समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
शैलकुमार पाण्डेय का सफरनामा
शैलकुमार पाण्डेय, प्रधान पाठक, शा आदिवासी बालक आश्रम मसनियाखुर्द, ने अपनी शाला में अनुपयोगी घरेलू सामग्री से TLM सह खिलौना निर्माण के साथ नवाचारी शाला की विशेष पहचान बना कर "हमर विज्ञान के नागर" एवं "हमर विज्ञान के आँगना" के साथ भौतिक संसाधन को बढ़ाने के लिये जनसमुदाय से अनेकों सामग्री अर्जित कर आदिवासी बच्चों में वैज्ञानिक सोच पैदा करके अच्छे इंसान बनाने की प्रेरणा जागृत की है. आज उनके छात्र राज्य के विभिन्न विभागों में सेवा दे रहे हैं. इनकी हस्त पुस्तिका में शामिल 5 प्रयोगों को एस.सी.ई.आर.टी. ने शिक्षकों के विज्ञान शिक्षण में शामिल किया है्.
समग्र शिक्षा के अंतर्गत आने वाले दस बिंदुओं में अपनी शाला में, ब्लॉक में और जिले में खिलौना निर्माण एवं कबाड़ से जुगाड़ थीम पर TLM निर्माण करके छात्रों एवं शिक्षकों के शैक्षणिक स्तर के सुधार पर विशेष कार्य करवाया है. आज बच्चे खेल खेल कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. दो वर्ष कोरोना के कारण बच्चों से दूर रहने पर प्राथमिक स्तर में ग्रामों के छोटे बच्चों से नही जुड़ पाए. बच्चों को पुनः उच्च स्तर में लाना बहुत कठिन था, लेकिन समग्र शिक्षा की छोटी-छोटी गतिविधियो से यह सम्भव हो पाया है.
कुछ कार्य है - खिलौना निर्माण, कबाड़ से जुगाड़, सौ दिन सौ कहानी, समूह शिक्षण (ग्रुप शिक्षण), बाल केबिनेट (बाल सदन), पठन कौशल अभियान, सम्पूर्ण स्वछता अभियान, नियमित योग, सक्रिय शाला प्रबंधन समिति, किचन गार्डन, मध्यान्ह भोजन, आदि. इनका अपनी शाला में संचालन करके एकल शिक्षकीय स्कूल में मात्र दो वर्षों में शाला में खिलौना घर, सौ दिन सौ कहानी घर, बाल केबिनेट, किचन गार्डन, प्रिंट रिच से पढ़ाई, सक्रिय PLC, सामुदायिक सहभागिता से मां सरस्वती की प्रतिमा, वाटर कूलर, कम्पूयटर सेट, हमर विज्ञान के आंगन के लिये न्यूटन वलय का मॉडल आदि बनाने का प्रयास जारी है. मात्र 6 माह में पथरीले परिवेश में फूल खिला कर आश्रम को राज्य स्तर के लायक बनाने में सफल रहे हैं.
उन्हें विश्वास है कि इतने कम समय कोरोना काल मे इतना कार्य करके शैक्षणिक स्तर को अकेले रहकर बनाना शायद ही राज्य में किसी और शाला में हुआ होगा.
हमर विज्ञान के आँगनजिस प्रकार मां के आँगन से बच्चा खेल-खेल से सीख कर बहुत सारे शब्द भंडार लेकर स्कूल आता है, जिस प्रकार महारानी लक्ष्मी बाई बचपन मे आँगन में तलवार चलाना सीख कर वीरांगना बनीं, राम जी, श्री कृष्ण जी, मां यशोदा के साथ आँगन में शिक्षा खेल-खेल कर ग्रहण किये, ही वैसे ही आश्रम के बच्चे हमर विज्ञान के आँगन से विज्ञान सीख कर वैज्ञानिक बनेंगे. शैल जी ने आश्रम अमलडीहा में 28 साल रह कर हमर नागर भी बनाया था जिसे काफी सफलता मिली थी.
समग्र शिक्षा की गतिविधियों से आश्रम सफल रहा है. मोहल्ला क्लास, ऑनलाइन क्लास में TLM के प्रयोग से पढ़ाई से बच्चे जुड़े रहे. 2020 को कोरोना के समय ऑन लाइन सांस्कृतिक कार्यक्रम किया. शैल जी को महामहिम राज्यपाल से 2015-16 में सम्मान मिला, साथ ही अन्य अनेकों सम्मान प्राप्त हुये हैं.
विशेष कार्य
- समग्र शिक्षा द्वारा निर्मित खिलौना बुक में भी मिला
- SCERT द्वारा डी एल एड द्वितीय वर्ष की पुस्तक में पांच प्रयोग शामिल किया
- निर्माणाधीन स्वयं का खिलौना बुक
- पर्यावरण चेतना - शाला प्रबंधन समिति शिक्षकों एवं छात्रों के व्दारा शाला में नवाचार करते हुए वर्ष 2008 से नियमित नव प्रवेशी छात्रों से वृक्षारोपण कर सुरक्षा प्रदान कराते हैं. आज आश्रम में 200 से भी ज्यादा पेड़ पौधे सुशोभित हैं.
- जन सहभागिता - शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से और ग्रामीणों एवं शिक्षकों के प्रयास से ग्रामवासी आम जनता को शाला के प्रति जोड़ने का कार्य किया. शिक्षक प्रबंधन समिति एवं जागरूक ग्रामीणों से मिले अनुदान के से शाला के भौतिक संसाधनों में वृध्दि की. आज आश्रम में फ्रीज, पंखा, माइक सेट, चांदनी, पर्दा, कारपेट, विज्ञान सामग्री, घड़ी, माइक स्टैंड, ट्री गार्ड, आदि उपलब्ध हैं.
- गरीब प्रतिभावान बच्चों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था - फर्म, ज्वेलर्स श्री बनवारी लाल प्रेमचंद शक्ति के व्दारा आश्रम के 2 छात्र बृजलाल एवं ओम प्रकाश को रु 2000/-की छात्रवृत्ति वर्ष 14 -15 एवं 15 -16 में प्रदान करवायी.
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व्दारा आयोजित लो कास्ट नो - कास्ट में प्रशिक्षण प्राप्त कर विज्ञान सहायक सामग्री निर्माण के साथ पूरे राज्य में प्रशिक्षण के लिए तैयार किया गया. आज विकासखंड, जिला एवं राज्य के शिक्षक शिक्षिकाएं शैल जी व्दारा बनाई गई सहायक शिक्षण सामग्री का प्रयोग कर रहे हैं. आश्रम शाला में अभी 250 से अधिक स्वनिर्मित शिक्षण सामग्री उपलब्ध है. 2018 -19 में छात्रों व्दारा 150 शिक्षण सामग्री बनाकर स्वयं का लैब बनाया गया था.
- अन्य कार्य - सामाजिक कार्यों में भी विज्ञान प्रदर्शनी के माध्यम से सहभागिता निभा कर शिक्षा से जनसमुदाय को जोड़ने का कार्य किया. आदिवासी समाज खैरा व्दारा चक्रधर संगीत समारोह व सतनाम मेला में विज्ञान प्रदर्शनी करके 400 से भी अधिक बच्चों, पालको व ग्रामीणों को विज्ञान के प्रति जागरूक किया. 2009 से 2019- 1920 तक एग्रीटेक कृषि मेला, राज्य उत्सव, गणतंत्र दिवस के पंडाल में विज्ञान प्रदर्शनी, झांकी आदि का आयोजन करके लगभग 25000 छात्रों, पालकों, आम नागरिकों को विज्ञान प्रचार-प्रसार से जोड़ा जा चुका है.
- आदिवासी बालक आश्रम अमलडीहा में आज अधीक्षक, शिक्षक, छात्र एवं संस्था सम्मानित हो चुके हैं.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.