उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

कर्मठ शिक्षिका सुनीता कुर्रे

श्रीमती सुनीता कुर्रे की सर्वप्रथम न्युक्ति दिनांक 08/11/2012 को शासकीय प्राथमिक शाला, अम्बेडकर नगर, पत्थलगांव, जिला जशपुर में हुई थी. इन्होंने पति-पत्नि के आधार पर 2015 में स्थानांतरण कर शासकीय प्राथमिक शाला गंज कोटा, विकास खंड कोटा, जिला बिलासपुर में पदस्थ किया गया था. सुनीता ने देखा कि बच्चों के स्तर को ध्यान में देखते हुए TLM की आवश्यकता है. इस बात को ध्यान में रखकर इन्होंने 100 से भी अधिक TLM अध्यापन के लिए तैयार किए, जो बच्चों को सिखाने में बहुत लाभदायक सिद्ध हुए. इन्होंने कई नवाचारी गतिविधियां विद्यालय में अध्यापन के दौरान कराई, जो इनके You Tube Chanel - Sunita kurrey Eduction में देखी जा सकती हैं. इन्होंने खेल आधारित शिक्षण के लिए पेपर क्राफ़्ट फोल्डिंग से अनेक खिलौने अपने विद्यालय के लिए बनाए हैं, जो इनके You Tube Chanel पर देखी जा सकती हैं. विडियो देखकर उन खिलौनों को बनाया जा सकता है. वे बहुत कम लागत में तैयार हो जाते हैं, साथ ही बनाना सरल है.

सुनीता FLN और स्कूल रेडीनेस से संबंधित अनेक गतिविधियां शाला में संचालित करवाती हैं. इससे बच्चों की नियमित उपस्थिति बनी रहती है. इन्होंने दीक्षा ऐप ,Teacher app, Gurushala app, आदि से अनेक गतिविधियां सीखी हैं, जिन्हें विद्यालय में सुचारू रूप से संचालित करती हैं. ये गतिविधियां बच्चों की सीखने-सिखाने की की प्रक्रिया को सुगम बनातीं हैं.

इन्होंने Gurushala app से लगभग ₹ 50,000 ईनाम‌ की जीत चुकी हैं, जिनमें से कुछ का उपयोग बच्चों के सिखाने में किया गया है. Gurushala का लाभ अन्य शिक्षकों को भी दिया गया है, जिससे उन गतिविधियों को सीखकर अन्य शिक्षक साथी अपने अपने विद्यालय में उनका उपयोग कर रहे हैं.

पालक संपर्क करके बच्चों को विद्यालय तक लाने का प्रयास किया गया है. मोबाइल के माध्यम से पालकों से संपर्क कर बच्चों को घर में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. पालकों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर गतिविधियां और गृह कार्य share करती हैं, जिसे बच्चे पालकों की सहायता से पूर्ण करते हैं.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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