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यह दिल हमारा फाख्ता है
हम सर झुका लें, मान लें, दस्तूर यही है,
बागी हैं हम हमारा तो कसूर यही है.
यह मानते हैं दोस्ती के काबिल, हम नहीं,
पर तेरी हर इक बात के कायल भी हम नहीं.
मत हमकदम हो, साथ मेरे चल ना पाओगे,
अहमक जुदा हो देख लो तुम मार ना जाओगे.
हमें है एतबार तेरी बेवफाई पर,
हर बार फाड़ता है तू नया करार कर.
वो खून भी अगर करें तो पाक साफ हैं,
हम हाल भी जो पूंछ लें तो दागदार हैं.
जिस मोड़ पे तू मुड़ गया था साथ छोड़ कर,
हम आज भी खड़े हैं उसी उजड़े मोड़ पर.
मद मदिरा मय मयकदा शायर की शान हैं,
यह मयकदा तो है मगर, पीना हराम है।
हम उनकी झूठी शान में गुस्ताखी कर गए,
साकी ने जब बताया तो अब इत्मीनान है.
यह दिल हमारा फाख्ता है इसका क्या कसूर!!
कफ़स में पड़ा सोंचता है इसकी शान है.
यह सोंच ही तो ‘अणिमा’ जी का जंजाल है,
मुतमइन हो जो जी रहे वही कमाल है.