उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

पालकों के साथ सारे गांव को जागरूक बनाने वाली बनमोती भोई

बनमोती चिन्तामणि भोई की प्रथम नियुक्ति 2005 में शासकीय कन्या प्राथमिक शाला पाटसेन्द्री में हुई थी. सन् 2014 से अक्टूबर 2022 तक प्रधान पाठक के तौर पर जिला महासमुंद सरायपाली विकास खण्ड के अन्तर्गत शासकीय प्राथमिक शाला बोडे़सरा संकुल-केन्द्र नवागढ़ में पदस्थ हैं.

बोडे़सरा ग्राम एक आदिवासी बहुल ग्राम है. पालको में जागरूकता नही होने के कारण बच्चों के सर्वांगीण विकास में वांछित सफलता नही मिल पा रही थी. बनमोती जी ने घर-घर जाकर पालको से सतत् संपर्क किया तथा कॉलेज मे पढने वाले बच्चों की भी सहायता भी ली. शाला प्रबंधन समिति (विशेष कर माताओं) को विद्यालय से जोड़ने का बहुत प्रयास किया. बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और उनकी कक्षा अनुरूप पढाई के लिये योजना बनायी. माताओं की शालाओ में सहभागिता, विद्यालय में रोचक एंव आकर्षक वातावरण बनाकर कबाड़ से जुगाड़, (TLM) के माध्यम से तथा विभिन्न प्रकार के खिलौनों से विषय वस्तु और अवधारणाओं को स्पष्ट करते हुए बाल केन्द्रीत शिक्षा से बच्चों में स्कूल के प्रति लगाव बढने लगा तथा बच्चों की उपस्थिति 90% से ऊपर हो गई.

वे खुद राष्ट्रीय खिलाड़ी रही हैं और एशियन सुमाई कराटे प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं. बच्चों को रूचि के साथ खेल गतिविधि में आत्मरक्षा के गुर एवं योग अभ्यास सिखाती हैं, जिसमें बच्चे उत्‍साह के साथ सम्मलित होते हैं. साथ ही शैक्षिक वातावरण बनाने के लिये खिलौना निर्माण, मेहंदी प्रतियोगिता, सुरक्षित शनिवार, बच्चों के प्रस्तुतिकरण के लिए मंच आदि देती हैं, जिससे बच्चे निर्भय होकर अपना बेहतरीन करने हेतु तत्पर रहते हैं. स्कूल के प्रति लगाव, सीखने के प्रति ललक, विभिन्न गतिविधि करने से आज की स्थिति में बच्चे कक्षा अनुरूप 2 से 5 तक किताबे पढ लेते हैं और लगभग आधे बच्चे 15 तक पहाड़ा, 20% बच्‍चे 25 तक का पहाड़ सीख गये हैं.

अंगना म शिक्षा एवं माता उन्मुखीकरण कार्यक्रम का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण लेकर प्रशिक्षक के रूप में विकास खण्ड स्तरीय संकुल स्तर का ट्रेनिंग उन्‍होने दी है, जिससे वे बच्चों की माताओं को स्कूल से जोड़ पाई हैं.

कोरोना काल मे पालको से सतत् संपर्क कर ऑनलाइन क्लास के लिए तथा कोविड-19 की सावधानियों का पालन करते हुए वालपेंटिग करके, नारा आदि लिखकर माताओं को स्कूल से जोड़ पाई. पालको से सतत् संपर्क करके ऑनलाइन क्लास के लिए भी उन्‍होने समझाया तो बच्चे आसानी से उसमें जुडते गये.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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