समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
शिक्षा की ट्रेन चलाने वाले गिरीश शर्मा
आदिवासी बाहुल्य गांव खट्टी के प्राथमिक शाला में पढ़ने वाले अधिकांश विद्यार्थियों ने ट्रेन में सफर की बात तो दूर ट्रेन को प्रत्यक्ष रूप से देखा भी नही है. इस बात को ध्यान में रखकर शाला के प्रभारी प्रधान पाठक गिरीश शर्मा ने बच्चों को इस इच्छा को पूर्ण करने के लिये शाला अनुदान से शाला को ही ट्रेन की बोगी का रूप दे दिया, तथा इस बोगी को समग्र शिक्षा एक्सप्रेस का नाम दिया है. इस शाला को देखकर ऐसा लगता है कि ट्रेन की बोगी यहाँ खड़ी है. इसे देखकर बरबस ही लोग कह उठते है रेल में स्कूल या स्कूल में रेल.
इस खट्टी गांव की बात करे तो यह आदिवासी बाहुल्य गांव है तथा यहां पढ़ने वाले बच्चो के लिये ट्रेन की यात्रा एक स्वप्न की तरह है. प्राथमिक शाला होने के कारण बच्चे काफी छोटे भी है. इसलिए इन्हें ट्रेन दिखाने या ट्रेन में सफर के लिए ले जाने की जगह यहाँ के शिक्षक की सोच ने स्कूल को ही ट्रेन की बोगी का रूप दे दिया. इससे पूर्व भी इस शिक्षक ने शाला के तीनों कमरों को प्रिंटरिच बना इस शासकीय स्कुल को प्ले स्कूल का रूप दिया है, जिसकी काफी तारीफ हो रही है. अब ट्रेन की बोगी के इस कलेवर ने पुनः इस स्कुल को आकर्षण का केंद्र बना दिया.
ग्राम पंचायत सढ़ोली के सरपंच लव कुमार ध्रुव का कहना है कि शिक्षक गिरीश शर्मा ने इस स्कूल को सजाने संवारने के लिये काफी मेहनत की है तथा इसी के चलते पहले भी इस स्कूल की साज सज्जा के कारण इस गांव का नाम सबने जाना. अब ट्रेन का रूप देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा है. उल्लेखनीय है कि गिरीश शर्मा को 2019 में मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण सम्मान, कोविड काल में नियमित ऑनलाइन कार्य, मोहल्ला क्लास के लिये जिला स्तर पर सम्मान, संकुल केंद्र की ओर से 2019 एवं 2022 में उत्कृष्ट शिक्षक का सम्मान, जिला स्तर पर आयोजित होने विभिन्न शासकीय आयोजनों, छत्तीसगढिया ओलम्पिक, जिला स्तर पर आयोजित स्वतन्त्रता दिवस, गणतंत्र दिवस समारोह, राज्योत्सव, राजिम माघी पुन्नी मेला, युवा उत्सव में मंच संचालन एव विशेष सहयोग के सम्मान किया जा चुका है.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.