समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
विशेष बच्चों के लिये काम करने वाली शीला गुरु गोस्वामी
शीला गुरु गोस्वामी जी शासकीय नवीन प्राथमिक शाला रसनी में अध्यापनरत हैं. उन्होने अपने शिक्षकीय जीवन में यह देखा है कि अगर हम बच्चों के साथ बच्चे जैसा व्यवहार करते हैं, तो वह बहुत खुश रहते हैं. उन्हें शिक्षक और अपने बीच में कोई दूरी नजर नहीं आती. उनका भरसक प्रयास रहता है कि वे बच्चों के साथ बच्चों जैसा ही पेश आएं. वे उनके साथ में खेलती हैं. वे नाचते हैं तो शीला जी उनके साथ रहती हैं. वे खेलते हैं तो उनके साथ खेलती हैं.
बच्चों के लिए नित नए कार्य करते रहना उन्हें और उनके स्टाफ को बहुत अच्छा लगता है. उनका स्टाफ भी उत्साही है. वे मिलकर बच्चों के लिए कुछ न कुछ नया करते ही रहते हैं. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि दो विशेष बच्चियों को उन्होने आने साथ शामिल कर लिया है. इन बच्चियों के माता-पिता उन्हें स्कूल भेजने की सोच भी नहीं सकते थे. जो चल नहीं सकते थे वह अब दौड़ते हैं, जो बोल नहीं सकते थे वे अब सीखते हैं. उनकी एक बच्ची पर तो राज्य स्तर की सफलता की कहानी भी बन चुकी है. उनके स्कूल में हमेशा एक-दो ऐसे विशेष बच्चे जरूर होते हैं. उनका स्कूल उन बच्चों को एक भेंट की तरह स्वीकार करता है. उन्होने बच्चों के लिए बहुत सारे नवाचार भी किये हैं, जो उनके पढ़ने-लिखने में सहायक हैं. लइका मड़ई में उनके नवाचारी कबाड़ से जुगाड़ से बनाये टी.एल.एम. ने पूरे राज्य में अच्छा प्रतिसाद पाया था. अंगना में शिक्षा कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री जी ने विशेष पुरस्कार भी दिया.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.