उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

बच्‍चों को साहित्‍य की ओर प्रेरित करते - जितेन्द्र कुमार साहू 'साहिर'

जितेन्द्र सुकुमार 'साहिर', प्राथमिक शाला बुडे़नी से 2017 में शिक्षक एल. बी. (ग्रंथपाल) के पद पर पदोन्नत होकर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करेली बड़ी, विकासखंड- मगरलोड जिला -धमतरी (छ.ग.) आये. यहां आने के बाद उन्‍होने अध्यापन के साथ-साथ शनिवार को कविता की क्लास लगाना शुरू किया. जिन बच्‍चों की रुचि कविता लेखन में थी, उन बच्चों को अलग से कविता लेखन के तौर तरीकों से परिचित कराया. विद्यार्थीगण जो समय टी.वी. या मोबाइल में गवां देते थे, उस समय का सदुपयोग साहित्य सृजन में करने लगे. धीरे-धीरे कविता लिखने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ती गई.

जितेन्‍द्र जी ने 'आओ कविता लिखें' नाम का समूह बनाकर व्हाट्सएप में बालकवियों को जोड़ा. आज उनके मार्गदर्शन में 40 बच्चे कविता लेखन कर रहे हैं. लोगों ने कवि सम्मेलन का नाम सुना था पर सुकुमार जी ने अपने क्षेत्र में बाल कवि सम्मेलन का ट्रेंड शुरू किया, जिसमें शनिवार को बस्ता-विहीन साहित्यिक गतिविधियों के अंतर्गत बाल कवि सम्मेलन का आयोजन कर अन्य विद्यालयों को भी साहित्य से जोड़ने की कोशिश की. साहित्य से जुड़ने के बाद बच्चों की लेखन एवं वाचन शैली में काफी सुधार देखने को मिला. जो बच्चे जल्दी आक्रोशित हो जाते थे, वे भी विनम्र होकर बात करने लगे.

जन सहयोग से वार्षिक पत्रिका के प्रकाशन का जिम्मा उठाया एवं बाल कवियों की कविताओं को स्थान दिया. स्टाफ के शिक्षक-शिक्षिकाओं को अपने विषय से संबंधित लेख-आलेख लिखने को प्रेरित किया. सभी के सहयोग से सुकुमार जी के संपादन में 'हमारा अपना परिवार' नामक वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है. प्रत्येक माह मासिक गोष्ठी के आयोजन से अभिव्यक्ति कौशल में विकास हो रहा है. 12वीं की पढ़ाई पूर्ण करने वाले विद्यालय के भूतपूर्व छात्र-छात्राएं भी गोष्ठी में सम्मिलित होते हैं.‌ किलोल पत्रिका के जून अंक में 12 बालकवियों की कविताएं प्रकाशित हुईं एवं सितंबर माह में 18 बच्चों की कविताएं छपी हैं. इसके अलावा बाल कवियों की रचनाएं अन्य साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं एवं दैनिक अखबारों में स्थान पा रही हैं. सुकुमार जी के नेतृत्व में जिला स्तरीय काव्य सम्मेलन एवं पं. सुंदर लाल शर्मा जयंती काव्य प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों में विद्यालय के बालकवि हिस्सा ले चुके हैं.

शनिवार को अन्य विद्यालयों में भी जाकर साहित्य के प्रति अलख जगाने का कार्य सुकुमार जी ने किया है. साहित्य रचना में कक्षा ग्यारहवीं के बच्चों की संख्या में हर वर्ष वृध्दि हो रही है. हिन्दी में 'आलो ऑंधारि' नामक पाठ है जो की बेबी हालदार जी की आत्मकथा है. पाठ्य की समाप्ति के पश्चात बच्चों से बेबी हालदार जी से बात करते हैं, जिससे बच्‍चे रोमांचित हो उठते हैं. बेबी हालदार की तरह लिखने को उत्साहित हो जाते हैं. क्षेत्र के लोग उन्‍हें 'साहिर' एवं बच्चे उन्‍हें 'कवि सर’ के नाम से बुलाते हैं.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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