समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
शालिनी दुबे का पढ़ाने का तरीका - करके सीखें पाएं ज्ञान - जादू नही ये है विज्ञान
शालिनी जी का मानना है कि कक्षा में सीखना -सिखाना तभी संभव हो पाता है, जब विद्यार्थियों की पूर्ण सहभागिता हो। एक उदेश्य होता है की बच्चे सीखे, प्रश्न करे, उत्सुकता हो विषय को लेकर, उनकी जिज्ञासा बनी रहे. इसके लिये उन्होने जो महत्वपूर्ण कार्य किये हें उनका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है -
स्थानीय भाषा - उन्होने विषय पर फोकस किया, सीखने पर फोकस किया और बच्चों को भाषा बंधन से मुक्त रखा. स्थानीय भाषा का भरपूर प्रयोग किया.
बदलाव की यात्रा - कक्षा में बच्चे रूचि तभी लेते है जब कुछ नया सीखने को मिले. सरलतम विधि वह हैं जिससे सभी बच्चों को लगे - 'हाँ हम ये कर लेंगे.'
श्यामपट कार्य के दौरान सभी विद्यार्थियों की भागीदारी रही. न केवल वे लिखते रहे वे दूसरों को सुनकर भी सीख रहे थे. शाला में पाठ्यक्रम पूर्ण कराने व परीक्षा के आयोजन तक सीमित नहीं रहा. लर्निंग आउटकम्स व्दारा बच्चे के सीखने पर ध्यान दिया. हर माह विद्यार्थी विकास सूचकांक तैयार कर किये.
विद्यार्थी विकास सूचकांक से हमारे पास आधार बना. उन्होने उन बच्चों को भी फोकस किया जो पिछले माह छूट गए थे. एक आकर्षक विज्ञान क्लब भी बनाया जो हमेशा बच्चों के लिए केंद्र बिंदु रहा. विज्ञान के मनोरंजक प्रयोग उन्होने हर शनिवार बैगलैस डे पर आयोजित किये, जिसमे बच्चे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे.
रसोई से विज्ञान जैसे टॉपिक पर मौखिक चर्चा व लेखन कार्य, चित्र बनाना, व्याख्या करना एक कालखंड में प्रत्येक बच्चों के संभव नहीं अतः हमने अतिरिक्त कालखंड की व्यवस्था की.
बच्चों ने विज्ञान के प्रयोग किये व अपने पसंद के प्रयोगो की सूची भी बनायी. विज्ञान पत्रिका, विज्ञान रंगोली, विज्ञान प्रोजेक्ट प्रदर्शनी, विज्ञान क्लब की गतिविधियां, विज्ञान प्रोजेक्ट, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता जागरूकता, विज्ञान लघु नाटिका का मंचन, ऑग्मेटेड रियालिटी व स्वयं के द्वारा निर्मित विज्ञान विषय के कार्टून स्मार्ट क्लास का उपयोग किया, ताकि बच्चे कर के सीखें.
ऑनलाइन शिक्षा -बच्चों का cgschool में पंजीयन करके ऑनलाइन क्लास, बहुत ही रोचक तरीके से लगातार लेती रहीं. वे अभी तक 249 ऑनलाइन क्लास ले चुकी हैं.
ब्लॉग लेखन - राज्यस्तरीय ब्लॉग लेखन के दायित्व का निर्वहन किया गया व cg वेबपोर्टल पर इनके व्दारा लिखे 17 ब्लॉग अपलोड हुए.
पॉडकास्ट टीम - जनवरी माह चर्चा पत्र में एजेंडा -09,फरवरी माह-एजेंडा-05 व मार्च माह एजेंडा-03 को अपनी आवाज देने का अवसर मिला.
कार्टून वीडियो - इनके व्दारा कार्टून वीडियो बनाये गये हैं जो कि लर्निंग आउटकम पर आधारित होते हैं.
टॉय पेडागोजी - नई शिक्षा नीति के तहत लर्निंग आउटकम पर आधारित बहुत सारे खिलौने इनके व्दारा बनाए गए हैं. मिट्टी की कलाकृति बनाना भी बच्चों को सिखाया. scert 2021 टॉय फेयर में इनके वायु दाब पर आधारित टॉयज का चयन भी हुआ.
टी.एल.एम. निर्माण कार्य - विज्ञान विषय के अलावा संस्कृत इंग्लिश, हिंदी गणित सामान्य ज्ञान पर भी बनाया गया.
अँगना म शिक्षा ,/span>- कार्यक्रम का बेमेतरा जिले में पहला आयोजन इनके व्दारा किया गया. संभाग स्तरीय आयोजन भी ग्राम कारेसरा में हुआ.
ऑग्मेंटेड रियालिटी - शिक्षण कार्य मे ऑग्मेंटेड रियालिटी का उपयोग किया गया, ताकि बच्चे शब्द प्रमाण तक सीमित न रहे वो उनके सामने ही वो चीजे वास्तविक रूप सा हो.
स्टोरी वीवर - लेखन एक शौक होने की वजह से कुछ कहानियां, बाल साहित्य लिखकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. किलोल में भी लिखना बच्चों के लिए कविता, कहानी, लेख आदि प्रकाशित हुये.
कबाड़ से जुगाड़ - क्ले के व्दारा व उपलब्ध सामग्री के व्दारा कबाड़ से जुगाड़ बनाया गया, ताकि बच्चों को भी सिखा सकें व उन्हें शिक्षण कार्य से जोड़ सकें.
विज्ञान की अनोखी दुनिया - कोविड महामारी के समय भी विभिन्न तरीके से बच्चो को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया. वे विज्ञान की अनोखी दुनिया नाम के कार्यक्रम में के व्दारा शनिवार को बच्चों के बीच प्रतियोगिता व कार्यक्रम का आयोजन करती हैं.
लर्न विद फन - इस कार्यक्रम के तहत प्रयोगों पर आधारित शिक्षण कार्य करवाया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के विज्ञान से संबंधित प्रयोग करके बच्चों को उसका सिद्धांत बताया जाता है.
यू ट्यूब – इनकी चैनल यु-ट्यूब में जो कि विज्ञान की अनोखी दुनिया के नाम से है, जिसमें टी.एल.एम., लर्निग आउटकम पर आधारित टॉयज, पीपीटी आधारित पाठ्यक्रम व कार्टून वीडियो द्वारा शिक्षण सामग्री उपलब्ध है.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.