उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

शिक्षक दीनबंधु सिन्हा, उनका गाँव, उनका स्कूल और उनके बच्चे

धमतरी विकासखंड से तीन कि.मी. की दूरी पर स्थित प्राथमिक शाला मुजगहन में पदस्थ शिक्षक दीनबंधु सिन्हा ने अपनी प्रभावी योजनाओं, कार्यशैली और नित नूतन प्रयोगों तथा प्रयासों से अपनी प्राथमिक शाला को आदर्श पाठशाला बनाकर शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा आदर्श स्थापित किया है जो आने वाली हर पीढ़ी के लिए अमिट प्रभाव छोड़ जायेगा. इसकी आभा से समाज का दर्पण, शिक्षित, दीक्षित और समर्पित होकर ज्ञान-दान महान दान के पुनीत भाव से सदियों तक अलंकृत रहेगा.

आईये समझते हैं और निकट से जानने का प्रयास करते हैं कि इस प्राथमिक शाला मुजगहन के शिक्षक श्री दीनबंधु सिन्हा ने ऐसे कौन कौन से कदम उठाये, जिसके परिणामस्वरूप विद्यालय समाज का अभिन्न हिस्सा बन गया है, जहां शिक्षा के साथ संस्कार, विविध प्रयोगवादी कार्य- व्यवहार ने अपनी एक अतुलनीय मिसाल प्रस्तुत की है.

दीनबंधु सिन्हा जी के कार्यों का संपूर्ण विवरण लिखने में तो बहुत समय लग जायेगा, परन्‍तु संक्षिप्‍त रूप से उनके कुछ कार्य हैं - घर-घर पालक संपर्क, पालक चलें स्कूल की ओर, रोचक प्रार्थना सभा, प्रार्थना पूर्व नयी बातें, बचे कामों को करने की अच्छी आदतों का विकास, नवाचारी एवं खेल गतिविधियों व्दारा अध्यापन, कोरोना काल में भी न रुकी शिक्षा की रफ्तार, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष तैयारी, निजी विद्यालयों के 99℅ प्रतिशत बच्चों ने लिया गांव की सरकारी पाठशाला में प्रवेश, लगभग 150 बच्चों ने निजी विद्यालय छोड़ लिया इस सरकारी-असरकारी पाठशाला में लिया दाखिला, आसपास के दूसरे गांवों से 3 से 4 कि.मी. की दूरी से शिक्षा लेने पहुचते हैं बच्चे, राज्य के चर्चा पत्र में चार बार मिला सम्माजनक स्थान, साहित्यिक सृजनात्मक रचनात्मक गतिविधियों से समृध्द पाठशाला, पालकों ने जुटाये विद्यालय के लिए भौतिक संसाधन, संस्कार युक्त शिक्षा पर विशेष प्रयास, बच्चा-बैंक संचालन का अभिनव प्रयोग, सहकारी शिक्षण विधि से सीखने सीखाने की प्रभावी कार्य योजना, सतत् मूल्यांकन प्रणाली, प्रतिमाह एस.एम.सी. बैठक का आयोजन, शालेय वार्षिक पत्रिका में पालकों का आर्थिक सहयोग, परख कार्यक्रम में विद्यालय को मिला सर्वश्रेष्ठ विद्यालय का सम्मान, गुणवत्ता युक्त शिक्षा, शिक्षा की घर-घर अलख जगाता 'चलों पढ़े एक साथ' अभियान.

दीनबंधु सिन्हा जी के समर्पण से समाज में शिक्षा की ज्योत घर-घर रोशनी का पर्याय बनने लगी. उन्‍होने पालकों और समुदाय के साथ मिलकर शिक्षा की अभूतपूर्व प्रगति एवं प्रचार-प्रसार में अपने समर्पण की जो आहूतियां भेंट की हैं, निश्चय ही ऐसा शिक्षकीय प्रयास एक ऐसे चरित्र नायक को समाज में स्थापित करता है जिसकी कर्तव्य परायणता के प्रकाशपुंज से संपूर्ण मानव समाज प्रभावित प्रेरित और जवाबदेह बनता है.

दीनबंधु सिन्हा की उत्कृष्ट उपलब्धियों के परिणाम स्वरूप उनका नाम 'राज्यपाल-पुरुस्कार' के लिए चयनित किया गया है. उनका सम्मान शिक्षा जगत, के लिए गौरव का विषय है.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

Visitor No. : 6761341
Site Developed and Hosted by Alok Shukla