उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

बी.आर.सी.सी. सतीश स्वरूप पटेल के मार्गदर्शन में सामुदायिक सहभागिता से बदली स्कूलों की तस्वीर

शासकीय प्राथमिक शाला मुंधा विकासखंड सरायपाली के शिक्षकों व्दारा बच्चों के अधिगम स्तर को सुधारने के लिये कई तरह के नवाचार किए जा रहे हैं. इसके सुखद परिणाम भी सामने आन लगे हैं. शासकीय प्राथमिक शाला मुंधा की प्रधान पाठक श्रीमती शीला विश्वास एवं ‍शिक्षकों के ऐसे ही नवाचारों और पहल से यहां शिक्षा के स्तर में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. सरायपाली के उत्तर में 14 किलोमीटर दूर गांव मुंधा है. यहां के लोग कृषि एवं मजदूरी पर निर्भर हैं.

प्रधान पाठक श्रीमती शीला विश्वास कहती हैं – ‘मै जब प्राथमिक शाला मुंधा मे आई तब परिस्थितियां विपरीत थीं. कार्य करना आसान नही था, लेकिन मैने मन में ठान लिया था, कि इस अंधेरे से खुद अकेले नहीं निकलना है, बल्कि अपने बच्चो के साथ अंधेरो को चीरते आगे बढ़ना है, फिर चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी क्यो न हों.’

विद्यालय सक्रियता या उसकी सुरक्षा की बात विद्यालय प्रबंधन समिति को सक्रिय किए बिना हम यह नही कर सकते. इसलिए सर्व प्रथम उन्‍होने विद्यालय प्रबंधन समिति को सक्रिय किया. साथ ही विद्यालय, परिवार और समुदाय के बीच सामंजस्य स्थापित किया. शाला में कक्षा-कक्ष साधारण थे, और शाला मे कोई अतिरिक्त गतिविधि नहीं होती थी. इस कारण बच्चो को पढ़ाई में कोई खास कचि नहीं थी.

यहां के शिक्षकों ने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बी.आर.सी.सी. सतीश स्वरूप पटेल के मार्गदर्शन एवं संकुल समन्वयक पुरूषोत्तम पटेल के निर्देशन में कुछ नवाचार किये गए जैसे - प्रार्थना सत्र मे प्रतिदिन अलग-अलग बच्चो व्दारा प्रार्थना संचालन, माईसेल्फ इन्ट्रोडक्शन, सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी की जानकारी, विशेष दिनों की जानकारी, प्रमुख समाचार पत्रों के महत्वपूर्ण समाचार का वाचन करना, आदि. विषय को रुचिकर बनाने के लिये पाठ्‌यक्रम की आवश्यकता अनुसार शिक्षण अधिगम सामग्री निर्माण कर विद्यार्थीयो को प्रोत्साहित किया गया. गतिविधि आधारित शिक्षण प्रारंभ किया. स्कूल मे बाल केबिनेट गठन और SMC के सदस्यो को क्रियाशील कर माता उन्मुखीकरण (अंगना म शिक्षा) कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका समुचित प्रभाव देखने को मिलने लगा.

प्रधान पाठक के नेतृत्व में यहां के शिक्षकों व्दारा प्रत्येक शनिवार सुरक्षित शनिवार और बाल सभा का आयोजन किया जाता है, जिसमे लेखन, गायन, पेपर क्राफट, चित्रकला एवं योगाभ्यास भी करवाया जाता है. स्वयं प्रधान पाठक शीला विश्वास के व्दारा स्कूल में वाल पेंटिंग किया गया, ताकि बच्चो को प्रिंट रिच वातावरण मिल सके और चित्रकला के प्रति उनकी रुचि जागृत हो. प्रतिदिन स्कूल में Nicler app के माध्यम से पढ़ाई, मुस्कान पुस्तकालय, T.L.M. कार्नर, खिलौना कार्नर, जन्मदिन बोर्ड, स्टार आफ द मंथ, और स्टार आफ द ईयर चयन आदि से विद्यार्थीयो में अच्छे कार्य करने की प्रतिस्पर्धा सी होन लगी है. स्वच्छता, नियमित उपस्थिति, सर्वाधिक मेधावी, सर्वाधिक अनुशासित बच्चों को सम्मानित किया जाता है. स्कूल मे किचन गार्डन, वृक्षारोपण किया गया जिसका उद्देश्‍य, बच्चों को पोषक तत्व एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है. आज यहां बच्चे हंसते-खेलते पढ़ाई कर रहे हैं. पालक भी इस बदलाव से खुश हैं.

शासकीय प्राथमिक शाला कसडोल विकासखंड मुख्यालय सरायपाली से 14 किलोमीटर दूर गांव है. यहां की 80% आबादी बुनकर का काम करती है. हथकरघा से सूती साड़ी का निर्माण करते हैं. गांव के मध्य में हमारा विद्यालय शासकीय प्राथमिक शाला कसडोल स्थित है. पहले बच्चे पढ़ाई को प्राथमिकता नहीं देते थे. स्वच्छता का स्तर न्यून था. फिर बी.आर.सी.सी. सरायपाली सतीश स्वरूप पटेल के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में सभी शिक्षकों ने मिलकर कुछ नवाचारी गतिविधियों से पढ़ाना शुरू किया. हर कक्षा में रीडिंग कॉर्नर बनवाए और बच्चों को पुस्तक वितरण किया, जिससे बच्चे बड़ी रुचि के साथ पुस्तक पढ़ने लगे. हमने समुदाय को भी स्कूल से जोड़ा. कुछ माताओं को भी पुस्तक पढ़ने हेतु प्रेरित किया, जिससे समुदाय के लोग भी पुस्तक पढ़ने आने लगे और अपने बच्चों को भी पुस्तक घर पर पढ़कर सुनाने लगे हैं. स्कूल की पढ़ाई का स्तर भी बढ़ा और मुस्कान पुस्तकालय का संचालन शासकीय प्राथमिक शाला कसडोल में नियमित रूप से किया जा रहा है. मुस्कान पुस्तकालय के साथ ही साथ बच्चों को शाला के प्रति आकर्षित करने हेतु शाला भवन की दीवारों पर बहुत सुंदर प्रिंट रिच बनवाए गए. बच्चों की उपस्थिति में सुधार हुआ. आज कसडोल में ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या शुन्‍य है. अब बच्चों में पढ़ने के प्रति रुचि है. बच्चों के लिए एक खिलौना कॉर्नर का निर्माण किया गया है. इस खिलौना कार्नर में अलग-अलग तरह के खिलौने के साथ ही साथ पारंपरिक खिलौने को भी स्थान दिया गया है. कक्षा पहली और दूसरे के बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास रूम बनाया गया है. पहली और दूसरी के बच्चों को गतिविधि के व्दारा पढ़ाया जाता है.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

Visitor No. : 6763442
Site Developed and Hosted by Alok Shukla