समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
कहानी वाली मैडम योगेश्वरी साहू
छत्तीसगढ़ी लोककथाओ को समुदाय से निकालकर अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से एक बार फिर बच्चों तक पहुचाने के कारण योगेश्वरी साहू को उनके स्कूल के बच्चे व इष्टमित्र कहानियों वाली मैडम के नाम से जानते हैं.
योगेश्वरी जी शुरुआती दिनों से ही बच्चों को कक्षा में छत्तीसगढ़ी लोककथाएं सुनाती आ रही हैं. वे प्रतिदिन बच्चों को बाल कहानी सुनाती हैं. जब कोरोनाकाल आया तब बच्चे से थोड़ी सी दूरी आ गई. इसी दूरी को समाप्त करने के लिए उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल "CG SCHOOL" शुरू किया. उसमें बच्चों के लिए छोटी-छोटी पुरानी हिंदी कहानियों और छत्तीसगढ़ी लोककथाओ के वीडियो डालना प्रारंभ किया. योगेश्वरी जी ने छत्तीसगढ़ी भाषा की भूली बिसरी कहानियों को समुदाय के मध्य जाकर उन्हें रिकॉर्ड किया और उनका वीडियो रूपांतरण करके उन कहानियों को पुनर्जीवित करने का कार्य वे लगातार कर रही हैं. वे कहानियों का लेखन भी कर रही हैं. इन्हीं कहानियों को नए तरीके से रिक्रिएट करके यूट्यूब में अपलोड करने का कार्य भी कर रही हैं. छत्तीसगढ़ी लोककथा के माध्यम से वे पुरानी लोक परंपरा को जीवित रखने का लगातार प्रयास कर रही हैं. वे समय-समय पर पालको, माताओं और दादी -दादा को शाला में आमंत्रित कर उनसे भी स्थानीय कहानियों को सुनकर इकट्ठा कर रही हैं. इसके साथ ही कुछ कहानियां जो बच्चे अपने घरों से दादा-दादी से सुनकर आए थे उनका भी अच्छा खासा संग्रह हो गया है.
योगेश्वरी जी के इस प्रयास के कारण उन्हें चर्चा पत्र में भी स्थान दिया जा चुका है. अपनी इन्हीं छत्तीसगढ़ी लोककथाओं के संवर्धन एवं भाषा में टेक्नोलॉजी के उपयोग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 75 दिवसीय भाषा उत्सव एवं प्रौद्योगिकी समागम में वे अपने प्रदेश का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं. योगेश्वरी जी को अपने उत्कृष्ट कार्यो के कारण 2021 में उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान भी प्राप्त हो चुका है. वे अभी तक 854 विडीयो यूट्यूब पर अपलोड कर चुकी हैं.
योगेश्वरी जी द्वारा लिखित बाल कहानी "डंगरू चुरु" को समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ व रूम टू रीड ने प्रकाशित कर 14 स्थानीय भाषा में अनुवाद भी करवाया है. योगेश्वरी जी अपने दादा ,पापा और चाचा से सुनी हुई लोककथाओं को सहेजकर नयी पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य कर रही हैं. उनके प्रयास के कारण अब यूट्यूब पर बहुत सारी पुरानी छत्तीसगढ़ी लोककथाएं आपको आसानी से देखने और सुनने को मिल रही हैं. उनकी रचनाएं देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होती रहती हैं. अपने इन्हीं उत्कृष्ट कार्यो के कारण योगेश्वरी जी को 2021 का मुख्यमंत्री शिक्षा दूत पुरस्कार भी मिल चुका है.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.