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एक कोशिश कीजिए

दिल से दिल चाहे मिले ना, पर रवायत के लिए,
साथ में मिल बैठने की एक कोशिश कीजिए.

हम भी अपनी शोखियाँ कुछ महफिले नजर करें,
इससे पहले वो फना हों एक मौका दीजिए.

चश्मे मयगूँ से पिया पर, तिशनगी बाकी रही,
मयकशी की दासतां हमसे बयां ना कीजिए.

लोगों ने हमको क्या समझा ?और कहा आपसे!
छोड़िए... इस बात को कुछ, कैफियत ना दीजिए.

खोए-खोए गुम से बैठे खफा क्यों हैं ए हुज़ूर?
आप रुसवा हो रहे हैं अरे करम कीजिए.

मुंतशिर हूँ मैं ‘अणिमा’ ब-अंदाज़ -ए -खुमार,
मेरी इस अदायगी का आप लुत्फ लीजिए.

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