उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

नवोदय गुरु जी के नाम से जाने जाते है यशवंत कुमार पटेल

यशवंत कुमार पटेल के शिक्षकीय जीवन का प्रारंभ शासकीय प्राथमिक शाला चीचा में 13/06/2005 को कार्यभार ग्रहण करने से हुआ. विद्यालय में 4 शिक्षक थे. विद्यालय में पर्याप्त कमरे नहीं थे. बच्चों में गुणवत्ता का स्तर कम था. यशवंत ने बच्चों को उपचारात्मक शिक्षण देकर गुणवत्ता में सुधार का प्रयास शुरू किया. बच्चों को बेहतर शिक्षण का लक्ष्य लेकर सन 2008 से जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा की तैयारी, विद्यालय समयावधि के अतिरिक्त सुबह शाम कराना शुरू की. विद्यालय को हरा-भरा बनाने का संकल्प भी लिया. विद्यालय में चारों तरफ बागवानी तैयार की और वृक्ष लगाये. शुरुवात में दो तीन वर्षों तक जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा में असफलता हाथ लगी, लेकिन हार नहीं मानी. सबसे पहले एक बच्चे प्रवीण कुमार वर्मा का चयन नवोदय के लिये हुआ. तब जाकर आस जगी और परिंदों के पंख लगे. मेहनत रंग लाई. फिर अगले वर्ष कुमारी सीमा चतुर्वेदी का चयन हुआ. उसके बाद अन्‍य शिक्षक - दीपक, दिनेश वर्मा और खिलेश्वर साहू सहयोग करने लगे. नई उमंग के साथ तैयारी शुरू हुई और एक साथ तीन बच्चों का चयन हुआ. सत्र 2022-23 में सैनिक स्कूल अंबिकापुर के लिए 1 बच्चे का चयन हुआ, साथ ही जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा 2022-23 में 15 बच्चे, 2021-22 के लिए 14 बच्‍चे, 2020-21 में 13 बच्‍चे, सत्र 2019-20 में 8 बच्‍चे, सत्र 2018-19 में 8 बच्‍चे, 2017-18 में 3 बच्‍चों का चयन हुआ. गांव से 63 बच्चो का चयन हो चुका है. इसके अलावा शासकीय प्राथमिक शाला से जवाहर उत्कर्ष योजना अंतर्गत 3 बच्चों का चयन भी हुआ है.

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के आज की आधुनिकतम तकनीक का उपयोग किया जाता है. जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा के लिए शिक्षक व्दारा गूगल फार्म का उपयोग किया गया है, जिससे बच्‍चे ज्यादा रुचि लेते है. गूगल फार्म में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नों की वस्तुनिष्ठ उत्तरमाला तैयार की गयी है. इससे बच्चों को तत्काल प्राप्तांक पता लग जाते हैं. किस सवाल में गलती है इस बात की जानकारी भी हो जाती है. नई तकनीक का उपयोग करते हुए बच्चे आसानी से सीखते हैं.

जवाहर नवोदय प्रवेश परीक्षा के बच्चों को नि:शुल्क तैयारी कराई जाती है. चयनित बच्चों में अधिकांश बच्चे गरीब और मजदूर वर्ग के हैं. विद्यालय में भौतिक संसाधन जुटाने के लिए शिक्षक व्दारा विभिन्न प्रयास किए गए. परिणामस्वरूप विद्यालय में पढ़ाई को अत्याधुनिक बनाने के लिये सभी कक्षाओं में स्मार्ट टीवी, खेलने के लिए झूला, सी-सॉ झूला, फिसलपट्टी, प्रिंट रिच वातावरण, श्रमदान से नाली निर्माण कार्य, किचन गार्डन का निर्माण, चबूतरा निर्माण, क्यारी निर्माण, प्रार्थना एवम विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए माइक, साउंड सिस्टम, एक्सक्यूटिव अलमारी, गमला, कूलर, सीलिंग फैन, बच्चों के लिए बेंच, टेबल, ग्रीन बोर्ड, होम थिएटर जैसे विभिन्न संसाधन व कार्य जुटाए गए हैं.

विद्यालय से लगातार जवाहर नवोदय विद्यालय में चयन होने से विद्यालय में लक्ष्य से अधिक बच्चों का नामांकन हुआ. सत्र 2022-23 में लक्ष्य 63 था और उपलब्धि 93 रही. सत्र 2023-24 ने लक्ष्य 60 था और वर्तमान में दर्ज संख्‍या 109 है. वर्तमान में यशवंत शासकीय प्राथमिक शाला डोड़की में पदस्थ है. सत्र 2022-23 में सुघ्‍घर पढ़वैया के अंतर्गत डोड़की विद्यालय द्वारा चुनौती स्वीकार की गई थी, जिसमें विद्यालय को प्लेटिनम कैटेगरी मिली है.

यशवंत को सन 2016 में मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण, शिक्षादूत से सम्मानित किया गया . 2019 में उत्कृष्ट विद्यालय सम्मान जिला कलेक्टर दुर्ग व्दारा, जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग व्दारा उत्कृष्ट नवोदय परीक्षा परिणाम सम्मान, सामुदायिक पुनर्वास कार्यक्रम के लिए जिला परियोजना कार्यालय दुर्ग सम्मान, बी.ई.ओ, बीआरसीसी धमधा व्दारा सम्मान , विज्ञान गणित मेला में सम्मान, योग शिक्षण सम्मान, लक्ष्य प्रतिभा सम्मान, संकुल प्राचार्य व्दारा 2021 में नवाचारी शिक्षक सम्मान तथा 2021 में विकासखंड स्तरीय उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान दिया गया.

कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसलिए शिक्षक व्दारा ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन तथा मोहल्ला कक्षा का संचालन किया गया था, जिसमें 150 विद्यार्थियों ने शिक्षण का लाभ लिया. सत्र 2022 23 में शिक्षक का नाम राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान के लिए चुना गया तथा 5 सितंबर 2023 को महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के करकमलों से सम्मानित किया गया.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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