उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

दिव्‍यांग बच्‍चों के लिये मातृ स्‍वरूप कल्‍पना सिंह

आज एक ऐसी शिक्षिका के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने संघर्ष और प्रेरणा से विद्यार्थियों के जीवन को एक नई दिशा देने का प्रयास किया है. श्रीमती कल्पना सिंह प्राथमिक शाला देवरी, संकुल पंधी, ब्लॉक मस्तूरी में पदस्थ हैं. वे न केवल पढ़ाने का कार्य करती है वरन इनका उद्देश्य है दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़कर, जीवन कौशलों से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना. कल्पना सिंह ने अपने विद्यालय में प्रवेश लेने वाले दिव्यांग बच्चों को पहचान कर उनके लिए सरकार से मिलने वाली सुविधाओं को दिलाने का प्रयास तो किया ही, साथ ही गांव में अन्य कोई भी व्यक्ति जो दिव्यांग है, उन्हें भी समाज कल्याण विभाग से मिलने वाली सहायता दिलाने का निरंतर प्रयास किया, जिससे वह आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम हो सके.

श्रीमती कल्पना सिंह शैक्षणिक कार्य के अतिरिक्त स्काउट गाइड की गतिविधियों में भी अपनी सेवाएं लगातार देती रहती हैं. वे 1985 बैच की तत्कालीन राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह जी के व्दारा राष्ट्रपति गाइड पुरस्कार से सम्मानित हैं. इनके विद्यालय में बुलबुल फ्लॉक पिछले 10 वर्षों से संचालित है. प्रतिवर्ष इनके विद्यालय की कई बालिकाएं स्वर्ण पंख और हीरक पंख प्राप्त कर रही हैं.

करोना काल में इनकी कक्षाएं गांव के नीम गुडी में लगती थीं, जिसमें गांव के प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के सभी बच्चे चाहे वह किसी भी विद्यालय में पढ़ते हों, उपस्थित होकर लगातार शिक्षा प्राप्त कर रहे थे. इन्होंने संकुल और ब्लॉक स्तर पर TLM, कबाड़ से जुगाड, उत्कृष्ट शिक्षक के कई प्रमाण पत्र, विभिन्न सगठनों से प्राप्त करते हुए 2023 में मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण प्राप्त किया है.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

Visitor No. : 6765044
Site Developed and Hosted by Alok Shukla