समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
मीरा रजक के प्रयासों से झिंगटपुर पूर्व माध्यमिक शाला के बच्चों के हुनर में हो रहा है इजाफा
जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर, कोटा विकास खंड की शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला झिंगटपुर में व्यावसायिक शिक्षा से बच्चे लाभान्वित हो रहे हें. ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर स्कूली बच्चे 5 वीं या 10 वीं फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं, और उनके माता-पिता उनसे मजदूरी करवाते हैं. इससे बच्चे जीवनभर रोजी-मजदूरी करने को मजबूर हो जाते हैं. श्रीमती मीरा रजक ने इस बात को ध्यान में रखते हुए बच्चों को सिलाई-कढ़ाई, बुनाई, दोना-पत्तल, पैरदान और मेहंदी बनाने सहित कंप्यूटर बेसिक शिक्षा देना प्रारंभ किया. इससे पढ़ाई के बाद बच्चे खुद का रोज़गार शुरू कर सकेंगे, और बेहतर तरीके से अपने और परिवार का भरण-पोषण कर सकेंगे.
कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद होने के बाद बच्चों को आनलाइन पढ़ाई व मोहल्ला क्लास से जोड़ा गया. इस दौरान मीरा रजक उन्हें रोजगार मूलक प्रशिक्षण भी देने लगीं. बच्चों ने खूब मन लगाकर सीखा. परिणाम बेहतर मिलने पर रोजगारमूलक शिक्षा को नियमित बनाये रखने से वर्तमान में बच्चे अब चार प्रकार के फ्राक, पांच प्रकार का सलवार सूट, पांच प्रकार के ब्लॉउज़, पीकू फाल लगाना सहित कढ़ाई का कार्य सीख चुके हैं.
ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान संस्था की नवमी से बारहवी कक्षा तक में पढने वाली 35 छात्राओं ने शाला आकर सीखा. इसी कड़ी में संस्था की कक्षा सातवी और आठवी पढ़ने वाले 25 छात्राओं ने उक्त कला को सीखज्ञ. सिलाई-कढ़ाई, बुनाई कला को सीखने में छात्रों की भूमिका भी सराहनीय है. 3 बच्चे ऐसे हैं, जो सलवार सूट बनाना सीख गये हैं.
स्कूल में बच्चों को अलग से कंप्यूटर शिक्षा से जोड़ने के लिये शिक्षा सत्र 2022 में विकास खंड शिक्षा अधिकारी विजय टांडे व्दारा उद्घाटन किया गया था, जिसका लाभ बच्चों को मिल रहा है. शासन के आदेशानुसार हर शनिवार को बेगलेस डे के दौरान बच्चे कम्प्यूटर सीखते हैं. वर्तमान में 23 छात्राओं सहित 34 छात्र सीख रहे हैं.
शिक्षिका मीरा रजक स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अनुपयोगी सामग्रियों से अलग-अलग खिलौने बनाने संबंधी गतिविधियों से भी उन्हें जोड़ रही हैं. वे रोजगार मूलक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बच्चों को दोना पत्तल, मृदा कला, बांस कला, पेपर क्राफ्ट, कास्ट कला, सुई धागे से कलाकृति बनाना सिखा रही हैं. वेस्ट मटेरियल से कई तरह के खिलौने का निर्माण कर उसका उपयोग बच्चों की पढ़ाई में भी किया जा रहा है. उनके प्रयास के परिणाम स्वरूप बच्चे खिलौने, दोना पत्तल सहित अन्य रोजगार मूलक चीजें बनाना सीख गए हैं. विद्यालय ने राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के तहत अनुपयोगी सामग्री से बनाये गए विभिन्न तरह के एफ.एल.एन. आधारित टी.एल.एम. का संकुल एवं खंड स्तरीय कबाड़ से जुगाड़ मेला में प्रथम स्थान हासिल कर जिला स्तरीय कबाड़ से जुगाड़ मेला में दुसरे स्थान प्राप्त किया. रोजगार मूलक शिक्षा को बेहतर ढंग से बच्चों तक पहुँचाने में विशेष भूमिका निभाने हेतु मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण, ज्ञानदीप से उन्हें सम्मानित किया गया है.
पढाई तुंहर दुवार 2.0 के तहत शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के फलस्वरूप जिला पंचायत अध्यक्ष व्दारा सम्मानित किया गया. राष्ट्रीय शिक्षा समागम में प्रदर्शनी के दौरान स्कूल शिक्षा मंत्री ने मीरा रजक की भूरि-भूरि प्रशंसा की. कोविड काल में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित दो दिवसीय जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम 14 से 15 नवंबर 2021 तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय आडिटोरियम रायपुर में आयोजित हुआ था. इसमें मीरा रजक ने बच्चों व्दारा धागे से बनाई गई कलाकृतियो की प्रदर्शनी लगाई थी.
बच्चों को मिलने वाले निःशुल्क गणवेश को बच्चे ज्यादा समय तक उपयोग कर सकें, इस उद्देश्य से झिंगटपुर पूर्व माध्यमिक शाला में, शिक्षिका श्रीमती मीरा रजक ने वितरण से पूर्व दोबारा सिलाई कर वितरण करने का निर्णय लिया. इसके लिये सिलाई कार्य सीख चुके बच्चे उत्साह के साथ सहयोग करने लगे हैं. यहः कार्य बस्ताविहिन दिवस में या आवश्यकतानुसार शाला समय के दीर्घकालिक अवकाश अवधि में किया जाता है.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.