पहेलियाँ

बाल पहेलियाँ

रचनाकार- गौरीशंकर वैश्य विनम्र

paheli

  1. प्यारा रंगों का त्योहार,
    फागुन में आता हर बार.
    उड़ता खूब अबीर गुलाल,
    नाम बताओ, करो कमाल.

  2. बाँस या लोहे की होती,
    रंगों से है खूब भिगोती.
    होली के दिन आती काम,
    मित्र बताओ, उसका नाम.

  3. फूलोँ की बहार है,
    भौरों की गुंजार है,
    प्रकृति का श्रंगार है,
    कौन - सी ऋतु बलिहार है.

  4. जली चिता में स्वयं होलिका,
    बालक को न आई आँच,
    होली पर्व तभी से प्रचलित,
    बालक कौन, बताओ साँच.

उत्तर- 1. होली, 2. पिचकारी, 3. वसंत ऋतु, 4. प्रह्लाद, 5. गुझिया, 6. देवी सरस्वती



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पहेलियाँ

रचनाकार- डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

PAHELIYA

  1. इक पंछी जो उड़ ना पाए,
    तीन है जिसके पेट.
    बैरी देख गर भाग ना पाए,
    वह तो जाता लेट.

  2. रंग है मेरा हल्का भुरा,
    कीटों को मैं खाती.
    20 मार्च को याद करें सब,
    बोलो क्या कहलाती.

  3. शाकाहारी इक पंछी,
    चोंच है जिसकी लाल.
    हरी मिर्च जिसको अति भाए
    तुरत उसे लो पाल.

  4. फर फर फर फर उड़ता जाऊं,
    लोगों की चिट्ठी पहुंचाऊं.
    मै पंछी हूं एक निराला,
    चार अक्षर से बनने वाला.
उत्तर- 1. शुतुरमुर्ग, 2. गौरय्या, 3. तोता, 4. कबूतर



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