अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी–

घायल बछड़ा

FebAK

आज चित्रा जब सुबह-सुबह घर के दरवाजे पर आई तो वहाँ घायल पड़े बछड़े को देखकर बहुत दुखी हुई.

चित्रा एक आठ वर्षीय लड़की है. प्रतिदिन यह छोटा बछड़ा अपनी माँ के साथ चित्रा के घर आया करता था. चित्रा की माँ गाय को रोटी देतीं और चित्रा के हाथों से बछड़े को रोटी दिलवाती थीं. चित्रा पहले तो बछड़े के पास आने से डरा करती, पर धीरे-धीरे उसका डर समाप्त हो गया. अब वह उस बछड़े से बहुत हिलमिल गई थी और उसके साथ खेला करती थी.

लेकिन आज सुबह जब चित्रा ने बाहर आकर देखा तो दरवाजे के पास ही बछड़ा अकेला घायल पड़ा था, उसके पैरों में चोट लगी थी और उसके चेहरे से ही लग रहा था कि वह बहुत दर्द का अनुभव कर रहा था.

बछड़े का कष्ट देखकर चित्रा बहुत दुखी हुई, उसकी आँखों में आँसू आ गए और वहीं से पुकारकर उसने अपनी माँ को बुला लिया. चित्रा माँ से कहने लगी कि घायल बछड़े को जल्दी से डाक्टर के पास ले चलो, उसे बहुत दर्द हो रहा है.

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

अदिति जोगवंशी (कक्षा-5) द्वारा पूरी की गई कहानी

तब चित्रा की माँ ने डॉक्टर को बुलाया. डॉक्टर ने बछड़े की चोट वाली जगह पर दवा लगाई. मरहम-पट्टी लगाकर अच्छे से उसका इलाज किया. धीरे-धीरे कुछ दिनों में बछड़ा स्वस्थ होने लगा.

अब बछड़ा पूरी तरह से ठीक हो गया था. चित्रा बछड़े को पूरी तरह स्वस्थ देखकर बहुत खुश हुई. चित्रा अभी भी रोज बछड़े को रोटी देती है और पहले की ही तरह हँसी-खुशी के साथ बछड़े के साथ खेलने लगी है.

रुपेश वर्मा (कक्षा-7), शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चंगोराभाठा पूर्व धरसीवां जिला रायपुर द्वारा पूरी की गई कहानी

चित्रा और उसकी माँ बछड़े को लेकर पशु-चिकित्सालय गए. चित्रा ने डॉक्टर से कहा डॉक्टर साहब बछड़े का पैर ठीक हो जाएगा ना डॉक्टर ने कहा- हाँ ठीक हो जाएगा. चित्रा ने कहा-आप बछड़े का इलाज जल्दी कीजिए उसको बहुत दर्द हो रहा होगा. डॉक्टर ने बछड़े का इलाज किया जब चित्रा की माँ ने डॉक्टर साहब को पैसे दिए तब डॉक्टर ने कहा पशुओं का इलाज करना ही मेरा कार्य है. चित्रा और उसकी माँ बछड़े को लेकर घर गए. घर के आंगन में बछड़े की माँ खड़ी थी बछड़े की मां बछड़े को देखकर बहुत खुश हुई.

मनोज कुमार पाटनवार द्वारा पूरी की गई कहानी

चित्रा की बात सुनते ही उनकी मां गाड़ी मंगाने के लिए फोन लगाने लगी तभी चित्रा के पिताजी जो रोज की भांति सुबह सैर करके घर पहुंचे और सारा माजरा बताने लगे कि एक शराबी नशे में धुत होकर कार चला रहा था जिसके कारण बछड़े के माँ की दुर्घटना में जान चली गई, वही माँ के पास बैठे रहने के कारण बछड़े को भी चोटें आई है. मैंने डॉक्टर को फोन करके यहीं बुला लिया है.

तभी पशु चिकित्सक वहाँ पहुँचे और बछड़े के चोट वाली जगह पर दवाई के साथ पट्टी बांधे और कुछ गोलियां भी रोटी के साथ बछड़े को खिला दिए.

चित्रा बहुत रोती है और रोते हुए कहती है कि आखिर क्यों शराब पीकर लोग गाड़ी चलाते हैं तथा स्वयं के साथ दूसरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं.

शिक्षा:- नशा में गाड़ी नहीं चलाना चाहिए इससे स्वयं के साथ दूसरों का भी नुकसान होता है.

संतोष कुमार कौशिक द्वारा पूरी की गई कहानी

चित्रा की बात सुनकर उसकी माँ ने कहा, उसके पैरों में चोट लगी है, उसे बहुत दर्द हो रहा होगा लेकिन इलाज कराने के लिए पैसे चाहिए. हमारी दो वक्त की रोटी के लिए बहुत मुश्किल से अनाज उपलब्ध होता है. हम खुद इतने गरीब है कि इस बछड़े का इलाज कराने एवं दवा के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए मैं ही घरेलू नुस्खे से इसका इलाज करती हूँ.

माँ की बात सुनकर चित्रा उदास हो गई. उसे याद आया कि उसकी गुल्लक में कुछ पैसे हैं. वह दौड़कर अपनी गुल्लक ले आई और माँ को देकर बोली -माँ मेरी गुल्लक के पैसों से हम बछड़े का इलाज कराते हैं. माँ कहने लगीं नहीं ये पैसे हम खर्च नहीं कर सकते. लेकिन चित्रा के हठ के आगे माँ हारकर बछड़े को डॉक्टर के यहाँ इलाज कराने के लिए ले गई. कुछ दिनों में बछड़ा पहले की तरह स्वस्थ हो गया और चित्रा खुश होकर उसके साथ खेलने लगती है.

अनन्या तंबोली (कक्षा-6) द्वारा पूरी की गई कहानी

चित्रा और उसकी मां घायल बछड़े को लेकर डॉक्टर के पास गए. उन्होंने बछड़े का इलाज कराया. डॉक्टर के कहे अनुसार कुछ दिनों तक उसे घर से बाहर नहीं जाने दिया. घर पर ही उसकी देखभाल की, दवा खिलाई. कुछ दिनों बाद वह बछड़ा पूरी तरह से ठीक हो गया. चित्रा अब उसके साथ खेलती उसे रोटी खिलाती.

एक दिन बछड़े की माँ, चित्रा के घर के पास आकर आवाज लगाने लगी. आवाज सुनकर बछड़ा घर के बाहर आया वह अपनी माँ को देखकर बहुत खुश हुआ, चित्रा भी खुश हो गई बछड़े को उसकी माँ मिल गई. अब बछड़ा और गाय दोनों साथ में रहने लगे. पहले की तरह जब भी बछड़ा, अपनी माँ के साथ चित्रा के घर के पास आता तो चित्रा उन्हें रोटी खिलाती और उनके साथ खेलती.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

गाँव का मेला

mela

रोहित अपने गाँव जाने वाली बस की प्रतीक्षा कर रहा था. अगले दिन उसके गाँव का वार्षिक मेला था. दो साल बाद मेले के समय पर रोहित गाँव जा रहा था. उसके मन में मेले से जुड़ी यादें घुमड़ रही थीं.

रोहित नवोदय विद्यालय में आठवीं कक्षा में पढ़ता था. पाँचवीं तक गाँव की प्राथमिक शाला में पढ़ने के बाद उसका चयन नवोदय विद्यालय के लिए हो गया था और वह गाँव से चला आया था. मार्च 2020 में अचानक कोरोना वायरस के प्रसार के कारण स्कूल बंद हो गए थे तब उसकी छठी कक्षा की परीक्षाएँ भी नहीं हुई थीं. उस वर्ष गाँव का मेला भी आयोजित नहीं हुआ था. 2021 के पूरे साल भी स्कूल बंद ही रहा, लेकिन ऑनलाइन कक्षाएँ चलती रहीं इसलिए रोहित को गाँव में रहने का मौका नहीं मिला क्योंकि गाँव में नेटवर्क की समस्या के कारण वह कक्षाओं में शामिल नहीं हो पाता था. पिछले वर्ष भी गाँव का मेला आयोजित नहीं हुआ था.

अब इस वर्ष कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म तो नहीं हुआ था पर उसका प्रसार कुछ कम था इसलिए इस वर्ष गाँव का मेला आयोजित होने वाला था.

बस आई और रोहित बस में बैठते ही मेले की यादों में खो गया. दोस्तों के साथ मेले में घूमना, झूला झूलना, और माँ से मेले के लिए मिलने वाले 100 रुपयों से अपनी मनचाही चीजें खरीदना और मिठाई खाना.

क्या दो वर्ष के बाद इस वर्ष के मेले में वह आनंद आएगा? कोरोना वायरस से बचने की शर्तों के बीच यह मेला होने वाला था. रोहित सोचने लगा कि क्या मेले में झूला झूलना सुरक्षित होगा? क्या मेले की दुकानों से खाने की वस्तुएँ लेना सही होगा? क्या इस वर्ष के मेले में वह पहले जैसा उत्साह और आनंद रहेगा? यही सोचते हुए बस कब गाँव पहुँच गई, उसे पता ही नहीं चला.

इसके आगे क्या हुआ होगा? क्या रोहित को मेले में पहले जैसा आनंद आया होगा? आप अपनी कल्पना से इस कहानी को पूरा कीजिए और इस माह की पंद्रह तारीख तक हमें kilolmagazine@gmail.com पर भेज दीजिए.

चुनी गई कहानी हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

Visitor No. : 6730513
Site Developed and Hosted by Alok Shukla