उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

बहुमुखी प्रतिभा के धनी सत्यजीत पुरकायस्थ

सत्यजीत पुरकायस्थ एक शिक्षक के साथ-साथ बहुत सारे सामाजिक दायित्वों को अपने सर पर रखकर उनका निर्वहन कर रहे हैं. वे यूट्यूब चैनल - टीचिंग अपडेट्स पर अध्यापन के दौरान वीडियो बनाते अपलोड करते हैं. उनमें वीडियो बनाना कंटेंट बनाने की विलक्षण प्रतिभा है. वे पेंटिंग, चित्रकारी आदि करके अपने विद्यालय को सजा कर रखते हैं. वे लेखक भी हैं. इनकी रचनाएं 2003 से लगातार प्रकाशित हो रही हैं. वे अधिकतर लेख शिक्षा से जुड़ी गतिविधियां पर लिखते हैं. इन्हें साहित्य लेखन के क्षेत्र में रवींद्र नाथ टैगोर सम्मान और अन्‍य अनेक सम्मान मिले हैं.

इनकी प्रथम नियुक्ति 3/11/ 2007 को सरगुजा जिले के नक्सलाइट प्रभावित क्षेत्र डांड केसरा, विकासखंड लखनपुर, शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला डांड केसरा के लिए हुई थी. उन्‍होने देखा कि‍ नक्सलाइट प्रभावित होने के कारण इस क्षेत्र में कोई भी शिक्षक नहीं रहते थे. उन्‍होने हौसले और हिम्मत के साथ वहां रहना शुरू किया. घर-घर जाकर जन-जागरूकता फैलाई. धीरे-धीरे लोगों को विश्वास होने लगा कि यह शिक्षक अवश्य कुछ करेगा और इस निरक्षर गांव में साक्षरता की दीप जलेगा.

उस समय तक विद्यालय पशु-शेड जैसा लगजा था. उन्‍होने साफ-सफाई करवाई. 10 से 15 दिन के अंदर पूरा विद्यालय चमकने लगा. सुंदर आकृतियों से विद्यालय को सजा दिया. यह देखकर लोगों पर बड़ा अच्‍छा असर हुआ. लोगों को अब पूरा विश्वास हो गया था कि अब यहां कुछ नवाचार होने वाला है. छात्र संख्‍या में निरंतर बढ़ोतरी हुई और 100 बच्चो की भर्ती का रिकॉर्ड हासिल किया.

उन्‍होने पालकों को भी साक्षर करना शुरू किया. जो लोग अपना नाम तक लिखना नहीं जानते थे, उन्हें नाम लिखना-पढ़ना सिखाया्. यह गांव पूरी तरह से पहुंच विहीन है और पहाड़ियों के तलहटी में बसा है. विकास खंड मुख्‍यालय से 85 किलोमीटर पहाड़ी रास्तों से जाना पड़ता है. जंगली जानवर, हाथी और भालू के आए दिन हो रहे अटैक का डर होने के बाद भी वह सत्‍यजीत ने हार नही मानी और लगातार कार्य करते रहे. उन्‍होने लगातार प्रतियोगिताओं में स्‍कूल को शामिल किया. विज्ञान मेला, सांस्कृतिक कार्यक्रम, इंस्पायर अवार्ड आदि से एक नई मिसाल कायम की. आज उस गांव में इस शिक्षक का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है.

जब सत्‍यजीत ने 2009 में अपनी ट्रांसफर के संबंध में गांव वालों से कहा को ग्रामीणों ने उसका स्थानांतरण रुकवा दिया. ग्रामीणों व्दारा प्रशंसा सुनकर स्वयं कलेक्टर ने जनसुनवाई में विकासखंड लखनपुर के समस्त अधिकारी कर्मचारीगण के समक्ष सत्‍यजीत को सम्‍मानित किया. 26 जनवरी 2014 को तत्‍कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के व्दारा पुरस्कृत हुए.

2016 में यह शिक्षक विकासखंड धर्मजयगढ़ शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय नरकलों मैं स्थानांतरित हुये. यहां भी वे लगातरा नवाचार करते रहे हैं. चित्रकारी से विद्यालय को तो सजाया ही, साथ ही साथ अंग्रेजी में गीत गाना और अपना परिचय देना इस शिक्षक ने सिखा दिया. जल्दी ही उनकी प्रतिभा के कारण उन्हें अंग्रेजी भाषा के शिक्षण लिए अंग्रेजी माध्यम विद्यालय डुगरूपारा धर्मजयगढ़ में अध्यापन के लिये भेजा गया. इनकी कुशलता, पंक्चुअलिटी, फ्रेंडशिप और नवाचार के कारण लगातार बच्चों का स्टैंडर्ड बढ़ा है प्रतिवर्ष दर्ज संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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