चित्र देख कर कहानी लिखो
पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –
हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं
संतोष कुमार कौशिक द्वारा भेजी गई कहानी
ईमानदार लकड़हारा
जंगल के पास एक गाँव में एक लकड़हारा रहता था. वह मेहनती और ईमानदार था. हर सुबह वह अपनी कुल्हाड़ी लेकर जंगल में चला जाता. सुखी लकड़ियाँ काटकर बाजार में बेच देता था. इस तरह कमाए हुए पैसों से वह अपने परिवार का पालन करता था.उसका जीवन खुशी से व्यतीत हो रहा था.
वह हमेशा पेड़ से सूखी हुई शाखाओं को ही काटने का ख्याल रखता था, जिससे पेड़ को कोई नुकसान न हो. पेड़ काटने के बदले वह पौधे भी लगाता था जो कुछ वर्षों में पेड़ बन जाते थे.
एक दिन अपनी कुल्हाड़ी लेकर वह काम पर गया. तालाब के किनारे शाखाओं को काटने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया. तभी उसकी कुल्हाड़ी गलती से उसके हाथ से फिसलकर तालाब में गिर गई. वह पानी के नीचे अपनी कुल्हाड़ी ढूँढ़ने के लिए तालाब में उतर गया. उसने कुल्हाड़ी तलाश करने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मिली. वह असहाय एक पेड़ के नीचे बैठ गया. वह दुखी था कि उसने अपनी कुल्हाड़ी खो दी थी. वह सोचने लगा कि अब मेरा और मेरे परिवार का जीविकोपार्जन कैसे होगा. यह सोचकर वह रोने लगा.
उसके रोने की आवाज सुनकर तालाब की जलपरी ने बाहर आकर पूछा- तुम रो क्यों रहे हो? क्या हो गया है? लकड़हारे ने जलपरी को अपनी कहानी सुनाई. कहानी सुनकर जलपरी ने तलाब में डुबकी लगाकर एक जादुई कुल्हाड़ी निकाली जो चमकदार थी. पूछा- क्या यही है आपकी कुल्हाड़ी? लकड़हारे ने कहा नहीं-नहीं यह मेरी कुल्हाड़ी नही है.मेरी कुल्हाड़ी लोहे की है. जलपरी ने पुनः डुबकी लगाई और लोहे की कुल्हाड़ी दिखाई. लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी देखकर खुशी से कहने लगा. हाँ देवी, यही मेरी कुल्हाड़ी है.जलपरी ने लकड़हारे की ईमानदारी से खुश होकर उसकी कुल्हाड़ी के साथ जादुई कुल्हाड़ी देते हुए कहा-यह कुल्हाड़ी सामान्य कुल्हाड़ी नहीं है, यह जादुई कुल्हाड़ी है.इससे जो भी माँगोगे उसे पूरा करेगी.
लकड़हारा जलपरी को धन्यवाद देते हुए घर चला गया. उसकी गरीबी दूर हो गई. वह अपने परिवार के साथ खुशी से जीवन व्यतीत करने लगा.
योगेश्वरी तम्बोली द्वारा भेजी गई कहानी
जलपरी
एक किसान था. उसकी पत्नी बहुत लालची थी. वह सदैव अपनी पड़ोसन की नकल करती थी. किसान अपनी पत्नी की इस आदत से परेशान था. एक दिन पत्नी अपने पति से सोने का हार लेने की जिद करने लगी. किसान के पास इतने पैसे नहीं थे कि सोने का हार ला सके, पर उसकी पत्नी ने कहा कि यदि तुम सोने की हार नहीं लाओगे तो मैं घर छोड़ के चली जाऊँगी. किसान बहुत परेशान होकर जंगल की ओर चल पड़ा. जंगल के रास्ते में एक तालाब था. तालाब से आवाज आई क्या हुआ, तुम बहुत परेशान लग रहे हो?
किसान ने जब देखा तो एक जलपरी दिखाई दी, उसने परी को सारी बात बताई. जलपरी ने कहा रुको मैं तुम्हें एक सोने की कुल्हाड़ी देती हूँ, तुम जो भी उससे माँगोगे वह तुम्हे मिल जाएगा. पर अधिक लालच मत करना नहीं तो यह कुल्हाड़ी वापस मेरे पास आ जायेगी. किसान कुल्हाड़ी लेकर अपने घर चला गया और अपनी पत्नी को सारी बात बताई,उसकी पत्नी बहुत खुश हुई और अपने लिये सोने का हार माँग लिया. अब उसका लालच दिनों दिन बढ़ता गया और लालच बढ़ने के कारण वह कुल्हाड़ी वापस जलपरी के पास चली गयी.
अब किसान की पत्नी बहुत पछताने लगी कि मुझे आवश्यकता से अधिक नहीं माँगना था. लालच नहीं करना चाहिये था. लालच का फल बहुत बुरा होता है.
अगले अंक की कहानी हेतु चित्र
अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे