उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

छात्र छात्राओं को शैक्षिक गोद लेकर शिक्षा को बढ़ावा दे रहे महेश जायसवाल

पालकों और विद्यार्थियों के चहेते, हमेशा स्कूल के प्रति सकारात्मक सोच रखने वाले, लगन, समर्पण एवं त्याग की भावना से काम करने वाले, माध्यमिक शाला सोमनापुर, नया के सक्रिय शिक्षक महेश जायसवाल बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये लगातार प्रयासरत हैं. स्वयं के खर्चे से स्कूली बच्चों में शैक्षिक बदलाव के साथ उनके रहन-सहन में परिवर्तन लाने के लिये, शैक्षिक सामग्री, बैग, जूता, मोजा, पानी बाटल आदि देते हैं. प्रत्येक वर्ष निर्धन छात्र-छात्राओं को शैक्षिक गोद लेकर शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होने इस वर्ष भी 7 निर्धन एवं मेघावी छात्रों को बैगलैस डे के लिए ड्रेस का वितरण किया है. अन्य आवश्यक वस्तुएं भी ज़रूरत के हिसाब से वे समय पर देते रहते हैं. यह बहुत ही सराहनीय एवं प्रेरणादायक है. बच्चे एवं पालक इस प्रकार के कार्यों से काफी खुश नजर आते हैं. महेश जी के कार्यों की प्रशंसा करते हैं. शाला के भौतिक संसाधनों में वृद्धि, किचन गार्डन संवर्धन, आकर्षक बागवानी आदि की व्यवस्था में लगातार महेश जी के द्वारा ध्यान दिया जा रहा है. इससे बच्चों को पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ बेहतर शैक्षिक माहौल भी मिल रहा है. शिक्षक के इस कार्य में प्रधानपाठक भगत बांधकर एवं शिक्षक कार्तिक राम खूंटे के साथ-साथ शिक्षक पालक समिति, जनप्रतिनिधिगण बखूबी सहयोग प्रदान करते हैं. उच्च अधिकारियों का मार्गदर्शन भी समय-समय पर मिलता रहता है.

शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए महेश जायसवाल जी का चयन, बाल रक्षक प्रतिष्ठान महाराष्ट्र, के द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले क्रांति ज्योती सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान 2023 पुरस्कार के लिये किया गया है. बच्चों के सर्वांगीण विकास, बैगलेस डे पर विविध स्पर्धात्मक कार्यक्रम, अथक परिश्रम, शिक्षा प्रेम, समाज सेवा, बहुमुखी प्रतिभा के धनी, आकर्षक प्रिंट रचना, बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना, निर्धन छात्रों की निरंतर आर्थिक मदद करना, विद्यालय प्रांगण को आकर्षक एवं हरीति‍मायुक्त बनाना, खेलकूद में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर संभाग स्तर में पहचान दिलाना, रोल मॉडल स्कूल का संचालन, नशा मुक्ति कार्यक्रम, मतदाता जागरूकता कार्यक्रम में अपनी बखूबी भूमिका का निर्वहन, मधुर पालक संबंध, जैसे कई रचनात्मक कार्य महेश जी ने किए हैं. इन सबके कारण वे जनसमुदाय, पालक समिति व छात्र छात्राओं के चहेते शिक्षक के रूप जाने जाते हैं. पूर्व में भी महेश जी को संकुल स्तर से लेकर ब्लॉक, जिला, संभाग स्तर पर ज्ञानदीप पुरुस्कार से नवाजा जा चुका है.

पंडरिया विकासखंड के मैकल पर्वत तलहटी में बसा ग्राम सोमनापुर नया, जहां के मिडिल स्कूल में नवाचारी शिक्षक महेश जायसवाल के सफल निर्देशन में पढ़ाई लिखाई के संगे- संग हरेक प्रकार की शैक्षणिक गतिविधियां कराई जाती हैं, जिससे यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का उत्तरोत्तर विकास हो सके. शिक्षक के द्वारा चलाई जा रही जन सहभागिता के सफल प्रयास से पालक, शिक्षा समिति व जनप्रतिनिधियों के जुड़ाव व सहयोग में लगातार वृद्धि हो रही है. इसी कड़ी में अब शिक्षक-पालक समिति के द्वारा बच्चों को उनके बैगलेस डे, शनिवार के दिन अतिरिक्त ड्रेस की व्यवस्था की गयी है, जो कि बहुत ही सराहनीय कार्य है. बच्चे नई पोशाक में बहुत अच्छे लग रहे हैं, एवं उत्साहित भी हैं. शाला भवन की आकर्षक रंगाई पुताई, उत्कृष्ट प्रिंट रिच, टाइल्स युक्त साफ क्लास, आकर्षक बागवानी, देखते ही बनती है. शैक्षणिक गुणवत्ता में वृद्धि के लिए शिक्षकों के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है.

इस कार्य में प्रधान पाठक भगत बांधकर एवं शिक्षक कार्तिक राम खूंटे जी का भरपूर सहयोग मिल रहा है. यही कारण है कि आज सोमनापुर की माध्यमिक शाला एक मॉडल स्कूल के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है. महेश जी के प्रयास से ग्राम पंचायत के सरपंच भूपेंद्र पटेल जी के द्वारा प्रोजेक्टर, सिंटेस्क टंकी सेट, सचिव श्री जितेंद्र लहरे जी के द्वारा बच्चों के मध्यान्ह भोजन हेतु 60 नग थाली की व्यवस्था करायी गयी है. साथ ही साथ लोरमी नगर पंचायत के समाजसेवी श्री अनिल सलूजा के द्वारा इस वर्ष पढ़ने वाले सभी 130 छात्र-छात्राओं के लिए टाई, बेल्ट, और परिचय पत्र की व्यवस्था निशुल्क की गयी है. भूतपूर्व छात्रों के द्वारा भी इस संस्था को आकर्षक ग्रीन बोर्ड एवं कई अन्य आवश्यक वस्तुएं भेट स्वरूप प्रदान किए हैं.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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