड़ा था. राजा धीरे से जंगली पौधे के पास गए और बोले - यह वह पौधा है जो बिना खाद-पानी के उग आया है. बाकी सभी पौधों का माली विशेष ध्यान रखते हैं.समय से पानी देते हैं, खाद डालते हैं, काट-छाँट करते हैं, इसलिए वे इतने सुंदर हैं. लेकिन यह वह पौधा है, जो अपनी हिम्मत से खड़ा है, फिर भी कितना स्वस्थ है, सुंदर है. सबसे अच्छी बात यह है कि इसके अच्छे स्वभाव के कारण सभी तितलियाँ उसके पास आकर बेहद खुश हैं.यही है सच्ची सुंदरता इसलिए कुलदेवता की पूजा के लिए मैं इस जंगली फूल को चुनता हूँ.

सीख - कभी घमंड नहीं करना चाहिए. सर्व हितार्थ काम करते रहना चाहिए.

संतोष कुमार कौशिक, मुंगेली द्वारा पूरी की गई कहानी

गुलाब के पौधे को घमंड था कि इस वर्ष भी राजा आएंगे और उसी को चुनेंगे.गुलाब के पौधे के कुछ ही दूर में कचरे के ढेर पर एक पौधा अपने आप उग आया था.वह एक जंगली पौधा था.इसलिए कभी कोई उसकी ओर ध्यान ही नहीं देता था.छोटा सा,नाजुक सा,उस पर चमकदार पीले रंग के छोटे-छोटे फूल खिले थे.उसके फूल छोटे थे लेकिन बहुत ही सुंदर थे.बगीचा के सभी फूलों से उनकी अलग पहचान था.जो अपनी ओर लोगों को आकर्षित करने की क्षमता रखता था.वह बड़े प्यार से तितलियों, मधुमक्खियों,पतंगों एवं भंवरों को पास बुलाकर अपनी रस का पान कराते थे.पक्षी उनकी डालियों पर बैठकर चहचहाते थे.यह सब देख कर जंगली पौधे को खुशी होती थी कि वह किसी के काम तो आ सका.

यह सब देखकर गुलाब के पौधे को जंगली पौधे से ईर्ष्या होने लगा. उसे डर हो गया था कि इस बार राजा साहब जंगली पौधे के फूल का चुनाव न कर ले.

कुछ छड़ पश्चात वह दिन आ ही गया जब राजा बगीचे में फूल चुनने आए.माली उन्हें सीधा गुलाब के पौधे के पास ले गया.इस बार गुलाब और भी सुंदर और बड़े खिले हुए थे.माली ने उस गुलाब को तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन महाराज ने रोक दिया.वे किसी और सुंदर फूल की तलाश में थे.जैसे ही राजा आगे बढ़ा,उसकी निगाह पीले रंग के फूल पर पड़ी.वहाँ जाकर देखा तो वह पीले फूलों वाला जंगली पौधा दिखाई दिया.

उसके आसपास अनेक तितलियाँ,मधुमक्खियाँ, पतंगे और भंवरे मंडरा रहे थे.पक्षी उनकी डालियों पर बैठे थे.राजा उस पौधे को देखकर मोहित हो गया और मन ही मन सोचने लगा.यह जंगली पौधे में गुलाब की अपेक्षा अधिक गुण व सुंदर है यह वह पौधा है जो बिना खाद पानी के उग आया है.बाकी सभी पौधे का माली विशेष ध्यान रखते हैं.समय-समय में पानी देना, खाद-मिट्टी डालना,काट-छांट करना आदि कार्य करते हैं.जिसके कारण वे इतने सुंदर है.लेकिन यह पौधा है जो अपने हिम्मत से खड़ा है.फिर भी कितना स्वस्थ और सुंदर है.इसके अच्छे स्वभाव के कारण सभी जीव बहुत खुश है. यही है-'सच्ची सुंदरता' इसलिए कुल देवता पूजा के लिए,मैं इसी जंगली पौधे की फुल को चुनता हूँ. गुलाब का पौधा अपने कर्म के कारण अकेला खड़ा हुआ था और उसके फूल अपने किए हुए कार्य पर शर्मिन्दा हुआ.

बच्चों इस कहानी से हमने समझा कि गुलाब की तरह जो भी व्यक्ति घमंड करता हैं. वह अकेला रह जाता है और अपने किए हुए कार्यों पर शर्मिंदा होते हैं. इसके विपरीत जंगली पौधे की तरह जो भी व्यक्ति अपने आसपास लोगों से प्यार, नम्र स्वभाव, सहयोग की भावना व मिलनसार आदि होते हैं. वह सुख प्राप्त एवं खुशी से जीवन व्यतीत करते हैं.

अंत में यही कहना चाहता हूँ कि-'बच्चों जीवन में बगीचे या गमले के पौधे की तरह ना होना.जिससे कि एक दिन पानी ना मिले तो मुरझा जाए. बनना है तो,उस जंगली पौधे की तरह बनना-जो कई दिन तक पानी न मिले तो भी हरा भरा रहता है.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

राजा की बीमारी

AkMay

एक आलसी राजा था. वह कोई भी शारीरिक क्रिया नहीं करता था. परिणामस्वरूप वह बीमार पड़ गया. उसने राजवैद्य को बुलाया और कहा, 'मुझे शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ के लिए कुछ औषधियाँ दे दीजिए.'

वैद्य जानता था कि राजा की बीमारी का कारण उसका आलसीपन है. इसलिए वैद्य ने उसे दो वजनी डम्बल देते हुए कहा, 'महाराज, यदि आप इन जादुई डम्बलों को प्रतिदिन एक-एक घंटा सुबह-शाम इस प्रकार घुमाएँगे तो जल्दी ही आपको स्वास्थ्य लाभ होगा.'

इसके आगे क्या हुआ होगा? इस कहानी को पूरा कीजिए और इस माह की पंद्रह तारीख तक हमें kilolmagazine@gmail.com पर भेज दीजिए.

चुनी गई कहानी हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

Visitor No. : 6751277
Site Developed and Hosted by Alok Shukla