उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

दूरस्‍थ अंचल के स्‍कूल को स्‍वर्ग बनाया अरविंद गुप्‍ता ने

अरविन्द गुप्ता की नियुक्ति छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट की तराई में बसे एक छोटे से गांव जामझरिया में हुई थी. विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति न के बराबर थी. अरविन्द ने इस चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया. गाँव में अति पिछड़ी जनजाति मांझी मंझवार के लोग रहते थे, जो मेहनती तो थे मगर शिक्षा के महत्व की जानकारी उन्‍हें बिल्कुल भी नहीं थी. अरविन्द रोज पालकों से मिलते और उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में समझाते और बच्चों को प्रतिदिन विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित करते थे. यह कार्य निरंतर तब तक जारी रहा जब तक बच्चों की उपस्थिति विद्यालय में शत प्रतिशत नही हो गई. शुरू-शुरू में जो भी बच्चा पूरे सप्ताह विद्यालय आता उसे अरविन्द उपहार देते थे. यह आईडिया विद्यालय के लिए कारगर साबित हुआ. धीरे-धीरे बच्चों की उपस्थिति बढ़ती गयी और कुछ समय में शत प्रतिशत हो गई. अरविंद बच्चों को उपहार स्वरूप खिलौने, कपड़े, जूते, मिठाइयां, बैट-बॉल, चॉकलेट आदि देते थे. इस प्रकार विद्यालय में एक अच्छा वातावरण निर्मित हो गया.

अरविंद ने घूमन्तु बच्चों के लिए विशेष अभियान चलाया. विद्यालय की दशा में बदलाव लाने में पैसे की कमी एक बड़ा मसला था. इसके लिए विभाग से मिलने वाले बजट के साथ ही साथ अरविन्द ने अपने वेतन का कुछ हिस्सा भी शाला विकास में लगाने लगे. इसके फलस्वरूप विद्यालय अलग ही नजर आने लगा. यही कारण है कि आज इस विद्यालय में अत्याधुनिक तकनीक से बच्चों को पढ़ाया जाता है, जिसकी चर्चा प्रदेश स्तर पर की जाती रही है. कोरोना की मुश्किल घड़ी में भी अरविन्द ने बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखा.

अरविन्द गुप्ता को राज्यपाल पुरस्कार 2019 से सम्मानित किया गया. अपने विद्यालय में बच्चों के लिए किये जा रहे हैं नवाचार से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ शासन ने NCERT दिल्ली में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करने का अवसर अरविंद को दिया. राष्ट्रीय स्तर की THE TEACHER APP में विद्यालय की स्टोरी अरविन्द गुप्ता के संघर्ष के नाम से प्रकाशित हुई जो सुश्री लावण्या कपूर (दिल्ली) ने लिखी है. 2014 में विद्यालय को मुख्यमंत्री निर्मल शाला अवॉर्ड मिला. 2016-2017 और 2017-2018 में लगातार दो बार अरविन्द गुप्ता को मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण पुरुस्कार मिला. अरविंद गुप्‍ता के प्रयासों से यह स्‍कूल निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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