समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में तत्पर सईदा खान
सईदा खान शासकीय हाई स्कूल कुड़कानार विकास खण्ड बस्तर में (संस्कृत) व्याख्याता के पद पर पदस्थ हैं. वर्तमान में प्रभारी प्राचार्य के दायित्व का निर्वहन कर रही हैं. उनकी नियुक्ति 1994 की है. उनका उद्देश्य बच्चो को आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे वे अपने जीवन का निर्वहन सम्मानपूर्वक कर सकें. उनकी सोच है कि कोई भी बच्चा पढ़ाई न छोड़े तथा उन्हें कैरियर गाइडेंस देकर आगे बढ़ाया जाये. व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्होने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु नारियल की रस्सी से पायदान बनाने हेतु प्रशिक्षण दिया.
उन्होने कोरोना काल में लगातार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनो ही तरीकों से पढ़ाई जारी रखी. तीन आश्रित ग्रामों में सफल मोहल्ला क्लास का संचालन किया, जिससे परीक्षा परिणाम 100% रहा. इस हेतु उन्हे राष्ट्रीय शिक्षा समागम में बस्तर जिले की ओर से सम्मिलित होने हेतु अवसर प्राप्त हुआ. बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव कार्य करती हैं. शासन की सभी योजनाओं से अवगत कराना, खेल, स्वास्थ्य, सामाजिक विज्ञान, पौधारोपण, सुरक्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, योग आदि सभी क्षेत्रों में भागीदार बना कर बच्चो के भविष्य को उजव्वल करने की कोशिश करती हैं.
ड्रॉपआउट की संख्या को कम करने का प्रयास, घर-घर जाकर बच्चो और अभिभावकों को शिक्षा का महत्व बताना, गरीब बच्चो की मदद, लड़कियों की पर्सनल प्रॉब्लम हल करना, सेनिटेरी पैड, ड्रेस, कॉपी, पेन आदि चीजों से उनकी मदद करना, ताकि वो पढ़ सकें. दिव्यांग बच्चो का सर्टिफिकेट बनाने में मदद करना तथा उन्हें दिव्यांग छात्रवृति हेतु सम्पूर्ण दस्तावेज एकत्र करके छात्रवृति प्रदान करवाना.
कबाड़ से जुगाड़ के तहत बहुत से कार्यक्रम और मॉडल बनवा कर उनका प्रदर्शन ब्लॉक और जिला स्तर पर किया गया. समय-समय पर विभाग के कार्यक्रमों का क्रियान्यवयन किया है. नशा मुक्ति पर कार्य, निशुल्क समर कैंप, चिकित्सा शिविर एवम विज्ञान प्रदर्शनी, उपचारात्मक शिक्षण, माता उन्मुखीकरण आदि सभी कार्यों को करने में उनकी विशेष रुचि है.
नई तकनीक, विशेष कर बच्चो को प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाने में विशेष रुचि रखती हैं, ताकि बच्चे विषयवस्तु को आसानी से समझ सकें. विशेष खेल विधि, प्रतियोगिता आदि करा कर टीम वर्क करने से बच्चे पढ़ाई में रुचि लेते हैं.
शाला प्रबंधन एवं विकास समिति की बैठक आयोजित कर समुदाय से शिक्षित बेरोजगार युवतियों से मदद लेकर उपचारात्मक कक्षाएं तथा अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित कर पाठ्यक्रम को पूर्ण कर बच्चों को परीक्षा हेतु तैयार करती हैं. माध्यमिक शिक्षा मंडल व्दारा आयोजित हाई स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा सत्र 2022-23 में कुल 52 बच्चे दर्ज थे, जिनमे से 28 बच्चे प्रथम श्रेणी, 20 बच्चे व्दितीय श्रेणी तथा 4 बच्चे तृतीय तृतीय श्रेणी में पास हुए. इस प्रकार शाला का परीक्षा परिणाम 100% रहा. कुमारी मोहनबती कश्यप 93.67 % प्राप्त करके ब्लॉक में प्रथम व जिले में सातवे स्थान पर रही.
बच्चो में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए सर्व धर्म से संबंधित कार्यक्रम कराती हैं. गांव में बच्चो के घर जाकर उनके परिवार के सदस्यों से मिलकर मित्रवत व्यवहार से उनकी परेशानियों को दूर करती हैं. उन्हें कैरियर चुनने के लिए मदद, स्कूल में कैरियर काउंटर के व्दारा उन्हें जानकारी देती हैं. सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिये रोज क्रियाकलाप, अभिव्यक्ति विकास के लिए सेमिनार आदि का अयोजन करती हैं. उनकी इच्छा है कि सारे बच्चे उनके स्वयं के बच्चों की तरह आत्मनिर्भर बनें, एक अच्छा इंसान बनें. इसके लिए जो संभव हो सकेगा वह हर कार्य करने के लिए मैं हमेशा तत्पर रहती हैं.
सम्मान व उपलब्धियां
- छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग व्दारा जवहार लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम मे सम्मानित.
- राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक समूह व्दारा सम्मानित.
- विकास खण्ड स्तर पर उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान.
- रोटरी क्लब जदगलपुर व्दारा सम्मान.
- छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल cgschool.in में "हमारे नायक" के रूप में चयन.
- छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग व्दारा मासिक पत्रिका "चर्चा पत्र" में 2 बार स्थान प्राप्त किया.
- सत्र 2021-22 का जिला स्तरीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार प्राप्त.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.